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परमेश्वर की करुणा: भजन 85 की आशा और क्षमा

एक समय की बात है, जब इस्राएल के लोग परमेश्वर के सामने अपने पापों के कारण दुखी और निराश थे। वे जानते थे कि उन्होंने परमेश्वर की आज्ञाओं को तोड़ा है और उनके पापों ने उन्हें उसकी कृपा से दूर कर दिया है। उनके हृदय भारी थे, और वे चाहते थे कि परमेश्वर उन पर फिर से दया करे और उन्हें बचाए। यह वह समय था जब भजन संहिता 85 का सन्देश उनके लिए एक आशा की किरण बनकर आया।

भजनकार ने परमेश्वर से प्रार्थना की, “हे प्रभु, तू ने अपनी भूमि पर अनुग्रह किया है, तू ने याकूब के बंधुओं को फिर से बहाल किया है। तू ने अपने लोगों के अधर्म को क्षमा किया है, और उनके सारे पापों को ढक दिया है।” ये शब्द इस्राएल के लोगों के लिए एक स्मरण थे कि परमेश्वर उनके साथ है, और वह उन्हें कभी नहीं छोड़ेगा। उन्हें याद आया कि कैसे परमेश्वर ने अतीत में उन्हें बचाया था और उनके दुखों को दूर किया था।

भजनकार ने आगे कहा, “हे प्रभु, तू ने अपने कोप को दूर किया है, और अपने जलजलाहट को शांत किया है।” यह सुनकर लोगों के हृदय में आशा जाग उठी। वे जानते थे कि परमेश्वर का कोप उनके पापों के कारण था, लेकिन अब वह उन पर फिर से दया करने के लिए तैयार था। उन्होंने महसूस किया कि परमेश्वर का प्रेम और करुणा उनके लिए अटूट है।

फिर भजनकार ने परमेश्वर से विनती की, “हे परमेश्वर, हमें फिर से बहाल कर, और हमारे उद्धार को नवीनीकृत कर। क्या तू हम पर सदा के लिए क्रोधित रहेगा? क्या तू अपना कोप पीढ़ी-दर-पीढ़ी बनाए रखेगा?” ये शब्द इस्राएल के लोगों के हृदय की गहराई से निकले थे। वे जानते थे कि परमेश्वर के बिना उनका जीवन अधूरा है, और वे उसकी कृपा के बिना नहीं रह सकते।

भजनकार ने आगे कहा, “क्या तू हमें फिर से जीवन दोगे, ताकि तेरे लोग तेरे नाम पर आनन्दित हों?” यह प्रार्थना उनके विश्वास की गहराई को दर्शाती थी। वे जानते थे कि परमेश्वर ही उन्हें नया जीवन दे सकता है, और वही उनके हृदयों में आनन्द भर सकता है। उन्होंने परमेश्वर से विनती की कि वह उन्हें फिर से अपने करीब ले आए और उनके जीवन को नया अर्थ दे।

फिर भजनकार ने परमेश्वर की महिमा का वर्णन करते हुए कहा, “हे प्रभु, मुझे तेरी करुणा दिखा, और मुझे तेरा उद्धार दिखा। मैं सुनूंगा कि परमेश्वर यहोवा क्या कहता है, क्योंकि वह अपने लोगों से शांति की बात कहेगा, और अपने भक्तों से, कि वे मूर्खता की ओर न लौटें।” ये शब्द इस्राएल के लोगों के लिए एक आश्वासन थे कि परमेश्वर उनके साथ है, और वह उन्हें शांति और सुरक्षा प्रदान करेगा।

भजनकार ने आगे कहा, “निश्चय ही उसका उद्धार उसके भक्तों के निकट है, कि उसकी महिमा हमारे देश में निवास करे। करुणा और सत्य मिलेंगे, धर्म और शांति एक दूसरे को चूमेंगे।” यह वर्णन इस्राएल के लोगों के लिए एक सुन्दर दृष्टि थी। उन्होंने कल्पना की कि कैसे परमेश्वर की करुणा और सत्य उनके जीवन में प्रकट होंगे, और कैसे धर्म और शांति उनके बीच में रहेंगे।

भजनकार ने आगे कहा, “सत्य पृथ्वी से उगेगा, और धर्म स्वर्ग से झांकेगा। हां, यहोवा भलाई प्रदान करेगा, और हमारी भूमि अपनी उपज देगी। धर्म उसके सामने चलेगा, और उसके पदचिन्हों में मार्ग बनाएगा।” ये शब्द इस्राएल के लोगों के लिए एक आशीर्वाद थे। उन्होंने महसूस किया कि परमेश्वर उनके साथ है, और वह उनके जीवन को फिर से समृद्ध करेगा।

इस प्रकार, भजन 85 के माध्यम से इस्राएल के लोगों ने परमेश्वर की करुणा और प्रेम को महसूस किया। उन्होंने जाना कि परमेश्वर उनके पापों को क्षमा करने के लिए तैयार है, और वह उन्हें फिर से अपने करीब ले आएगा। उनके हृदयों में आशा और विश्वास जाग उठा, और वे जान गए कि परमेश्वर उनके साथ है, और वह उन्हें कभी नहीं छोड़ेगा।

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