यहोशू की मृत्यु के बाद, इस्राएल के लोगों ने यहोवा से पूछा, “हम में से कौन पहले कनानियों से लड़ने के लिए जाएगा?” यहोवा ने उत्तर दिया, “यहूदा जाएगा। मैंने इस देश को उसके हाथ में दे दिया है।”
यहूदा ने अपने भाई शिमोन से कहा, “मेरे साथ चलो और उस देश में जाओ जो मुझे मिला है। हम कनानियों के साथ लड़ेंगे। मैं भी तुम्हारे साथ चलूंगा जब तुम्हें अपना देश मिलेगा।” इस प्रकार शिमोन यहूदा के साथ चला गया।
यहोवा यहूदा के साथ था, और उसने पहाड़ी देश के निवासियों को उनके हाथ में कर दिया। यहूदा ने बेजेक के निवासियों को हराया और उनके राजा अदोनी-बेजेक को पकड़ लिया। यहूदा के लोगों ने उसके अंगूठे और पैर के अंगूठे काट दिए। अदोनी-बेजेक ने कहा, “सत्तर राजाओं के अंगूठे और पैर के अंगूठे काटे गए थे, और वे मेरी मेज के नीचे से टुकड़े बीनते थे। जैसा मैंने किया है, वैसा ही परमेश्वर ने मेरे साथ किया है।” उसे यरूशलेम ले जाया गया, और वह वहीं मर गया।
यहूदा के लोगों ने यरूशलेम पर आक्रमण किया और उसे जीत लिया। उन्होंने नगर को तलवार से मारा और उसे आग लगा दी। फिर वे पहाड़ी देश, दक्षिणी देश और मैदानी इलाकों में रहने वाले कनानियों के खिलाफ लड़ने के लिए आगे बढ़े। यहूदा ने हेब्रोन के निवासियों के खिलाफ लड़ाई लड़ी और शेशै, अहीमान और तल्मै को हराया। हेब्रोन का पुराना नाम किर्यत-अरबा था।
यहूदा ने दबीर के निवासियों के खिलाफ भी लड़ाई लड़ी। दबीर का पुराना नाम किर्यत-सेफर था। कालब ने कहा, “जो किर्यत-सेफर पर आक्रमण करेगा और उसे जीतेगा, मैं उसे अपनी बेटी अक्सा को पत्नी के रूप में दूंगा।” कालब के छोटे भाई ओत्नीएल ने उस नगर को जीत लिया, और कालब ने उसे अपनी बेटी अक्सा दी। जब अक्सा ओत्नीएल के साथ जाने लगी, तो उसने अपने पिता से कहा, “मुझे एक आशीर्वाद दो। आपने मुझे दक्षिणी देश दिया है, तो मुझे पानी के सोते भी दीजिए।” कालब ने उसे ऊपरी और निचले सोते दिए।
यहूदा के वंशजों ने यरूशलेम, हेब्रोन, दबीर, और अन्य शहरों को जीत लिया, लेकिन वे मैदानी इलाकों में रहने वाले कनानियों को पूरी तरह से नहीं हरा सके, क्योंकि उनके पास लोहे के रथ थे। यहूदा के लोगों ने कनानियों को अपने साथ रहने दिया, लेकिन उन्हें बंधुआ बना लिया।
बिन्यामीन के वंशज यरूशलेम के यबूसियों को नहीं हरा सके, और यबूसी आज तक बिन्यामीन के साथ यरूशलेम में रहते हैं। यूसुफ के वंशजों ने बेतेल पर आक्रमण किया, और यहोवा उनके साथ था। यूसुफ के वंशजों ने बेतेल के निवासियों से पूछा, “हमें इस नगर में प्रवेश करने दो।” नगर के लोगों ने उन्हें प्रवेश करने दिया, और यूसुफ के वंशजों ने नगर को तलवार से मारा। उन्होंने एक व्यक्ति को जीवित छोड़ दिया, और वह हित्तियों के देश में चला गया। वहां उसने एक नगर बसाया और उसका नाम लूज रखा, जो आज तक उसी नाम से जाना जाता है।
मनश्शे के वंशज बेत-शान, तानाक, दोर, यिब्लेआम, मगिद्दो और उनके आसपास के गांवों के निवासियों को नहीं हरा सके। कनानी उस देश में रहने के लिए दृढ़ संकल्पित थे। जब इस्राएल मजबूत हुआ, तो उन्होंने कनानियों को बंधुआ बना लिया, लेकिन उन्हें पूरी तरह से नहीं हराया।
एप्रैम के वंशज गेजेर के कनानियों को नहीं हरा सके, और कनानी गेजेर में उनके साथ रहते रहे। जब्तुल के वंशज कित्रोन और नहलोल के निवासियों को नहीं हरा सके, और कनानी उनके बीच रहते रहे, लेकिन वे बंधुआ बन गए। आशेर के वंशज अक्को, सीदोन, अहलाब, अखजीब, हेलबा, अफेक और रहोब के निवासियों को नहीं हरा सके। आशेर के वंशज उस देश के निवासियों, कनानियों, के बीच रहते रहे, क्योंकि वे उन्हें नहीं हरा सके।
नप्ताली के वंशज बेत-शेमेश और बेत-अनात के निवासियों को नहीं हरा सके। वे उस देश के निवासियों, कनानियों, के बीच रहते रहे, लेकिन बेत-शेमेश और बेत-अनात के निवासी उनके बंधुआ बन गए।
दान के वंशजों को अमोरियों ने पहाड़ी देश में धकेल दिया और उन्हें मैदान में नहीं उतरने दिया। अमोरी हेरेस पर्वत, अय्यालोन और शालबीम में रहने के लिए दृढ़ संकल्पित थे। जब यूसुफ के घराने का बल बढ़ा, तो वे बंधुआ बन गए। अमोरियों की सीमा अक्रब्बिम की चढ़ाई से लेकर सेला तक और ऊपर की ओर थी।
इस प्रकार, इस्राएल के विभिन्न गोत्रों ने कनानियों के साथ लड़ाई लड़ी, लेकिन वे उन्हें पूरी तरह से नहीं हरा सके। यहोवा ने उन्हें आज्ञा दी थी कि वे उस देश के सभी निवासियों को नष्ट कर दें, लेकिन इस्राएल ने उनकी आज्ञा का पूरी तरह से पालन नहीं किया। इसके बजाय, उन्होंने कनानियों को अपने साथ रहने दिया और उन्हें बंधुआ बना लिया। यह बाद में इस्राएल के लिए एक बड़ी परीक्षा और संघर्ष का कारण बना, क्योंकि कनानी उन्हें अपने देवताओं की पूजा करने के लिए प्रलोभन देते रहे।