पवित्र बाइबल

नहेम्याह की प्रार्थना और यरूशलेम की पुनर्स्थापना

यह कहानी नहेम्याह की पुस्तक के पहले अध्याय पर आधारित है, जो हमें एक ऐसे व्यक्ति की प्रेरणादायक गाथा सुनाती है जो परमेश्वर की इच्छा को पूरा करने के लिए अपने दिल की गहराई से प्रार्थना करता है। यह कहानी हिंदी में विस्तार से बताई गई है, जिसमें विवरण और भावनाओं को जीवंत किया गया है।

### नहेम्याह की प्रार्थना और यरूशलेम की दुर्दशा

बाबुल के महल में, राजा अर्तक्षत्र के शासनकाल के बीसवें वर्ष में, नहेम्याह नामक एक व्यक्ति रहता था। वह एक यहूदी था और राजा के सेवक के रूप में काम करता था। नहेम्याह एक ईमानदार और परमेश्वर से डरने वाला व्यक्ति था, जो अपने लोगों और उनकी परेशानियों के बारे में गहराई से सोचता था। एक दिन, उसके भाई हननी और कुछ अन्य यहूदी यरूशलेम से आए। नहेम्याह ने उनसे यरूशलेम और उनके लोगों के बारे में पूछा।

हननी ने उत्तर दिया, “भाई, जो लोग बंधुआई से बच गए हैं, वे यरूशलेम में बड़ी दुर्दशा में हैं। शहर की दीवारें गिरी हुई हैं, और उसके फाटक जलकर राख हो गए हैं। हमारे लोगों पर शत्रुओं का आतंक छाया हुआ है, और वे निराश और हताश हैं।”

यह सुनकर नहेम्याह का हृदय टूट गया। वह बैठ गया और रोने लगा। उसने कई दिनों तक शोक मनाया, उपवास किया, और परमेश्वर के सामने प्रार्थना करता रहा। उसकी प्रार्थना में उसके दिल की गहराई से निकली हुई विनती थी।

### नहेम्याह की प्रार्थना

नहेम्याह ने परमेश्वर से कहा, “हे स्वर्ग के परमेश्वर, हे महान और भययोग्य प्रभु, तू अपने वाचा को मानने वालों से प्रेम करता है और उनके लिए करुणा रखता है जो तेरी आज्ञाओं का पालन करते हैं। कृपा करके अपना कान लगा और अपनी आँखें खोल, ताकि तू अपने दास की प्रार्थना सुन सके, जो मैं तेरे सामने दिन-रात कर रहा हूँ। मैं तेरे दास इस्राएल के लोगों के पापों को स्वीकार करता हूँ, जो हमने तेरे विरुद्ध किए हैं। मैं और मेरे पिता के घराने ने पाप किया है। हमने तेरे विरुद्ध बुराई की है और तेरी आज्ञाओं, विधियों, और नियमों का पालन नहीं किया है, जो तूने अपने दास मूसा को दिए थे।”

नहेम्याह ने अपनी प्रार्थना जारी रखी, “कृपया उन वचनों को याद कर जो तूने अपने दास मूसा से कहा था: ‘यदि तुम विश्वासघाती हो जाओगे, तो मैं तुम्हें जाति-जाति में बिखेर दूंगा। परन्तु यदि तुम मेरे पास लौट आओगे और मेरी आज्ञाओं का पालन करोगे, तो मैं तुम्हें दूर-दूर के स्थानों से इकट्ठा करूंगा और तुम्हें उस स्थान पर ले आऊंगा जो मैंने तुम्हारे निवास के लिए चुना है।’ हे प्रभु, ये तेरे दास और तेरी प्रजा के लोग हैं, जिन्हें तूने अपने बल और बड़े हाथ से छुड़ाया है। हे प्रभु, कृपया मेरी प्रार्थना सुन, और उनकी प्रार्थना सुन जो तेरे नाम का भय मानते हैं। मुझे आज सफलता दे, और इस व्यक्ति (राजा अर्तक्षत्र) के सामने मुझ पर दया कर।”

### नहेम्याह का दृढ़ संकल्प

नहेम्याह की प्रार्थना उसके हृदय की गहराई से निकली थी। वह जानता था कि परमेश्वर उसकी सुनता है और उसकी विनती को स्वीकार करेगा। उसने अपने मन में यह निश्चय किया कि वह यरूशलेम की दीवारों को फिर से बनाने के लिए कदम उठाएगा। वह जानता था कि यह काम आसान नहीं होगा, लेकिन परमेश्वर की सहायता से सब कुछ संभव है।

नहेम्याह ने अपने आप को तैयार किया और राजा के सामने जाने का साहस जुटाया। वह जानता था कि राजा की अनुमति के बिना यह काम नहीं हो सकता। परमेश्वर पर भरोसा रखते हुए, उसने अपने मन में यह ठान लिया कि वह अपने लोगों की मदद करेगा और यरूशलेम को फिर से महिमा दिलाएगा।

यह कहानी हमें सिखाती है कि परमेश्वर के सामने विनम्रता और विश्वास के साथ प्रार्थना करने का कितना महत्व है। नहेम्याह ने अपने लोगों की दुर्दशा को देखकर निराश नहीं हुआ, बल्कि उसने परमेश्वर की शक्ति और करुणा पर भरोसा किया। उसकी प्रार्थना और दृढ़ संकल्प हमें प्रेरणा देते हैं कि हम भी अपने जीवन में परमेश्वर की इच्छा को पूरा करने के लिए साहस और विश्वास के साथ आगे बढ़ें।

LEAVE A RESPONSE

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *