एक्लेसियास्तेस 11 की कहानी को एक विस्तृत और जीवंत रूप में प्रस्तुत करते हुए, हम एक गहरी आध्यात्मिक शिक्षा को समझने का प्रयास करेंगे। यह अध्याय हमें जीवन की अनिश्चितताओं और परमेश्वर की इच्छा के प्रति समर्पण का संदेश देता है। यह कहानी एक छोटे से गाँव की पृष्ठभूमि में घटित होती है, जहाँ एक बुद्धिमान व्यक्ति अपने अनुभवों और परमेश्वर के वचन के माध्यम से लोगों को जीवन के रहस्यों से अवगत कराता है।
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गाँव के बीचोंबीच एक पुराना बरगद का पेड़ था, जिसकी छाया में गाँव के लोग इकट्ठा होते थे। वहाँ एक बुद्धिमान व्यक्ति रहता था, जिसे सब “गुरुजी” कहकर पुकारते थे। गुरुजी ने अपने जीवन में बहुत कुछ देखा और सीखा था। एक दिन, गाँव के युवाओं ने उनसे पूछा, “गुरुजी, जीवन में सफलता पाने के लिए हमें क्या करना चाहिए? हम भविष्य के बारे में चिंतित रहते हैं।”
गुरुजी मुस्कुराए और बोले, “सुनो, मेरे बच्चों। जीवन एक रहस्यमय यात्रा है। परमेश्वर ने इसे इस तरह बनाया है कि हम सब कुछ नहीं जान सकते। एक्लेसियास्तेस की पुस्तक में लिखा है, ‘अपनी रोटी जल पर डाल दे, क्योंकि बहुत दिनों के बाद तू उसे पाएगा।’ इसका अर्थ है कि हमें परमेश्वर पर भरोसा रखते हुए कर्म करना चाहिए। हमें यह नहीं पता कि कल क्या होगा, लेकिन हमें आज अपना सर्वश्रेष्ठ देना चाहिए।”
गाँव के युवाओं ने ध्यान से सुना। गुरुजी ने आगे कहा, “जैसे हवा का रुख हम नहीं जान सकते, वैसे ही जीवन की घटनाएँ भी अनिश्चित हैं। यदि तुम बादलों को देखकर बैठ जाओगे, तो कभी बीज नहीं बो पाओगे। और यदि तूफान के डर से खेत जोतना बंद कर दोगे, तो फसल कैसे काटोगे? इसलिए, जो कुछ तुम्हारे हाथ में है, उसे पूरे मन से करो।”
गुरुजी ने एक कहानी सुनाई, “एक बार एक किसान था। वह हर सुबह अपने खेत में जाता और बीज बोता। कुछ बीज पथरीली जमीन पर गिरते, कुछ झाड़ियों में, और कुछ उपजाऊ मिट्टी में। किसान को पता नहीं था कि कौन सा बीज अंकुरित होगा, लेकिन वह हर दिन अपना काम करता रहा। समय आने पर, उसके खेत में भरपूर फसल हुई। इसी तरह, हमें भी परमेश्वर पर भरोसा रखते हुए अपना कर्म करना चाहिए।”
गुरुजी ने आगे कहा, “जीवन में अंधेरा और उजाला दोनों होते हैं। जैसे सुबह का प्रकाश धीरे-धीरे फैलता है, वैसे ही परमेश्वर की योजनाएँ भी समय के साथ स्पष्ट होती हैं। यदि तुम धैर्य रखोगे और परमेश्वर पर भरोसा रखोगे, तो वह तुम्हारे जीवन को सुंदर बनाएगा।”
गाँव के युवाओं ने गुरुजी की बातों को गहराई से समझा। उन्होंने महसूस किया कि जीवन में सफलता पाने के लिए परिश्रम और विश्वास दोनों जरूरी हैं। गुरुजी ने अंत में कहा, “याद रखो, जवानी के दिनों में अपने सृजनहार को याद करो। जीवन के हर पल को आनंद और उत्साह के साथ जियो, क्योंकि यह परमेश्वर का उपहार है।”
गाँव के लोग गुरुजी की बातों से प्रेरित हुए और उन्होंने अपने जीवन में परमेश्वर की इच्छा को समझने का प्रयास किया। उन्होंने सीखा कि जीवन की अनिश्चितताओं के बीच भी, परमेश्वर पर भरोसा रखना और अपना कर्म करना ही सच्ची सफलता का मार्ग है।
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यह कहानी हमें सिखाती है कि जीवन में हमें परमेश्वर की इच्छा के प्रति समर्पित रहना चाहिए और हर पल को सार्थक बनाने का प्रयास करना चाहिए। एक्लेसियास्तेस 11 का संदेश हमें यह याद दिलाता है कि परमेश्वर की योजनाएँ हमारी समझ से परे हैं, लेकिन वह हमारे जीवन को सुंदर और सार्थक बनाता है।