2 शमूएल 9 की कहानी को विस्तार से और विवरणपूर्ण तरीके से प्रस्तुत करते हुए, हम दाऊद और मपीबोशेत के बीच की घटना को देखेंगे। यह कहानी दया, अनुग्रह, और वाचा के प्रति निष्ठा का एक सुंदर उदाहरण है।
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### दाऊद का मपीबोशेत के प्रति अनुग्रह
दाऊद अब इस्राएल का राजा बन चुका था। उसने अपने शत्रुओं को हराया था, और उसका राज्य स्थिर और शक्तिशाली हो गया था। एक दिन, जब वह अपने महल में विश्राम कर रहा था, तो उसके मन में एक विचार आया। वह योनातान, शाऊल के पुत्र और अपने प्रिय मित्र की याद करने लगा। योनातान और दाऊद के बीच एक गहरी मित्रता थी, और उन्होंने परमेश्वर के सामने एक वाचा बाँधी थी कि वे हमेशा एक-दूसरे के प्रति वफादार रहेंगे और एक-दूसरे के वंशजों की देखभाल करेंगे।
दाऊद ने सोचा, “क्या शाऊल के घराने में कोई बचा है जिसके साथ मैं परमेश्वर के नाम पर अनुग्रह कर सकूँ? क्या योनातान का कोई पुत्र जीवित है जिसे मैं उसकी मित्रता के कारण आशीष दे सकूँ?” दाऊद ने तुरंत अपने सेवकों को बुलाया और उनसे पूछा, “क्या शाऊल के परिवार में कोई जीवित है? मैं उनके साथ परमेश्वर के नाम पर दया करना चाहता हूँ।”
उस समय, शाऊल के एक सेवक ज़ीबा ने दाऊद को सूचना दी। ज़ीबा ने कहा, “हाँ, महाराज, योनातान का एक पुत्र जीवित है। उसके दोनों पैर लंगड़े हैं।” यह सुनकर दाऊद का हृदय द्रवित हो गया। वह जानता था कि योनातान का पुत्र, मपीबोशेत, उसके लिए एक महत्वपूर्ण व्यक्ति था। दाऊद ने तुरंत आदेश दिया, “उसे मेरे पास लाओ।”
मपीबोशेत को लोदबार नामक स्थान से लाया गया। लोदबार एक दूरस्थ और निर्जन स्थान था, जहाँ मपीबोशेत छिपकर रह रहा था। वह डरा हुआ था क्योंकि उसे लगता था कि दाऊद उसे मार डालेगा, क्योंकि वह शाऊल के वंश से था। जब मपीबोशेत दाऊद के सामने पहुँचा, तो वह डर के मारे काँप रहा था। उसने दाऊद के सामने झुककर प्रणाम किया और कहा, “महाराज, आपका दास यहाँ उपस्थित है।”
दाऊद ने मपीबोशेत को देखा और उसकी आँखों में करुणा भर गई। उसने कहा, “मपीबोशेत, डरो मत। मैं तुम्हारे साथ तुम्हारे पिता योनातान के कारण अनुग्रह करूँगा। मैं तुम्हारे पिता के साथ की गई वाचा के कारण तुम्हारे पिता की सारी भूमि तुम्हें लौटा दूँगा। और तुम हमेशा मेरे साथ मेरी मेज़ पर भोजन करोगे।”
मपीबोशेत ने आश्चर्यचकित होकर कहा, “महाराज, मैं आपके लिए क्या हूँ कि आप मुझ जैसे मृतक कुत्ते की ओर ध्यान दे रहे हैं?” दाऊद ने उसकी बात को नज़रअंदाज़ करते हुए ज़ीबा को बुलाया और कहा, “मैंने शाऊल की सारी भूमि मपीबोशेत को दे दी है। तुम और तुम्हारे पुत्र और दास, मपीबोशेत के लिए काम करोगे और उसकी भूमि की देखभाल करोगे, ताकि वह आराम से रह सके।”
ज़ीबा ने सिर झुकाकर कहा, “जैसा महाराज आज्ञा दें, वैसा ही किया जाएगा।” इस प्रकार, मपीबोशेत को उसकी पैतृक भूमि वापस मिल गई, और वह दाऊद के महल में रहने लगा। वह राजा की मेज़ पर भोजन करता था, जैसे कि वह दाऊद का अपना पुत्र हो।
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### कहानी का सार
यह कहानी दाऊद के हृदय की उदारता और परमेश्वर के प्रति उसकी निष्ठा को दर्शाती है। दाऊद ने योनातान के साथ की गई वाचा को निभाया और उसके पुत्र के साथ अनुग्रह किया। यह हमें सिखाता है कि परमेश्वर की दया और अनुग्रह हमारे जीवन में कैसे काम करते हैं। जैसे दाऊद ने मपीबोशेत के साथ दया की, वैसे ही परमेश्वर हमारे साथ अपने प्रेम और अनुग्रह से व्यवहार करता है।
मपीबोशेत की कहानी हमें यह भी याद दिलाती है कि हम परमेश्वर के सामने कुछ नहीं हैं, फिर भी उसने हमें अपने पुत्र यीशु मसीह के माध्यम से अनुग्रह दिया है। हम उसकी मेज़ पर बैठने के योग्य नहीं हैं, फिर भी उसने हमें अपने परिवार का हिस्सा बनाया है। यह कहानी हमें परमेश्वर के प्रेम और वफादारी की गहराई को समझने में मदद करती है।