पवित्र बाइबल

सभी राष्ट्रों का एक स्वर में परमेश्वर की स्तुति

भजन संहिता 117 एक छोटा सा भजन है, लेकिन इसका संदेश बहुत गहरा और व्यापक है। यह भजन सभी राष्ट्रों और जातियों को परमेश्वर की स्तुति करने के लिए आमंत्रित करता है। आइए, हम इस भजन को आधार बनाकर एक कहानी बुनते हैं, जो इसके संदेश को जीवंत करे।

एक समय की बात है, जब यरूशलेम के पास एक छोटा सा गाँव था। यह गाँव विभिन्न जातियों और संस्कृतियों के लोगों का घर था। यहूदी, ग्रीक, रोमन, और अन्य देशों के लोग यहाँ शांति से रहते थे। गाँव के बीचों-बीच एक छोटा सा मंदिर था, जहाँ लोग प्रार्थना करने और परमेश्वर की स्तुति करने के लिए इकट्ठा होते थे।

एक दिन, गाँव के बुजुर्ग यहोशू ने सपना देखा। सपने में उन्होंने एक दिव्य प्रकाश देखा, जो आकाश से उतरकर पूरे गाँव को घेर लिया। उस प्रकाश में एक स्वर सुनाई दिया, “सभी राष्ट्रों और जातियों को परमेश्वर की स्तुति करनी चाहिए, क्योंकि उसकी करुणा और सच्चाई महान है।”

यहोशू ने जागते ही गाँव के लोगों को इकट्ठा किया और उन्हें अपने सपने के बारे में बताया। उन्होंने कहा, “परमेश्वर हमारे साथ है। उसकी करुणा और सच्चाई हमें बचाती है। हमें उसकी स्तुति करनी चाहिए और उसके प्रेम को सभी राष्ट्रों तक पहुँचाना चाहिए।”

गाँव के लोगों ने यहोशू की बात मानी और उन्होंने एक बड़ा उत्सव आयोजित करने का फैसला किया। उन्होंने न केवल अपने गाँव के लोगों को, बल्कि आसपास के सभी राष्ट्रों और जातियों को भी आमंत्रित किया। उत्सव के दिन, गाँव का मंदिर रंग-बिरंगे फूलों और दीपकों से सजाया गया। लोग अपने सबसे अच्छे वस्त्र पहनकर आए थे।

जब सभी लोग इकट्ठा हो गए, तो यहोशू ने मंच पर चढ़कर सभी को संबोधित किया। उन्होंने कहा, “हे भाइयों और बहनों, आज हम यहाँ परमेश्वर की महिमा का जश्न मनाने के लिए इकट्ठा हुए हैं। उसकी करुणा और सच्चाई ने हमें बचाया है। चाहे हम किसी भी जाति या राष्ट्र से हों, हम सभी उसके प्रेम के पात्र हैं। आइए, हम मिलकर उसकी स्तुति करें।”

यह कहकर यहोशू ने भजन संहिता 117 को गाना शुरू किया, “हे सब जातियों, यहोवा की स्तुति करो! हे सब देशों के लोगों, उसकी प्रशंसा करो! क्योंकि हम पर उसकी करुणा बहुत हुई है, और यहोवा की सच्चाई सदा तक बनी रहती है। हल्लूय्याह!”

गाँव के लोगों ने यहोशू के साथ मिलकर भजन गाया। उनकी आवाज़ें आकाश तक पहुँच रही थीं। विभिन्न जातियों के लोग, जो अलग-अलग भाषाएँ बोलते थे, सभी एक स्वर में परमेश्वर की स्तुति कर रहे थे। उस पल, सभी के दिल एक हो गए थे।

उत्सव के बाद, गाँव के लोगों ने परमेश्वर के प्रेम और करुणा को दूसरे राष्ट्रों तक पहुँचाने का संकल्प लिया। वे जानते थे कि परमेश्वर का प्रेम सभी के लिए है, चाहे वे किसी भी जाति या राष्ट्र से हों।

इस तरह, भजन संहिता 117 का संदेश पूरे संसार में फैल गया। लोगों ने परमेश्वर की करुणा और सच्चाई को महसूस किया और उसकी स्तुति करने लगे। यह कहानी हमें याद दिलाती है कि परमेश्वर का प्रेम सभी के लिए है, और हमें उसकी महिमा का बखान करते रहना चाहिए।

यह कहानी भजन संहिता 117 के संदेश को जीवंत करती है, जो हमें याद दिलाता है कि परमेश्वर की करुणा और सच्चाई सभी राष्ट्रों और जातियों के लिए है। हमें उसकी स्तुति करनी चाहिए और उसके प्रेम को दूसरों तक पहुँचाना चाहिए।

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