पवित्र बाइबल

परमेश्वर की शरण में सच्ची सुरक्षा और शांति

भजन संहिता 11 की कहानी को एक विस्तृत और जीवंत रूप में प्रस्तुत करते हुए, हम एक ऐसे व्यक्ति की कहानी सुनाते हैं जो परमेश्वर में अपना विश्वास रखता है और उसकी सुरक्षा में शरण लेता है। यह कहानी हमें यह सिखाती है कि जब संसार में अराजकता और बुराई बढ़ती है, तब भी परमेश्वर की न्यायप्रियता और सुरक्षा हमारे लिए सबसे बड़ा आधार है।

एक समय की बात है, एक छोटे से गाँव में दाऊद नाम का एक व्यक्ति रहता था। दाऊद परमेश्वर का भक्त था और उसका हृदय सदैव प्रभु की इच्छा के अनुसार चलता था। वह गाँव के लोगों के बीच प्रेम और न्याय का प्रतीक था। लेकिन एक दिन, गाँव में अचानक अशांति फैल गई। कुछ दुष्ट लोगों ने गाँव में अपना आतंक फैलाना शुरू कर दिया। वे निर्दोष लोगों को डराते, उनका धन लूटते, और उन पर अत्याचार करते। गाँव के लोग भयभीत हो गए और उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि वे क्या करें।

दाऊद के मित्रों ने उसे चेतावनी दी, “दाऊद, तुम्हें यहाँ से भाग जाना चाहिए। ये दुष्ट लोग तुम्हारे विरुद्ध हैं क्योंकि तुम नेक हो और परमेश्वर के मार्ग पर चलते हो। वे तुम्हें नष्ट कर देंगे। पहाड़ों की ओर भाग जाओ और वहाँ छिप जाओ।”

लेकिन दाऊद का हृदय अडिग था। वह जानता था कि परमेश्वर उसके साथ है। उसने अपने मित्रों से कहा, “मैं क्यों भागूँ? मेरा विश्वास परमेश्वर में है। वही मेरी शरणस्थली है। जब संसार में अराजकता फैलती है, तब भी परमेश्वर अपने सिंहासन पर विराजमान है। उसकी आँखें सब कुछ देखती हैं, और उसके कान हर पुकार सुनते हैं। वह धर्मी का न्याय करेगा और दुष्टों को उनके कर्मों का फल देगा।”

दाऊद ने अपने हृदय में प्रार्थना की, “हे प्रभु, तू ही मेरी शक्ति और मेरा आश्रय है। तू ने आकाश को अपना सिंहासन बनाया है, और पृथ्वी तेरे चरणों की चौकी है। तू धर्मी को जाँचता है, और दुष्टों के मन को तू घृणा करता है। जो लोग हिंसा और अत्याचार करते हैं, उन पर तू आग और गंधक की वर्षा करेगा। क्योंकि तू न्यायी है, और तेरी दृष्टि सब कुछ देखती है।”

दाऊद की प्रार्थना सुनकर, परमेश्वर ने उसके हृदय में शांति भर दी। वह जानता था कि चाहे संसार कितना भी अंधकारमय क्यों न हो जाए, परमेश्वर की रोशनी हमेशा उसके साथ है। दाऊद ने अपने गाँव के लोगों को इकट्ठा किया और उनसे कहा, “डरो मत, क्योंकि परमेश्वर हमारे साथ है। वह हमारी रक्षा करेगा और दुष्टों को उनके कर्मों का फल देगा। हमें केवल उस पर भरोसा रखना है।”

कुछ ही दिनों बाद, परमेश्वर का न्याय प्रकट हुआ। दुष्ट लोगों के षड्यंत्र विफल हो गए, और वे आपस में ही लड़ने लगे। उनके हृदय में डर और अशांति भर गई, और वे गाँव से भाग खड़े हुए। गाँव के लोगों ने देखा कि परमेश्वर ने उनकी रक्षा की है, और उनका विश्वास और भी दृढ़ हो गया।

दाऊद ने फिर से परमेश्वर की स्तुति की, “हे प्रभु, तू महान है! तेरा न्याय सदैव सच्चा है। तू ने हमारी रक्षा की और दुष्टों को उनके कर्मों का फल दिया। तेरी दया अनंत है, और तेरा प्रेम हमेशा हमारे साथ है।”

इस तरह, दाऊद और उसके गाँव के लोगों ने सीखा कि परमेश्वर की शरण में ही सच्ची सुरक्षा और शांति है। चाहे संसार कितना भी अशांत क्यों न हो, परमेश्वर हमेशा अपने लोगों की रक्षा करता है और उन्हें न्याय प्रदान करता है।

यह कहानी हमें यह सिखाती है कि जब हम परमेश्वर पर भरोसा रखते हैं, तो हमें किसी भी परिस्थिति में डरने की आवश्यकता नहीं है। परमेश्वर हमारी शरणस्थली है, और वह हमेशा हमारे साथ है। उसका न्याय सच्चा है, और वह हमें हर संकट से बचाएगा।

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