पवित्र बाइबल

दाऊद का अंधकार से प्रकाश की ओर सफर

एक समय की बात है, जब दाऊद, जो एक महान राजा और परमेश्वर के प्रिय सेवक थे, अपने जीवन में गहरे संकट से गुजर रहे थे। उनके आसपास के लोग उनके विरुद्ध षड्यंत्र रच रहे थे, और उनका मन अंधकार से घिरा हुआ था। उन्हें लग रहा था कि परमेश्वर ने उन्हें छोड़ दिया है, और वे अकेलेपन और निराशा के गहरे कुएं में डूबते जा रहे थे। उस समय, दाऊद ने परमेश्वर से प्रार्थना की, जो भजन संहिता 43 में दर्ज है।

दाऊद ने अपने हृदय की गहराई से पुकारा, “हे परमेश्वर, मेरा न्याय कर, और मेरे विरुद्ध खड़े होने वाले अधर्मी लोगों से मेरा बचाव कर। तू ही मेरी सहायता करने वाला है, फिर मुझे क्यों त्याग दिया गया है? मैं क्यों अपने शत्रुओं के कारण दुखी होकर इधर-उधर भटक रहा हूँ?”

दाऊद के चारों ओर अंधकार छाया हुआ था। उनके शत्रु उन पर हंस रहे थे, और उनके मित्र भी उन्हें छोड़कर चले गए थे। उनका मन भारी था, और उनकी आत्मा विलाप कर रही थी। वे जानते थे कि परमेश्वर उनके साथ है, लेकिन उन्हें लग रहा था कि उनकी प्रार्थनाएँ आकाश तक नहीं पहुँच रही हैं। फिर भी, दाऊद ने हार नहीं मानी। उन्होंने परमेश्वर से विनती की, “हे परमेश्वर, अपना प्रकाश और अपनी सच्चाई भेज, ताकि वे मेरा मार्गदर्शन करें। वे मुझे तेरे पवित्र पर्वत और तेरे निवास स्थान तक ले चलें।”

दाऊद ने अपने मन में परमेश्वर के प्रकाश की कल्पना की। वह प्रकाश जो अंधकार को दूर कर देता है, जो सच्चाई और न्याय का प्रतीक है। उन्होंने महसूस किया कि यही प्रकाश उन्हें उस स्थान तक ले जाएगा जहाँ परमेश्वर का निवास है, जहाँ शांति और आनंद है। उन्होंने परमेश्वर से कहा, “तब मैं परमेश्वर के वेदी के पास जाऊँगा, परमेश्वर के पास, जो मेरे आनंद और मेरी खुशी का स्रोत है। मैं वीणा बजाते हुए तेरी स्तुति करूँगा, हे परमेश्वर, मेरे परमेश्वर।”

दाऊद ने अपने मन को सांत्वना दी। उन्होंने खुद से कहा, “हे मेरी आत्मा, तू क्यों उदास है? तू क्यों व्याकुल है? परमेश्वर पर भरोसा रख, क्योंकि मैं अभी भी उसकी स्तुति करूँगा, जो मेरे मुख का उद्धार और मेरा परमेश्वर है।”

दाऊद ने महसूस किया कि परमेश्वर का प्रकाश उनके हृदय में प्रवेश कर रहा है। उनका अंधकार धीरे-धीरे दूर होने लगा, और उनकी आत्मा में शांति और आनंद की लहर दौड़ गई। उन्होंने परमेश्वर की महिमा गाने का निश्चय किया, चाहे उनके आसपास का वातावरण कितना भी कठिन क्यों न हो।

दाऊद की यह कहानी हमें सिखाती है कि जब हमारे जीवन में अंधकार छा जाए, तो हमें परमेश्वर के प्रकाश और सच्चाई की ओर देखना चाहिए। हमें उस पर भरोसा रखना चाहिए, क्योंकि वही हमारा उद्धारकर्ता और सहायक है। चाहे हमारी परिस्थितियाँ कितनी भी कठिन क्यों न हों, परमेश्वर हमेशा हमारे साथ है, और वह हमें अपने पवित्र स्थान तक ले जाएगा, जहाँ हम उसकी महिमा का गान कर सकते हैं।

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