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लैव्यव्यवस्था 15: पवित्रता और शुद्धता की शिक्षा

लैव्यव्यवस्था 15 की कहानी हिंदी में:

एक समय की बात है, जब इस्राएल के लोग सीनै पर्वत के पास डेरा डाले हुए थे। वे परमेश्वर की आज्ञाओं को सीख रहे थे और उनके अनुसार जीवन जीने का प्रयास कर रहे थे। परमेश्वर ने मूसा के माध्यम से उन्हें पवित्रता और शुद्धता के बारे में सिखाया। उन दिनों, परमेश्वर ने लैव्यव्यवस्था 15 में विस्तार से बताया कि कैसे लोगों को शारीरिक अशुद्धता से बचना चाहिए और कैसे वे फिर से पवित्र हो सकते हैं।

एक दिन, मूसा ने लोगों को इकट्ठा किया और उन्हें परमेश्वर की आज्ञाएँ सुनाईं। उसने कहा, “हे इस्राएल के लोगों, परमेश्वर ने हमें पवित्रता के बारे में सिखाया है। यदि किसी पुरुष को शारीरिक स्राव होता है, तो वह अशुद्ध हो जाता है। उसे अपने आप को अलग रखना चाहिए और किसी से स्पर्श नहीं करना चाहिए। यदि कोई उसे छूता है, तो वह भी अशुद्ध हो जाएगा।”

मूसा ने आगे कहा, “यदि कोई व्यक्ति ऐसी अशुद्धता से ग्रस्त है, तो उसे सात दिनों तक शुद्ध होने की प्रतीक्षा करनी चाहिए। सातवें दिन, उसे अपने कपड़े धोने चाहिए और पानी से नहाना चाहिए। तब वह शुद्ध हो जाएगा।”

फिर मूसा ने महिलाओं के बारे में भी बताया। उसने कहा, “यदि किसी स्त्री को मासिक धर्म होता है, तो वह सात दिनों तक अशुद्ध रहेगी। जो कोई उसे छूता है, वह भी अशुद्ध हो जाएगा। सातवें दिन, उसे पानी से नहाना चाहिए और अपने कपड़े धोने चाहिए। तब वह शुद्ध हो जाएगी।”

मूसा ने यह भी बताया कि यदि कोई व्यक्ति या स्त्री अशुद्ध हो, तो वे पवित्र स्थान में प्रवेश नहीं कर सकते। उन्हें परमेश्वर के सामने पवित्र होना चाहिए। मूसा ने कहा, “परमेश्वर हमारे बीच रहता है, और हमें उसकी पवित्रता का सम्मान करना चाहिए।”

लोगों ने मूसा की बातें ध्यान से सुनीं और उन्हें समझने का प्रयास किया। वे जानते थे कि परमेश्वर की आज्ञाएँ उनके लिए कल्याणकारी हैं। उन्होंने प्रतिज्ञा की कि वे इन नियमों का पालन करेंगे और अपने जीवन को पवित्र बनाएंगे।

कुछ दिनों बाद, एक युवक जिसका नाम एलीशाफा था, को शारीरिक स्राव होने लगा। वह जानता था कि वह अशुद्ध हो गया है। उसने तुरंत अपने परिवार को बताया और खुद को अलग कर लिया। वह किसी को छूने से बचता रहा और अपने कपड़े धोता रहा। सात दिनों तक उसने प्रतीक्षा की, और सातवें दिन उसने पानी से नहाया और अपने कपड़े धोए। तब वह शुद्ध हो गया और अपने परिवार के साथ रहने लगा।

इसी तरह, एक स्त्री जिसका नाम मिरियम था, को मासिक धर्म होने लगा। उसने भी मूसा की सिखाई हुई बातों का पालन किया। वह सात दिनों तक अलग रही और किसी को छूने से बचती रही। सातवें दिन, उसने पानी से नहाया और अपने कपड़े धोए। तब वह शुद्ध हो गई और अपने परिवार के साथ रहने लगी।

इस्राएल के लोगों ने देखा कि परमेश्वर की आज्ञाएँ उनके जीवन को व्यवस्थित और पवित्र बनाती हैं। वे समझ गए कि पवित्रता केवल बाहरी नहीं, बल्कि आंतरिक भी होनी चाहिए। उन्होंने परमेश्वर की आराधना की और उसकी आज्ञाओं का पालन करने का संकल्प लिया।

इस तरह, इस्राएल के लोगों ने लैव्यव्यवस्था 15 के नियमों को अपने जीवन में लागू किया और परमेश्वर की पवित्रता का सम्मान किया। वे जानते थे कि परमेश्वर उनके बीच रहता है और उन्हें पवित्र जीवन जीने के लिए बुलाया है।

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