2 राजाओं 16 की कहानी यहूदा के राजा आहाज के बारे में है, जो यरूशलेम में राज करता था। आहाज यहोवा की दृष्टि में बुरा काम करने वाला राजा था। उसने अपने पूर्वजों के मार्ग पर नहीं चला, बल्कि उसने इस्राएल के राजाओं के तरीकों को अपनाया और यहाँ तक कि अपने बेटे को भी आग में होमबलि चढ़ाया, जो कि यहोवा के सामने घृणित कर्म था।
आहाज के शासनकाल में, अराम के राजा रसीन और इस्राएल के राजा पेकह ने यरूशलेम पर चढ़ाई की। वे यहूदा पर हमला करने के लिए एकजुट हुए, लेकिन वे यरूशलेम को जीत नहीं पाए। यह देखकर आहाज घबरा गया। उसने यहोवा से मदद माँगने के बजाय, अश्शूर के राजा तिगलतपिलेसेर के पास दूत भेजे और उससे कहा, “मैं तेरा दास और तेरा पुत्र हूँ। मेरे पास आ और मुझे अराम और इस्राएल के राजाओं के हाथ से बचा।”
आहाज ने यहोवा के मंदिर और राजभंडार से चाँदी और सोना लेकर अश्शूर के राजा को भेंट के रूप में भेजा। तिगलतपिलेसेर ने आहाज की बात सुनी और दमिश्क पर चढ़ाई करके उसे जीत लिया। उसने अराम के राजा रसीन को मार डाला और अराम के लोगों को बंदी बना लिया।
इसके बाद, आहाज दमिश्क गया जहाँ तिगलतपिलेसेर से मिलने के लिए वह गया। वहाँ उसने एक वेदी देखी जो उसे बहुत पसंद आई। उसने उस वेदी का चित्र और नक्शा बनवाया और यरूशलेम लौटकर यहोवा के मंदिर में उसी के अनुसार एक वेदी बनवाई। आहाज ने याजक उरिय्याह को आदेश दिया कि वह इस नई वेदी पर होमबलि, अन्नबलि, और मदिराबलि चढ़ाए। उरिय्याह ने राजा के आदेश का पालन किया।
आहाज ने यहोवा के मंदिर में पहले से मौजूद कांसे की वेदी को हटा दिया और उसे मंदिर के उत्तरी भाग में रखवा दिया। उसने कहा, “इस वेदी का उपयोग मैं अपने निजी विचारों के लिए करूँगा।” उसने यहोवा के मंदिर के अन्य सामानों को भी बदल दिया और उन्हें अपने तरीके से इस्तेमाल करने लगा।
आहाज के इन कार्यों से यहोवा का क्रोध भड़क उठा। उसने यहूदा के लोगों को चेतावनी दी कि वे अपने राजा के बुरे मार्ग पर न चलें, लेकिन लोगों ने उसकी बात नहीं मानी। आहाज ने यहोवा की आज्ञाओं को तोड़ा और दूसरे देवताओं की पूजा करने लगा। उसने यहोवा के मंदिर को अपवित्र किया और उसमें मूर्तियाँ स्थापित कीं।
आहाज के शासनकाल के अंत में, यहूदा में अराजकता और अशांति फैल गई। यहोवा ने उसे और उसके लोगों को दण्ड दिया, क्योंकि उन्होंने उसकी आज्ञाओं को तोड़ दिया था। आहाज की मृत्यु के बाद, उसका पुत्र हिजकिय्याह राजा बना, जो अपने पिता के विपरीत यहोवा की दृष्टि में धर्मी था।
इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि यहोवा की आज्ञाओं को तोड़ने और दूसरे देवताओं की पूजा करने से केवल विनाश ही होता है। आहाज का जीवन हमें चेतावनी देता है कि हमें सदैव यहोवा के मार्ग पर चलना चाहिए और उसकी आज्ञाओं का पालन करना चाहिए।