1 शमूएल 7 की कहानी हिंदी में विस्तार से:
उस समय इस्राएल के लोग परमेश्वर के सामने पश्चाताप कर रहे थे। वे लंबे समय से बाल और अश्तोरेत जैसे मूर्तियों की पूजा करते आए थे, लेकिन अब उन्होंने महसूस किया कि उन्होंने परमेश्वर को छोड़कर अन्य देवताओं की सेवा करके बड़ी गलती की है। शमूएल, जो परमेश्वर के भविष्यवक्ता और न्यायी थे, ने लोगों को एकत्रित किया और उनसे कहा, “यदि तुम सच्चे मन से यहोवा की ओर लौटना चाहते हो, तो सब विदेशी देवताओं को अपने बीच से दूर करो और अपने मन को केवल यहोवा के लिए तैयार करो। उसकी सेवा करो, और वह तुम्हें फिलिस्तीनियों के हाथ से बचाएगा।”
इस्राएल के लोगों ने शमूएल की बात मानी। उन्होंने बाल और अश्तोरेत की मूर्तियों को त्याग दिया और केवल यहोवा की उपासना करने लगे। शमूएल ने सभी इस्राएलियों को मिस्पा में इकट्ठा होने के लिए कहा। वहाँ उन्होंने उपवास किया और अपने पापों के लिए पश्चाताप किया। शमूएल ने उनके लिए प्रार्थना की और यहोवा से उनकी सुरक्षा की याचना की।
जब फिलिस्तीनियों ने सुना कि इस्राएल के लोग मिस्पा में एकत्रित हुए हैं, तो उन्होंने सोचा कि यह उन पर हमला करने का सही समय है। उन्होंने अपनी सेना तैयार की और इस्राएल की ओर बढ़ने लगे। इस्राएल के लोग डर गए और शमूएल से कहा, “हमें यहोवा से प्रार्थना करने में मदद करो, कि वह हमें फिलिस्तीनियों से बचाए।”
शमूएल ने एक मेमने को लेकर यहोवा के लिए पूरी होमबलि चढ़ाई। जब वह यहोवा से प्रार्थना कर रहा था, तब यहोवा ने आकाश से गरज के साथ फिलिस्तीनियों पर अपना क्रोध प्रकट किया। उनके बीच भयंकर अफरा-तफरी मच गई, और वे इस्राएल के सामने हार गए। इस्राएल के लोगों ने उनका पीछा किया और उन्हें हरा दिया।
इस जीत के बाद, शमूएल ने एक पत्थर लिया और उसे मिस्पा और शेशन के बीच खड़ा किया। उसने उस पत्थर का नाम “एबनेजर” रखा, जिसका अर्थ है “सहायता का पत्थर,” और कहा, “यहोवा ने हमारी सहायता की है।” इस्राएल के लोगों ने महसूस किया कि यहोवा ही उनका सच्चा रक्षक और सहायक है।
उस दिन के बाद, फिलिस्तीनियों ने इस्राएल के खिलाफ फिर से हमला नहीं किया। यहोवा ने इस्राएल को शांति दी, और शमूएल ने जीवन भर इस्राएल का न्याय किया। वह हर साल बेतेल, गिलगाल और मिस्पा में जाता और लोगों के बीच न्याय करता। इस्राएल के लोगों ने यहोवा की सेवा की और उसके मार्ग पर चलने का प्रयास किया।
इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि जब हम परमेश्वर की ओर लौटते हैं और उसकी आज्ञा मानते हैं, तो वह हमारी सहायता करता है और हमें विजय दिलाता है। यहोवा हमारा सच्चा सहायक और रक्षक है, और उसकी शक्ति हमें हर संकट से बचा सकती है।