एक बार की बात है, जब दाऊद राजा शाऊल के क्रोध से भाग रहा था। शाऊल, जो इज़राइल का पहला राजा था, दाऊद से ईर्ष्या करता था क्योंकि वह जानता था कि परमेश्वर ने दाऊद को अगला राजा चुना है। शाऊल के मन में दाऊद के प्रति घृणा और डर भर गया था, और वह उसे मार डालने के लिए तैयार था। दाऊद को अपनी जान बचाने के लिए जंगलों और पहाड़ों में भटकना पड़ रहा था। वह अकेला और निराश महसूस कर रहा था, लेकिन उसका विश्वास परमेश्वर में अटूट था।
एक दिन, दाऊद ज़िफ़ के रेगिस्तान में छिपा हुआ था। ज़िफ़ के लोगों ने शाऊल को दाऊद के ठिकाने के बारे में बता दिया। वे शाऊल के पास गए और कहा, “हे राजा, दाऊद हमारे यहाँ छिपा हुआ है। क्या आप उसे पकड़ने आएंगे?” शाऊल को यह सुनकर बहुत खुशी हुई, और वह तुरंत अपने सैनिकों के साथ दाऊद को ढूंढने निकल पड़ा।
दाऊद को जब यह पता चला कि ज़िफ़ के लोगों ने उसे धोखा दिया है और शाऊल उसे मारने आ रहा है, तो उसका दिल टूट गया। वह जानता था कि उसके पास कोई मानवीय सहारा नहीं है। उसने अपनी आँखें आकाश की ओर उठाई और परमेश्वर से प्रार्थना करने लगा। उसकी प्रार्थना भजन संहिता 54 के शब्दों में व्यक्त हुई।
दाऊद ने कहा, “हे परमेश्वर, अपने नाम के द्वारा मुझे बचा, और अपनी सामर्थ्य से मेरा न्याय कर। हे परमेश्वर, मेरी प्रार्थना सुन, मेरे शब्दों पर कान लगा। क्योंकि अजनबी मेरे विरुद्ध उठ खड़े हुए हैं, और उत्पीड़क मेरी जान लेना चाहते हैं। उन्होंने परमेश्वर को अपने सामने नहीं रखा।”
दाऊद ने अपने हृदय से परमेश्वर को पुकारा। वह जानता था कि केवल परमेश्वर ही उसे इस संकट से बचा सकता है। उसने परमेश्वर की सामर्थ्य और दया पर भरोसा किया। दाऊद ने कहा, “सुनो, परमेश्वर मेरा सहायक है, प्रभु मेरे प्राणों के समर्थक हैं। वह बुराई करने वालों को उनके कर्मों का फल देगा। अपनी सच्चाई के कारण उनका सर्वनाश कर।”
दाऊद की प्रार्थना सुनकर, परमेश्वर ने उसकी सहायता की। शाऊल और उसके सैनिक दाऊद को ढूंढते हुए उसके निकट आ गए, लेकिन परमेश्वर ने दाऊद को बचाने के लिए एक चमत्कार किया। शाऊल को अचानक एक आपातकालीन स्थिति का सामना करना पड़ा, और उसे दाऊद को पकड़ने के बजाय वापस लौटना पड़ा। इस तरह, परमेश्वर ने दाऊद को शाऊल के हाथों से बचा लिया।
दाऊद ने परमेश्वर की स्तुति की और कहा, “मैं तेरे नाम का धन्यवाद करूंगा, हे प्रभु, क्योंकि यह कितना अच्छा है! तू ने मुझे हर संकट से बचाया है, और मैंने अपने शत्रुओं पर विजय पाई है।” दाऊद ने परमेश्वर की महिमा की और उसकी दया के लिए धन्यवाद दिया।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जब हम परेशानियों और संकटों में होते हैं, तो हमें परमेश्वर पर भरोसा रखना चाहिए। वह हमारी प्रार्थनाओं को सुनता है और हमें बचाता है। दाऊद की तरह, हमें भी परमेश्वर की स्तुति करनी चाहिए और उसकी दया के लिए धन्यवाद देना चाहिए। परमेश्वर हमारा सच्चा सहायक और रक्षक है, और वह हमें हर संकट से बचाने की सामर्थ्य रखता है।