बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर ने यरूशलेम पर आक्रमण किया और उसे जीत लिया। यह घटना यहूदा के राजा यहोयाकिम के शासनकाल के तीसरे वर्ष में हुई। नबूकदनेस्सर ने अपने सेवकों को आदेश दिया कि वे इस्राएल के कुछ राजपरिवार के युवकों और कुलीन परिवारों के लड़कों को चुनकर उन्हें बाबुल ले आएं। ये युवक सुंदर, बुद्धिमान और हर प्रकार की शिक्षा में निपुण होने चाहिए थे, ताकि वे राजमहल में सेवा कर सकें। उन्हें कसदियों की भाषा और ज्ञान सिखाया जाना था, और उन्हें तीन वर्ष तक राजा के भोजन और शराब से पोषित किया जाना था, ताकि वे राजा के सामने खड़े होने के योग्य बन सकें।
इन युवकों में से चार यहूदी लड़के थे: दानिय्येल, हनन्याह, मीशाएल और अजर्याह। राजा के सेवकों ने उनके नाम बदल दिए: दानिय्येल का नाम बेलतशस्सर रखा गया, हनन्याह का शद्रक, मीशाएल का मेशक और अजर्याह का अबेदनगो। यह नाम बदलने का उद्देश्य उन्हें उनकी पहचान और विश्वास से दूर करना था, ताकि वे बाबुल की संस्कृति में पूरी तरह से समा जाएं।
दानिय्येल और उसके मित्रों ने मन में ठान लिया कि वे राजा के भोजन और शराब को छूएंगे नहीं, क्योंकि वह भोजन मूर्तियों को चढ़ाया जाता था और उनके परमेश्वर की आज्ञाओं के विरुद्ध था। दानिय्येल ने राजा के सेवक, जिसे उनकी देखभाल करने के लिए नियुक्त किया गया था, से अनुरोध किया कि वह उन्हें केवल सब्जियां और पानी दे, ताकि वे शुद्ध रह सकें। सेवक चिंतित हो गया, क्योंकि उसे डर था कि यदि ये युवक कमजोर हो गए तो राजा उससे नाराज हो जाएगा और उसका सिर कलम कर देगा।
दानिय्येल ने सेवक से कहा, “हमें दस दिन का समय दो। हमें केवल सब्जियां और पानी दो, और फिर हमारी तुलना उन युवकों से करो जो राजा का भोजन खाते हैं। फिर तुम्हारी इच्छा के अनुसार करना।” सेवक ने उनकी बात मान ली और दस दिन तक उन्हें सब्जियां और पानी दिया।
दस दिन बाद, सेवक ने देखा कि दानिय्येल और उसके मित्र अन्य सभी युवकों से अधिक स्वस्थ और तरोताजा दिख रहे थे। उनके चेहरे पर चमक थी, और उनका शरीर मजबूत था। इसलिए, सेवक ने उन्हें राजा के भोजन और शराब के बजाय सब्जियां और पानी देना जारी रखा।
परमेश्वर ने इन चारों युवकों को बुद्धि और समझ दी। उन्होंने सभी प्रकार की पुस्तकों और ज्ञान में निपुणता हासिल की। दानिय्येल को स्वप्नों और दर्शनों को समझने की विशेष क्षमता दी गई। जब तीन वर्ष बीत गए, तो राजा ने सभी युवकों को बुलाया और उनकी परीक्षा ली। उसने देखा कि दानिय्येल, हनन्याह, मीशाएल और अजर्याह सभी से अधिक बुद्धिमान और ज्ञानी थे। वे राजा के सामने खड़े होने के योग्य थे, और राजा ने उन्हें अपने दरबार में उच्च पद दिए।
इस प्रकार, दानिय्येल और उसके मित्रों ने परमेश्वर की आज्ञा का पालन किया और उस पर भरोसा रखा। उन्होंने दिखाया कि परमेश्वर के साथ चलने वालों को उसकी आशीषें मिलती हैं, और वह उन्हें हर परिस्थिति में सफलता देता है। यह कहानी हमें सिखाती है कि परमेश्वर की आज्ञा मानने और उस पर भरोसा रखने से हमें आशीषें मिलती हैं, चाहे हम किसी भी परिस्थिति में हों।