2 शमूएल 8 की कहानी को विस्तार से और विवरणात्मक रूप में प्रस्तुत करते हुए, हम दाऊद के शासनकाल की एक महत्वपूर्ण घटना पर चर्चा करेंगे। यह अध्याय दाऊद के विजयी अभियानों और उसकी सफलताओं को दर्शाता है, जो परमेश्वर की कृपा और उसकी सहायता के बिना संभव नहीं होतीं। यह कहानी हमें यह सिखाती है कि जब हम परमेश्वर के मार्ग पर चलते हैं, तो वह हमारी सफलता के लिए रास्ता बनाता है।
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### दाऊद की विजयें और परमेश्वर की कृपा
दाऊद, इस्राएल के राजा, ने यरूशलेम में अपना सिंहासन स्थापित किया था। वह परमेश्वर के प्रति पूर्ण समर्पित था और उसकी इच्छा के अनुसार चलता था। एक दिन, जब दाऊद अपने महल में बैठा हुआ था, तो उसने सोचा कि इस्राएल के चारों ओर के देशों में शांति और सुरक्षा स्थापित करने का समय आ गया है। उसने परमेश्वर से प्रार्थना की और उसकी इच्छा जानने का प्रयास किया। परमेश्वर ने दाऊद के हृदय में यह बात डाली कि वह अपने शत्रुओं के विरुद्ध युद्ध करे और इस्राएल के लोगों को सुरक्षा प्रदान करे।
दाऊद ने अपने सेनापतियों को बुलाया और उन्हें युद्ध की तैयारी करने का आदेश दिया। उसकी सेना तैयार थी, और वे परमेश्वर के नाम पर युद्ध करने के लिए तत्पर थे। दाऊद ने अपने सैनिकों को यह याद दिलाया कि यह युद्ध केवल मनुष्यों का नहीं है, बल्कि परमेश्वर का है। उन्हें विश्वास था कि परमेश्वर उनके साथ है और उन्हें विजय दिलाएगा।
### फिलिस्तीनों पर विजय
दाऊद की पहली लड़ाई फिलिस्तीनियों के विरुद्ध हुई। फिलिस्तीनियों ने इस्राएल के लोगों को लंबे समय से परेशान किया था, और अब दाऊद ने उन्हें दंडित करने का निर्णय लिया। दाऊद की सेना ने फिलिस्तीनियों के क्षेत्र में प्रवेश किया और उनके शहरों पर आक्रमण किया। फिलिस्तीनियों की सेना बहुत शक्तिशाली थी, लेकिन दाऊद और उसके सैनिकों ने परमेश्वर पर भरोसा रखा। उन्होंने फिलिस्तीनियों को हराया और उनके कई शहरों पर कब्जा कर लिया। दाऊद ने फिलिस्तीनियों से बहुत सारा धन और संपत्ति लूटी, जिसे उसने यरूशलेम ले जाकर परमेश्वर के मंदिर के लिए अलग रखा।
### मोआबियों पर विजय
अगला लक्ष्य मोआब था। मोआबियों ने भी इस्राएल के लोगों के साथ दुश्मनी की थी। दाऊद ने अपनी सेना को मोआब की ओर मार्च करने का आदेश दिया। मोआबियों की सेना ने दाऊद के सैनिकों का सामना किया, लेकिन वे दाऊद की रणनीति और परमेश्वर की सहायता के सामने टिक नहीं पाए। दाऊद ने मोआबियों को हराया और उन्हें अपने अधीन कर लिया। उसने मोआब के लोगों से कर वसूला और उन्हें इस्राएल के अधीन कर दिया। दाऊद ने यह सुनिश्चित किया कि मोआबियों के साथ न्यायपूर्ण व्यवहार किया जाए, क्योंकि वह परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करना चाहता था।
### सोबा के राजा हददेजेर पर विजय
दाऊद की अगली लड़ाई सोबा के राजा हददेजेर के विरुद्ध हुई। हददेजेर एक शक्तिशाली राजा था, और उसने अपने साम्राज्य का विस्तार करने के लिए कई देशों पर आक्रमण किया था। दाऊद ने सुना कि हददेजेर फिरात नदी की ओर बढ़ रहा है, और उसने अपनी सेना को उसका सामना करने के लिए भेजा। दाऊद की सेना ने हददेजेर की सेना को हराया और उसके सैनिकों को बंदी बना लिया। दाऊद ने हददेजेर के सैनिकों के घोड़ों को जब्त कर लिया, लेकिन उसने उनमें से केवल सौ घोड़ों को रखा और बाकी को छोड़ दिया। इस विजय के बाद, दाऊद ने सोबा के क्षेत्र में अपना अधिकार स्थापित किया।
### दमिश्क के अरामियों पर विजय
जब दमिश्क के अरामियों ने सुना कि दाऊद ने हददेजेर को हरा दिया है, तो उन्होंने दाऊद के विरुद्ध युद्ध की तैयारी की। अरामियों ने एक बड़ी सेना इकट्ठी की और दाऊद के सामने आ गए। लेकिन दाऊद ने परमेश्वर पर भरोसा रखा और अपने सैनिकों को युद्ध के लिए प्रेरित किया। दाऊद की सेना ने अरामियों को हराया और उनके बाईस हज़ार सैनिकों को मार डाला। दाऊद ने दमिश्क के अरामियों को अपने अधीन कर लिया और उनसे कर वसूला। इस प्रकार, दाऊद ने अरामियों के क्षेत्र में भी अपना अधिकार स्थापित किया।
### एदोम पर विजय
दाऊद की अंतिम लड़ाई एदोम के विरुद्ध हुई। एदोम के लोगों ने इस्राएल के साथ दुश्मनी की थी, और दाऊद ने उन्हें दंडित करने का निर्णय लिया। दाऊद ने अपने सेनापति योआब को एदोम पर आक्रमण करने के लिए भेजा। योआब ने एदोम के सैनिकों को हराया और उनके क्षेत्र पर कब्जा कर लिया। दाऊद ने एदोम के लोगों से कर वसूला और उन्हें इस्राएल के अधीन कर दिया। इस प्रकार, दाऊद ने एदोम में भी अपना अधिकार स्थापित किया।
### दाऊद की सफलता का रहस्य
दाऊद की इन सभी विजयों का रहस्य उसका परमेश्वर पर अटूट विश्वास था। दाऊद ने हर युद्ध से पहले परमेश्वर से मार्गदर्शन मांगा और उसकी इच्छा के अनुसार चला। उसने यह सुनिश्चित किया कि उसकी सेना परमेश्वर के नाम पर युद्ध करे और उसकी महिमा के लिए जीते। दाऊद ने अपनी विजयों से प्राप्त धन और संपत्ति को परमेश्वर के मंदिर के लिए अलग रखा, क्योंकि वह जानता था कि यह सब परमेश्वर की कृपा से संभव हुआ है।
दाऊद ने अपने शासनकाल में इस्राएल को एक शक्तिशाली और समृद्ध राष्ट्र बना दिया। उसने अपने चारों ओर के देशों को अपने अधीन कर लिया और इस्राएल के लोगों को सुरक्षा और शांति प्रदान की। दाऊद की सफलता का रहस्य उसका परमेश्वर के प्रति समर्पण और उसकी आज्ञाओं का पालन था। दाऊद ने यह सिद्ध कर दिया कि जब हम परमेश्वर के साथ चलते हैं, तो वह हमारी सफलता के लिए रास्ता बनाता है।
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यह कहानी हमें यह सिखाती है कि परमेश्वर की कृपा और उसकी सहायता के बिना हम कुछ भी नहीं कर सकते। दाऊद की तरह, हमें भी परमेश्वर पर भरोसा रखना चाहिए और उसकी इच्छा के अनुसार चलना चाहिए। जब हम परमेश्वर के साथ चलते हैं, तो वह हमारी सफलता के लिए रास्ता बनाता है और हमें विजय दिलाता है।