व्यवस्थाविवरण 26 की कहानी को हिंदी बाइबल के अनुसार विस्तार से लिखा जाएगा। यह कहानी इस्राएलियों के लिए परमेश्वर के प्रति कृतज्ञता और उनकी आज्ञाकारिता को दर्शाती है। यह अध्याय इस्राएलियों को याद दिलाता है कि वे कैसे परमेश्वर की कृपा से मिस्र की दासता से मुक्त हुए और उन्हें एक समृद्ध भूमि का वादा किया गया। यह कहानी उनकी आराधना और परमेश्वर के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
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### **परमेश्वर के प्रति कृतज्ञता का प्रदर्शन**
एक बार की बात है, जब इस्राएल के लोग वादा की गई भूमि में प्रवेश कर चुके थे। वे एक ऐसी भूमि में बस गए थे जो दूध और मधु से भरी हुई थी। यह वह भूमि थी जिसके बारे में परमेश्वर ने उनके पूर्वजों से वादा किया था। अब, उन्हें परमेश्वर की आज्ञा का पालन करना था और उनकी कृपा के लिए धन्यवाद देना था।
मूसा ने लोगों को इकट्ठा किया और उनसे कहा, “जब तुम उस भूमि में प्रवेश करोगे जो परमेश्वर तुम्हें विरासत में दे रहा है, और जब तुम उसमें बस जाओगे और उसकी उपज से लाभ उठाओगे, तो तुम्हें परमेश्वर के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट करनी होगी।”
मूसा ने आगे कहा, “जब तुम अपने खेतों में पहली फसल काटोगे, तो उसका कुछ भाग लेकर परमेश्वर के सामने ले आना। तुम्हें उस फसल का पहला भाग एक टोकरी में रखकर, याजक के पास ले जाना है। याजक तुम्हारी टोकरी को परमेश्वर के वेदी के सामने रखेगा।”
फिर मूसा ने उन्हें एक प्रार्थना सिखाई, जो उन्हें परमेश्वर के सामने दोहरानी थी:
“मेरे पूर्वज एक भटकने वाले अरामी थे। वे मिस्र में गए और वहाँ थोड़े से लोगों के रूप में रहने लगे। किंतु वहाँ वे एक बड़ी और शक्तिशाली जाति बन गए। मिस्रियों ने हम पर अत्याचार किया और हमें कठोर परिश्रम करने के लिए मजबूर किया। तब हमने परमेश्वर से प्रार्थना की, और उन्होंने हमारी पुकार सुनी। उन्होंने हमें मिस्र से बाहर निकाला, अपने बलवान हाथ और बढ़ाई हुई भुजा से, और भयानक भय के साथ, चिन्हों और अद्भुत कामों के द्वारा। उन्होंने हमें इस भूमि में लाया, जो दूध और मधु से भरी हुई है। और अब, देखो, मैं परमेश्वर के लिए इस भूमि की पहली उपज लेकर आया हूँ।”
यह प्रार्थना इस्राएलियों को याद दिलाती थी कि वे कहाँ से आए हैं और परमेश्वर ने उनके लिए क्या किया है। यह उनकी विनम्रता और कृतज्ञता का प्रतीक था।
### **परमेश्वर के प्रति आज्ञाकारिता**
मूसा ने आगे कहा, “जब तुम परमेश्वर के सामने यह प्रार्थना करोगे और उनके लिए अपनी पहली उपज चढ़ाओगे, तो तुम्हें खुशी से उत्सव मनाना चाहिए। तुम्हें अपने परिवार, लेवीयों और देश में रहने वाले परदेशियों के साथ मिलकर खाना खाना चाहिए। यह परमेश्वर के प्रति तुम्हारी आज्ञाकारिता और कृतज्ञता का प्रदर्शन होगा।”
मूसा ने लोगों को यह भी याद दिलाया कि परमेश्वर ने उनसे एक वाचा बाँधी है। उन्होंने कहा, “आज परमेश्वर ने तुमसे यह वाचा बाँधी है कि तुम उनकी सभी आज्ञाओं का पालन करोगे। और परमेश्वर ने तुमसे यह वादा किया है कि वे तुम्हें सभी जातियों में से ऊपर उठाएंगे, और तुम उनकी प्रशंसा, नाम और महिमा के लिए एक पवित्र लोग बनोगे।”
लोगों ने मूसा की बातों को गंभीरता से सुना। वे जानते थे कि परमेश्वर ने उनके लिए कितने बड़े काम किए हैं। उन्हें याद था कि कैसे परमेश्वर ने उन्हें मिस्र की दासता से छुड़ाया, और कैसे उन्हें लाल समुद्र के बीच से सुरक्षित पार किया। उन्हें याद था कि कैसे परमेश्वर ने उन्हें जंगल में मन्ना और बटेर दिया, और कैसे उन्होंने उन्हें दुश्मनों से बचाया।
### **परमेश्वर के प्रति प्रतिबद्धता**
मूसा ने लोगों से कहा, “आज तुमने परमेश्वर के सामने यह कहा है कि तुम उनके लोग बनोगे, और तुम उनकी सभी आज्ञाओं का पालन करोगे। परमेश्वर ने भी तुमसे यह कहा है कि वे तुम्हें सभी जातियों में से ऊपर उठाएंगे, और तुम उनकी प्रशंसा, नाम और महिमा के लिए एक पवित्र लोग बनोगे।”
लोगों ने एक स्वर में कहा, “हम परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करेंगे। हम उनकी वाचा का पालन करेंगे। हम उनके प्रति वफादार रहेंगे।”
इस प्रकार, इस्राएल के लोगों ने परमेश्वर के प्रति अपनी कृतज्ञता, आज्ञाकारिता और प्रतिबद्धता प्रकट की। उन्होंने यह याद रखा कि परमेश्वर ने उनके लिए क्या किया है, और उन्होंने उनकी आराधना की। वे जानते थे कि उनकी समृद्धि और सुरक्षा परमेश्वर की कृपा पर निर्भर है, और उन्होंने उनकी महिमा की।
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यह कहानी हमें यह सिखाती है कि हमें परमेश्वर के प्रति कृतज्ञ होना चाहिए और उनकी आज्ञाओं का पालन करना चाहिए। यह हमें याद दिलाती है कि परमेश्वर हमारे जीवन में कितने बड़े काम करते हैं, और हमें उनकी महिमा करनी चाहिए।