**लैव्यवस्था 26 की कहानी: आज्ञाकारिता और आशीष, अवज्ञा और दण्ड**
एक समय की बात है, जब इस्राएल के लोग सीनै पर्वत के पास डेरा डाले हुए थे। परमेश्वर ने मूसा को बुलाया और उनसे कहा, “मूसा, मेरे लोगों के पास जाओ और उन्हें मेरी आज्ञाएं सुनाओ। यदि वे मेरे नियमों का पालन करेंगे और मेरी आज्ञाओं को मानेंगे, तो मैं उन्हें अद्भुत आशीषें दूंगा।”
मूसा ने इस्राएल के लोगों को इकट्ठा किया और उनसे कहा, “हे इस्राएल के लोगो, सुनो! परमेश्वर तुम्हें आशीष देना चाहता है। यदि तुम उसकी आज्ञाओं का पालन करोगे और उसके नियमों पर चलोगे, तो वह तुम्हें धरती पर अनगिनत आशीषें देगा।”
मूसा ने आगे कहा, “परमेश्वर तुम्हें वर्षा देगा, जो तुम्हारी फसलों को हरा-भरा करेगी। तुम्हारे खेत अनाज से भर जाएंगे, और तुम्हारे बाग-बगीचे फलों से लद जाएंगे। तुम्हारे पशु बहुतायत से बढ़ेंगे, और तुम्हारे झुंड फैलेंगे। तुम्हारी भूमि शांति से भर जाएगी, और तुम्हारे शत्रु तुम्हारे सामने हार मानेंगे। परमेश्वर तुम्हारे बीच रहेगा और तुम्हें सुरक्षा प्रदान करेगा।”
लोगों ने मूसा की बातें सुनीं और उनके मन में आशा जागी। वे समझ गए कि परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करने से उन्हें बड़ी आशीषें मिलेंगी। मूसा ने आगे कहा, “परमेश्वर तुम्हें इतना अन्न देंगे कि तुम्हें उसे संग्रह करने के लिए पुराना अन्न बाहर निकालना पड़ेगा। तुम्हारे भंडार हमेशा भरे रहेंगे, और तुम्हारे घरों में खुशहाली होगी।”
किंतु मूसा ने लोगों को चेतावनी भी दी, “यदि तुम परमेश्वर की आज्ञाओं को नहीं मानोगे और उसके नियमों को तोड़ोगे, तो तुम्हारे लिए दण्ड निश्चित है। परमेश्वर तुम्हें भय और बीमारी से दण्डित करेगा। तुम्हारी फसलें नष्ट हो जाएंगी, और तुम्हारे पशु मर जाएंगे। तुम्हारे शत्रु तुम पर हावी हो जाएंगे, और तुम्हारी भूमि उजाड़ हो जाएगी।”
मूसा ने गंभीरता से कहा, “यदि तुम फिर भी मेरी बात नहीं मानोगे और मेरे विरुद्ध विद्रोह करोगे, तो मैं तुम्हें और भी कठोर दण्ड दूंगा। तुम्हारे पापों के कारण तुम्हारी भूमि बंजर हो जाएगी, और तुम्हारे शहर खंडहर बन जाएंगे। तुम्हारे दुश्मन तुम्हें बंदी बना लेंगे, और तुम दूसरे देशों में तितर-बितर हो जाओगे।”
लोगों के मन में डर समा गया। मूसा ने आगे कहा, “किंतु यदि तुम अपने पापों को मान लोगे और अपने हृदय को नम्र करोगे, तो परमेश्वर तुम्हें क्षमा करेगा। वह तुम्हें फिर से अपनी प्रजा के रूप में स्वीकार करेगा और तुम्हें तुम्हारी भूमि पर लौटाएगा। वह तुम्हारे साथ अपनी वाचा को नवीनीकृत करेगा और तुम्हें फिर से आशीषें देगा।”
मूसा ने अंत में कहा, “परमेश्वर तुम्हें चुन चुका है। वह तुम्हारा परमेश्वर है, और तुम उसकी प्रजा हो। यदि तुम उसकी आज्ञाओं का पालन करोगे, तो तुम्हारा जीवन समृद्ध और शांतिपूर्ण होगा। किंतु यदि तुम उसकी अवज्ञा करोगे, तो तुम्हारे लिए दुःख और विनाश होगा। इसलिए, आज ही अपने हृदय को परमेश्वर की ओर मोड़ो और उसके मार्ग पर चलो।”
इस्राएल के लोगों ने मूसा की बातें सुनीं और उनके मन में गहरा प्रभाव पड़ा। उन्होंने परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करने का निर्णय लिया, ताकि वे उसकी आशीषों के भागीदार बन सकें। और इस प्रकार, परमेश्वर की महिमा और उसकी दया इस्राएल के लोगों के बीच प्रकट हुई।