1 कुरिन्थियों 13 का संदेश प्रेम के महत्व पर आधारित है। यह अध्याय हमें सिखाता है कि प्रेम ही सबसे बड़ा गुण है और यही वह मार्ग है जो हमें परमेश्वर के करीब ले जाता है। आइए, इस संदेश को एक कहानी के माध्यम से समझते हैं, जो भारतीय संदर्भ में लिखी गई है और इसके गहरे अर्थ को उजागर करती है।
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एक छोटे से गाँव में, राधा नाम की एक युवती रहती थी। वह बहुत ही धार्मिक और परमेश्वर में अटूट विश्वास रखने वाली थी। राधा हर रविवार को गिरजाघर जाती, प्रार्थना करती, और बाइबल का अध्ययन करती। उसके पास ज्ञान और बुद्धि की कोई कमी नहीं थी। वह इतनी समझदार थी कि गाँव के लोग उससे सलाह लेने आते थे। राधा को लगता था कि वह परमेश्वर के करीब है क्योंकि वह सब कुछ सही ढंग से करती है। लेकिन एक दिन, उसके जीवन में एक घटना घटी जिसने उसकी सोच को पूरी तरह बदल दिया।
एक दिन, गाँव में एक नया परिवार आकर बसा। उनके पास धन-दौलत तो नहीं थी, लेकिन उनके हृदय में प्रेम और करुणा भरी हुई थी। उनकी बेटी, मीरा, जो राधा की उम्र की थी, बहुत ही सरल और दयालु थी। मीरा ने गाँव के बच्चों को पढ़ाना शुरू किया और जरूरतमंदों की मदद करने लगी। वह हर किसी के साथ प्रेम और सम्मान से पेश आती थी, चाहे वह व्यक्ति अमीर हो या गरीब।
राधा ने मीरा के काम को देखा, लेकिन उसे लगा कि मीरा के पास उसकी तरह ज्ञान और बुद्धि नहीं है। राधा ने सोचा, “मैं तो बाइबल का अध्ययन करती हूँ, प्रार्थना करती हूँ, और परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करती हूँ। मैं मीरा से ज्यादा धार्मिक हूँ।” लेकिन एक रात, राधा को एक सपना आया। उस सपने में वह एक बड़े सिंहासन के सामने खड़ी थी, और सिंहासन पर परमेश्वर विराजमान थे। परमेश्वर ने राधा से पूछा, “तुमने मेरे लिए क्या किया है?”
राधा ने गर्व से कहा, “प्रभु, मैंने आपके वचन का अध्ययन किया है, मैंने प्रार्थना की है, और मैंने आपकी आज्ञाओं का पालन किया है।” परमेश्वर ने मुस्कुराते हुए कहा, “लेकिन तुमने प्रेम किया है?” राधा चुप हो गई। उसे एहसास हुआ कि उसने ज्ञान और बुद्धि तो बटोरी थी, लेकिन प्रेम के महत्व को नहीं समझा था।
अगले दिन, राधा ने मीरा के पास जाकर उससे माफी माँगी और उसके साथ मिलकर गाँव की सेवा करने का निर्णय लिया। उसने महसूस किया कि प्रेम ही वह मार्ग है जो परमेश्वर के करीब ले जाता है। राधा ने समझा कि अगर उसके पास सारा ज्ञान और बुद्धि हो, लेकिन प्रेम न हो, तो वह कुछ भी नहीं है। उसने 1 कुरिन्थियों 13 के शब्दों को अपने जीवन में उतार लिया: “यदि मैं मनुष्यों और स्वर्गदूतों की भाषाएँ बोलूं, पर प्रेम न रखूं, तो मैं ठनठनाता हुआ पीतल या झनझनाता हुआ झाँझ हूँ।”
राधा और मीरा ने मिलकर गाँव में प्रेम और एकता का संदेश फैलाया। उन्होंने जरूरतमंदों की मदद की, बीमारों की सेवा की, और हर किसी के साथ दया और करुणा का व्यवहार किया। राधा ने समझा कि प्रेम धैर्यवान है, प्रेम दयालु है। यह ईर्ष्या नहीं करता, डींग नहीं मारता, और अभिमानी नहीं होता। प्रेम कभी असफल नहीं होता।
इस कहानी के माध्यम से हमें यह सीख मिलती है कि प्रेम ही सबसे बड़ा मार्ग है। चाहे हमारे पास कितना भी ज्ञान, बुद्धि, या धन क्यों न हो, अगर हमारे हृदय में प्रेम नहीं है, तो हमारा जीवन अधूरा है। परमेश्वर हमें प्रेम करने के लिए बुलाते हैं, क्योंकि प्रेम ही उनकी सबसे बड़ी आज्ञा है। जैसे 1 कुरिन्थियों 13:13 में लिखा है, “और अब विश्वास, आशा, प्रेम, ये तीनों स्थिर हैं; पर इन में सब से बड़ा प्रेम है।”
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यह कहानी हमें याद दिलाती है कि प्रेम के बिना हमारे सभी कर्म व्यर्थ हैं। प्रेम ही वह मार्ग है जो हमें परमेश्वर के करीब ले जाता है और हमारे जीवन को सार्थक बनाता है।