2 कुरिन्थियों 8 की कहानी को एक विस्तृत और जीवंत रूप में प्रस्तुत करते हुए, हम उस समय की ओर चलते हैं जब प्रेरित पौलुस ने कुरिन्थियों के विश्वासियों को एक महत्वपूर्ण संदेश लिखा। यह संदेश उदारता और दानशीलता के बारे में था, जो मसीही जीवन का एक अभिन्न अंग है। पौलुस ने इस अध्याय में मकिदुनिया की कलीसियाओं के उदाहरण का उल्लेख किया, जिन्होंने अपनी गरीबी के बावजूद भी दान देने में बड़ी उदारता दिखाई।
### कहानी का आरंभ
एक बार की बात है, जब पौलुस मकिदुनिया की कलीसियाओं के बीच से गुजर रहा था। वहाँ के विश्वासियों ने उसे बताया कि यरूशलेम की कलीसिया गरीबी और संकट से जूझ रही है। यह सुनकर पौलुस का हृदय द्रवित हो गया। उसने सोचा कि कैसे अन्य कलीसियाएँ यरूशलेम की कलीसिया की मदद कर सकती हैं। पौलुस ने मकिदुनिया की कलीसियाओं को इस बारे में बताया, और उन्होंने तुरंत ही मदद करने का निर्णय लिया।
मकिदुनिया की कलीसियाएँ स्वयं भी गरीबी में जीवन यापन कर रही थीं, लेकिन उन्होंने अपने हृदयों में मसीह की प्रेमभरी भावना को महसूस किया। उन्होंने न केवल अपनी सामर्थ्य के अनुसार, बल्कि उससे भी अधिक देने का निर्णय लिया। पौलुस ने देखा कि वे स्वेच्छा से और पूरे मन से दान दे रहे थे। यह देखकर पौलुस बहुत प्रसन्न हुआ और उसने इस बात को कुरिन्थियों की कलीसिया को लिखकर बताया।
### पौलुस का संदेश
पौलुस ने कुरिन्थियों को लिखा, “हे भाइयों और बहनों, मैं आपको मकिदुनिया की कलीसियाओं की उदारता के बारे में बताना चाहता हूँ। उन्होंने अपनी गरीबी के बावजूद भी बड़ी उदारता दिखाई। वे न केवल अपनी सामर्थ्य के अनुसार, बल्कि उससे भी अधिक देने के लिए तैयार हो गए। उन्होंने स्वेच्छा से और पूरे मन से दान दिया, यहाँ तक कि उन्होंने अपने आप को प्रभु और हमारे लिए समर्पित कर दिया।”
पौलुस ने आगे लिखा, “मैंने तीतुस को आपके पास भेजा है, ताकि वह इस दान के कार्य को पूरा करने में आपकी मदद कर सके। आपने पहले ही इस कार्य को शुरू कर दिया है, और अब इसे पूरा करने का समय आ गया है। जैसे आपने इच्छा और उत्साह दिखाया है, वैसे ही अब इसे पूरा करने के लिए तैयार हो जाइए। क्योंकि यदि इच्छा सच्ची है, तो वह उसके पास मौजूद चीज़ों के अनुसार स्वीकार्य होती है, न कि उसके पास न होने के अनुसार।”
### यीशु मसीह का उदाहरण
पौलुस ने कुरिन्थियों को यीशु मसीह के उदाहरण की याद दिलाई। उसने लिखा, “आप हमारे प्रभु यीशु मसीह के अनुग्रह को जानते हैं। वह धनी थे, फिर भी आपके लिए वे गरीब बन गए, ताकि उनकी गरीबी के द्वारा आप धनी बन सकें। यह उनकी महान उदारता और प्रेम का प्रमाण है। और अब, मैं आपसे अनुरोध करता हूँ कि आप भी इसी तरह की उदारता दिखाएँ।”
पौलुस ने कुरिन्थियों को यह भी याद दिलाया कि दान देने का उद्देश्य केवल धन इकट्ठा करना नहीं है, बल्कि यह हृदय की भावना और प्रेम का प्रदर्शन है। उसने लिखा, “यह नहीं कि दूसरों को आराम मिले और आपको कष्ट, बल्कि यह कि समानता हो। वर्तमान समय में आपकी अधिकता उनकी कमी को पूरा करे, ताकि बाद में उनकी अधिकता आपकी कमी को पूरा कर सके। इस तरह समानता होगी।”
### कुरिन्थियों की प्रतिक्रिया
कुरिन्थियों ने पौलुस के संदेश को सुनकर गहराई से सोचा। उन्होंने महसूस किया कि उन्हें भी मकिदुनिया की कलीसियाओं की तरह उदारता दिखानी चाहिए। उन्होंने निर्णय लिया कि वे यरूशलेम की कलीसिया की मदद के लिए धन इकट्ठा करेंगे और उसे भेजेंगे। उन्होंने तीतुस और अन्य भाइयों के साथ मिलकर इस कार्य को पूरा करने का संकल्प लिया।
पौलुस ने कुरिन्थियों की इस प्रतिक्रिया से बहुत प्रसन्नता महसूस की। उसने लिखा, “मैं आपकी उदारता और तैयारी के लिए परमेश्वर का धन्यवाद करता हूँ। आपका यह कार्य न केवल यरूशलेम की कलीसिया की मदद करेगा, बल्कि यह परमेश्वर की महिमा का कारण भी बनेगा।”
### निष्कर्ष
इस तरह, 2 कुरिन्थियों 8 की कहानी हमें उदारता और दानशीलता का महत्व सिखाती है। यह हमें याद दिलाती है कि हमारा दान केवल धन तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि यह हमारे हृदय की भावना और प्रेम का प्रदर्शन होना चाहिए। जैसे यीशु मसीह ने हमारे लिए अपना सब कुछ दिया, वैसे ही हमें भी दूसरों की मदद के लिए तैयार रहना चाहिए। यही सच्चा मसीही जीवन है।