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अंधकार से प्रकाश की ओर: भजन संहिता 53 की कहानी

भजन संहिता 53 एक ऐसा भजन है जो मनुष्य की पापमय प्रकृति और परमेश्वर की महिमा को दर्शाता है। यह भजन हमें यह सिखाता है कि मनुष्य कितना भ्रष्ट हो सकता है, लेकिन परमेश्वर की कृपा और उद्धार उसके लिए उपलब्ध है। आइए, इस भजन को आधार बनाकर एक कहानी बुनते हैं, जो हमें इस सत्य को गहराई से समझने में मदद करे।

### **कहानी: अंधकार में प्रकाश**

एक समय की बात है, जब एक छोटे से गाँव में लोगों का जीवन अंधकार में डूबा हुआ था। वह गाँव एक पहाड़ी की तलहटी में बसा हुआ था, जहाँ हरियाली और शांति के बीच भी लोगों के दिलों में अशांति और पाप का बोलबाला था। गाँव के लोगों ने परमेश्वर को भुला दिया था। उनका मानना था कि वे अपने बल और बुद्धि से सब कुछ कर सकते हैं। उन्होंने मूर्तियों की पूजा शुरू कर दी थी और अपने स्वार्थ के लिए एक-दूसरे का शोषण करने लगे थे।

गाँव का एक युवक था, जिसका नाम नाथन था। नाथन एक ईमानदार और सीधे दिल का युवक था, लेकिन उसके आसपास का वातावरण उसे भी पाप की ओर खींच रहा था। एक दिन, जब वह गाँव के बाहर एक पहाड़ी पर टहल रहा था, तो उसकी नज़र एक बूढ़े व्यक्ति पर पड़ी। वह व्यक्ति एक पेड़ के नीचे बैठा हुआ था और उसके हाथ में एक पुरानी पुस्तक थी। नाथन उसके पास गया और पूछा, “बाबा, आप यहाँ क्या कर रहे हैं?”

बूढ़े व्यक्ति ने मुस्कुराते हुए कहा, “मैं परमेश्वर के वचन को पढ़ रहा हूँ। क्या तुम भी इसे सुनोगे?” नाथन को यह बात अजीब लगी, क्योंकि उसने कभी परमेश्वर के बारे में नहीं सुना था। वह बैठ गया और बूढ़े व्यक्ति ने भजन संहिता 53 को पढ़ना शुरू किया:

**”मूर्ख ने अपने मन में कहा है कि कोई परमेश्वर नहीं है। वे भ्रष्ट हो गए हैं, और उनके काम घिनौने हैं; कोई भी ऐसा नहीं है जो भला करता हो।”**

नाथन ने पूछा, “यह क्या कह रहा है?” बूढ़े व्यक्ति ने समझाया, “यह वचन हमें बताता है कि जो लोग परमेश्वर को भूल जाते हैं, वे पाप में डूब जाते हैं। उनके काम भ्रष्ट हो जाते हैं, और वे एक-दूसरे के साथ अन्याय करने लगते हैं।”

नाथन ने सोचा, “क्या यह सच है? क्या हमारे गाँव के लोग भी ऐसे ही हैं?” उसने बूढ़े व्यक्ति से और सुनने का निर्णय लिया। बूढ़े व्यक्ति ने आगे पढ़ा:

**”परमेश्वर स्वर्ग से मनुष्यों की ओर देखता है, कि क्या कोई समझदार है, क्या कोई परमेश्वर को ढूँढ़ता है। सब के सब भटक गए हैं, सब के सब निकम्मे हो गए हैं; कोई भी ऐसा नहीं है जो भला करता हो, एक भी नहीं।”**

नाथन का दिल भारी हो गया। उसे लगा कि यह वचन सीधे उसके गाँव के बारे में बात कर रहा है। उसने पूछा, “क्या कोई उम्मीद है? क्या हम इस अंधकार से बाहर निकल सकते हैं?”

बूढ़े व्यक्ति ने मुस्कुराते हुए कहा, “हाँ, परमेश्वर की कृपा और उद्धार हमारे लिए उपलब्ध है। जो कोई भी उसे ढूँढ़ता है, वह उसे मिलता है।”

नाथन ने फैसला किया कि वह अपने गाँव के लोगों को यह सत्य बताएगा। वह गाँव लौटा और लोगों को इकट्ठा करके उन्हें परमेश्वर के वचन के बारे में बताने लगा। शुरू में लोग उसकी बातों पर हँसे, लेकिन धीरे-धीरे कुछ लोगों के दिल बदलने लगे। उन्होंने महसूस किया कि उनका जीवन वास्तव में अंधकार में डूबा हुआ है।

नाथन ने गाँव के बीच में एक छोटी सी प्रार्थना सभा शुरू की। लोग वहाँ इकट्ठा होते और परमेश्वर से माफ़ी माँगते। धीरे-धीरे गाँव का वातावरण बदलने लगा। लोगों ने एक-दूसरे की मदद करना शुरू किया और मूर्तियों की पूजा छोड़ दी। उन्होंने परमेश्वर को अपने जीवन में स्थान दिया।

एक दिन, जब नाथन पहाड़ी पर वापस गया, तो वह बूढ़ा व्यक्ति वहाँ नहीं था। नाथन ने समझा कि वह परमेश्वर का एक दूत था, जो उसे सही रास्ता दिखाने आया था। नाथन ने आँखें बंद करके परमेश्वर का धन्यवाद किया और कहा, “हे प्रभु, तूने हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले आया। तेरी कृपा हम पर बनी रहे।”

यह कहानी हमें यह सिखाती है कि मनुष्य की प्रकृति पापमय है, लेकिन परमेश्वर की कृपा और उद्धार हमारे लिए उपलब्ध है। जो कोई भी उसे ढूँढ़ता है, वह उसे मिलता है। भजन संहिता 53 हमें यह याद दिलाता है कि परमेश्वर हमारे जीवन में प्रकाश लाने के लिए हमेशा तैयार है, बशर्ते हम उसकी ओर मुड़ें।

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