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तूर का गर्व और परमेश्वर का न्याय

यशायाह 23 की कहानी एक ऐसे समय की है जब तूर, एक महान और समृद्ध व्यापारिक शहर, अपने गर्व और धन के कारण परमेश्वर के न्याय का सामना करता है। यह कहानी न केवल तूर के पतन को दर्शाती है, बल्कि यह भी सिखाती है कि मनुष्य का अहंकार और भौतिक संपत्ति पर भरोसा उसके विनाश का कारण बन सकता है। यहां इस कहानी को विस्तार से और जीवंत वर्णन के साथ प्रस्तुत किया गया है:

### तूर का गर्व और उसका पतन

तूर, जो कि भूमध्य सागर के किनारे स्थित एक प्राचीन और समृद्ध नगर था, अपने व्यापार और धन के लिए प्रसिद्ध था। यह शहर व्यापारियों और नाविकों का केंद्र था, जहां दुनिया भर से माल आता और जाता था। तूर के लोग अपने जहाजों के माध्यम से दूर-दूर तक व्यापार करते थे और उनकी संपत्ति और शक्ति ने उन्हें अहंकारी बना दिया था। वे अपने धन और सामर्थ्य पर इतना भरोसा करते थे कि परमेश्वर को भूल गए।

एक दिन, परमेश्वर ने यशायाह नबी को तूर के बारे में एक संदेश दिया। यशायाह ने तूर के लोगों को चेतावनी दी कि उनका गर्व और अहंकार उनके विनाश का कारण बनेगा। परमेश्वर ने कहा, “तूर, हे व्यापारिक नगर, तेरे जहाजों की गर्जना और तेरे धन की चमक नष्ट हो जाएगी। तू जो अपने आप को अजेय समझता है, वह दिन आएगा जब तेरे महल और बाजार खंडहर बन जाएंगे।”

यशायाह ने तूर के लोगों को बताया कि परमेश्वर उनके पापों के लिए उन्हें दंड देगा। तूर ने न केवल अपने धन पर भरोसा किया था, बल्कि उन्होंने अन्य राष्ट्रों के साथ अनैतिक व्यापार और गठजोड़ किया था। उन्होंने परमेश्वर की आज्ञाओं को नजरअंदाज कर दिया था और अपने ही बल पर भरोसा किया था।

### तूर का विनाश

परमेश्वर का न्याय तूर पर आ गया। एक दिन, तूर के बंदरगाह में अचानक एक भयंकर तूफान आया। तूर के जहाज, जो कभी समुद्र पर राज करते थे, उस तूफान में टूटकर बिखर गए। तूर के व्यापारी, जो कभी दुनिया भर में अपने माल का व्यापार करते थे, अब अपने जहाजों के मलबे को देखकर रोने लगे। तूर के महल और बाजार, जो कभी सोने और चांदी से सजे होते थे, अब खंडहर में बदल गए।

तूर के पड़ोसी राष्ट्र, जो कभी तूर के साथ व्यापार करते थे, अब उसके विनाश को देखकर दुखी हुए। सिदोन, तूर का पड़ोसी शहर, यह देखकर चिंतित हो गया कि कहीं उसका भी यही हाल न हो। सिदोन के लोगों ने कहा, “तूर, जो कभी हमारा गर्व था, अब नष्ट हो गया है। हमें भी अपने कर्मों पर विचार करना चाहिए।”

### तूर की पुनर्स्थापना

हालांकि, परमेश्वर की दया असीम है। यशायाह ने यह भी भविष्यवाणी की कि तूर का विनाश सदा के लिए नहीं होगा। परमेश्वर ने कहा, “सत्तर वर्षों के बाद, तूर फिर से उठेगा। उसका व्यापार फिर से फलने-फूलने लगेगा, लेकिन इस बार वह अपने धन को परमेश्वर की सेवा में लगाएगा।”

सत्तर वर्षों के बाद, तूर फिर से बस गया। इस बार, तूर के लोगों ने अपने पापों से पश्चाताप किया और परमेश्वर की आराधना करने लगे। उन्होंने अपने धन और संपत्ति का उपयोग परमेश्वर की महिमा के लिए किया। तूर के व्यापारी अब केवल धन कमाने के लिए नहीं, बल्कि परमेश्वर की इच्छा पूरी करने के लिए काम करते थे।

### सीख

तूर की कहानी हमें यह सिखाती है कि मनुष्य का अहंकार और भौतिक संपत्ति पर भरोसा उसके पतन का कारण बन सकता है। परमेश्वर चाहता है कि हम उस पर भरोसा रखें और उसकी आज्ञाओं का पालन करें। जब हम अपने पापों से पश्चाताप करते हैं और परमेश्वर की ओर लौटते हैं, तो वह हमें नया जीवन और आशीष देता है।

तूर की कहानी हमें यह भी याद दिलाती है कि परमेश्वर का न्याय निष्पक्ष है, लेकिन उसकी दया अनंत है। हमें हमेशा परमेश्वर के प्रति विनम्र और आज्ञाकारी रहना चाहिए, ताकि हम उसकी आशीषों का आनंद ले सकें।

यह कहानी यशायाह 23 के आधार पर लिखी गई है और इसमें परमेश्वर के न्याय और दया के बारे में गहरी सीख छिपी हुई है।

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