पवित्र बाइबल

यीशु की शिक्षाएँ और चमत्कार: लूका 6 की प्रेरणादायक कहानी

लूका 6 की कहानी को विस्तार से बताते हुए, हम यीशु मसीह के जीवन और उनकी शिक्षाओं की गहराई को समझेंगे। यह अध्याय यीशु के शिष्यों के चुनाव, उनकी शिक्षाओं, और उनके चमत्कारों को दर्शाता है। यह कहानी न केवल ईश्वर के प्रेम और दया को प्रकट करती है, बल्कि मनुष्यों को सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा भी देती है।

एक दिन, यीशु गलील की झील के किनारे चल रहे थे। उनके चारों ओर बड़ी भीड़ इकट्ठी हो गई थी। लोग दूर-दूर से आए थे, क्योंकि उन्होंने सुना था कि यीशु बीमारों को चंगा करते हैं और लोगों को ईश्वर के राज्य के बारे में सिखाते हैं। यीशु ने देखा कि लोग उनके वचन सुनने के लिए उत्सुक हैं, इसलिए वे एक पहाड़ी पर चढ़ गए। वहाँ उन्होंने अपने शिष्यों को अपने पास बुलाया और उन्हें चुना। उन्होंने बारह शिष्यों को चुना, जिन्हें उन्होंने प्रेरित कहा। ये वे लोग थे जो यीशु के साथ रहेंगे, उनकी शिक्षाओं को सीखेंगे और दुनिया में उनके संदेश को फैलाएंगे।

यीशु ने भीड़ की ओर देखा और उन्हें शिक्षा देना शुरू किया। उनकी आवाज़ में एक अद्भुत शक्ति और प्रेम था। उन्होंने कहा, “धन्य हैं वे जो गरीब हैं, क्योंकि ईश्वर का राज्य तुम्हारा है। धन्य हैं वे जो अभी भूखे हैं, क्योंकि तुम्हारा पेट भरा जाएगा। धन्य हैं वे जो अभी रो रहे हैं, क्योंकि तुम हँसोगे।”

यीशु ने आगे कहा, “धन्य हैं वे जिन्हें मनुष्य के कारण सताया जाता है, क्योंकि ईश्वर का राज्य तुम्हारा है। जब लोग तुम्हारा अपमान करें, तुम्हें दुःख दें, और तुम्हारा नाम बुराई के साथ लें, तो आनन्दित होओ, क्योंकि तुम्हारा ईनाम स्वर्ग में बहुत बड़ा है।”

यीशु ने लोगों को यह भी सिखाया कि वे अपने दुश्मनों से प्रेम करें और उनके लिए प्रार्थना करें। उन्होंने कहा, “जो तुम्हारी गाल पर थप्पड़ मारे, उसकी ओर दूसरा गाल भी फेर दो। जो तुम्हारा कोट ले ले, उसे अपनी चादर भी दे दो। जो तुमसे माँगे, उसे दे दो। और जो तुम्हारी चीज़ ले ले, उसे वापस मत माँगो।”

यीशु ने लोगों को यह भी समझाया कि वे दूसरों के साथ वैसा ही व्यवहार करें जैसा वे चाहते हैं कि दूसरे उनके साथ करें। उन्होंने कहा, “जैसा तुम चाहते हो कि लोग तुम्हारे साथ करें, वैसा ही तुम भी उनके साथ करो।”

यीशु ने लोगों को यह भी चेतावनी दी कि वे दूसरों को न्याय करने से बचें। उन्होंने कहा, “न्याय मत करो, ताकि तुम पर भी न्याय न किया जाए। क्योंकि जिस न्याय से तुम न्याय करोगे, उसी से तुम्हारा न्याय किया जाएगा।”

यीशु ने लोगों को यह भी सिखाया कि वे अपने जीवन को ईश्वर के वचन पर बनाएँ। उन्होंने कहा, “जो कोई मेरे पास आता है और मेरे वचनों को सुनकर उन पर चलता है, मैं तुम्हें बताता हूँ कि वह किसके समान है। वह उस मनुष्य के समान है जिसने अपना घर बनाने के लिए गहरी नींव खोदी और चट्टान पर उसे बनाया। जब बाढ़ आई और नदी का पानी उस घर से टकराया, तो वह हिला नहीं, क्योंकि वह चट्टान पर बना हुआ था।”

यीशु की शिक्षाओं को सुनकर लोग हैरान थे। उनकी शिक्षाओं में एक अद्भुत शक्ति थी, जो लोगों के दिलों को छू रही थी। वे समझ गए कि यीशु केवल एक शिक्षक नहीं हैं, बल्कि वे ईश्वर के पुत्र हैं, जो लोगों को सही मार्ग दिखाने आए हैं।

इसके बाद, यीशु ने एक चमत्कार किया। वे एक गाँव में गए, जहाँ एक आदमी था जिसका दाहिना हाथ सूख गया था। कुछ धार्मिक नेता वहाँ मौजूद थे, और वे यीशु को परखने के लिए देख रहे थे कि क्या वे सब्त के दिन चंगा करेंगे। यीशु ने उस आदमी से कहा, “उठो और बीच में खड़े हो जाओ।” फिर उन्होंने सभी से पूछा, “मैं तुमसे पूछता हूँ, सब्त के दिन अच्छा करना क्या उचित है या बुरा करना? जीवन बचाना या नष्ट करना?”

सभी चुप रहे। यीशु ने उस आदमी की ओर देखा और कहा, “अपना हाथ फैलाओ।” जैसे ही उसने ऐसा किया, उसका हाथ पूरी तरह से ठीक हो गया। लोग आश्चर्यचकित थे, लेकिन कुछ धार्मिक नेता क्रोधित हो गए और यीशु के खिलाफ साजिश रचने लगे।

यीशु ने लोगों को यह दिखाया कि ईश्वर की दया और प्रेम किसी भी नियम से बढ़कर है। उन्होंने लोगों को सिखाया कि सच्चा धर्म दिल से निकलता है और दूसरों की सेवा करने में है।

इस तरह, लूका 6 की कहानी हमें यीशु की शिक्षाओं और उनके चमत्कारों के माध्यम से ईश्वर के प्रेम और दया को दर्शाती है। यह कहानी हमें यह याद दिलाती है कि हमें दूसरों से प्रेम करना चाहिए, उनकी मदद करनी चाहिए, और हमेशा ईश्वर के वचन पर अपना जीवन बनाना चाहिए।

LEAVE A RESPONSE

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *