1 शमूएल 8 की कहानी हमें इस्राएल के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ पर ले जाती है। यह वह समय था जब इस्राएल के लोगों ने परमेश्वर के बजाय एक मनुष्य को राजा के रूप में मांगना शुरू कर दिया। यह घटना न केवल राजनीतिक बदलाव का संकेत थी, बल्कि यह इस्राएल के आध्यात्मिक जीवन में एक गहरी चुनौती भी थी।
शमूएल एक धर्मी और परमेश्वर के प्रति समर्पित नबी थे। वे इस्राएल के लोगों के लिए न्याय करते थे और परमेश्वर की आज्ञाओं को सिखाते थे। उनके दो पुत्र, योएल और अबीय्याह, भी न्याय करने के लिए नियुक्त किए गए थे। लेकिन दुर्भाग्य से, वे अपने पिता की तरह धर्मी नहीं थे। वे लालची और अन्यायी थे, और उन्होंने रिश्वत लेकर न्याय को तोड़ा। इस्राएल के लोगों ने शमूएल के पुत्रों के इस व्यवहार से निराश होकर शमूएल के पास एक मांग लेकर पहुंचे।
एक दिन, इस्राएल के बुजुर्गों ने शमूएल के पास इकट्ठा होकर कहा, “देख, तू अब बूढ़ा हो गया है, और तेरे पुत्र तेरे मार्गों पर नहीं चलते। इसलिए अब हमारे लिए एक राजा नियुक्त कर, जैसा कि सब देशों में होता है, जो हम पर राज्य करे।”
शमूएल को यह मांग अच्छी नहीं लगी। वे जानते थे कि इस्राएल का असली राजा तो परमेश्वर ही है। उन्होंने इस मामले को परमेश्वर के सामने रखा और प्रार्थना की। परमेश्वर ने शमूएल से कहा, “जो कुछ ये लोग तुझ से कहते हैं, उस पर ध्यान दे; क्योंकि उन्होंने तुझे नहीं, परन्तु मुझे ठुकराया है, कि मैं उन पर राज्य न करूं। जैसा कि उन्होंने मिस्र से निकलने के दिन से लेकर आज तक किया है, वैसा ही वे तुझ से भी कर रहे हैं। उन्होंने मुझे छोड़कर और देवताओं की उपासना की है। इसलिए अब तू उनकी बात मान ले, परन्तु उन्हें सचेत कर देना, और उन्हें बता देना कि राजा उन पर कैसा राज्य करेगा।”
शमूएल ने परमेश्वर की आज्ञा का पालन किया और लोगों को सचेत किया। उन्होंने कहा, “राजा तुम पर इस प्रकार राज्य करेगा: वह तुम्हारे पुत्रों को लेकर अपने रथों और घोड़ों के लिए नियुक्त करेगा, और वे उसके रथों के आगे-आगे दौड़ेंगे। वह तुम्हारे पुत्रों को अपने हल जोतने, अपनी कटनी काटने, और अपने युद्ध के हथियार बनाने के लिए नियुक्त करेगा। वह तुम्हारी बेटियों को इत्र बनाने, भोजन पकाने, और रोटी सेंकने के लिए नियुक्त करेगा। वह तुम्हारे खेतों, दाख की बारियों, और जैतून के बागों में से सबसे अच्छा ले लेगा और अपने सेवकों को दे देगा। वह तुम्हारे अन्न और दाखमधु का दसवां अंश लेगा और अपने अधिकारियों और सेवकों को दे देगा। वह तुम्हारे दास-दासियों, तुम्हारे सबसे अच्छे जवानों, और तुम्हारे गदहे ले लेगा और उनसे अपना काम करवाएगा। वह तुम्हारी भेड़-बकरियों का दसवां अंश लेगा, और तुम स्वयं उसके दास बन जाओगे। उस दिन तुम अपने चुने हुए राजा के कारण चिल्लाओगे, परन्तु परमेश्वर उस दिन तुम्हारी सुनवाई नहीं करेगा।”
लेकिन लोगों ने शमूएल की चेतावनी को नहीं सुना। उन्होंने जोर देकर कहा, “नहीं, हमें एक राजा चाहिए, जिससे कि हम भी अन्य जातियों के समान हो जाएं, और हमारा राजा हमारा न्याय करे, और हमारे आगे आगे चले, और हमारे युद्ध लड़े।”
शमूएल ने लोगों की बातें परमेश्वर को सुनाईं। परमेश्वर ने शमूएल से कहा, “उनकी बात मान ले, और उनके लिए एक राजा नियुक्त कर।” शमूएल ने इस्राएल के लोगों से कहा, “तुम सब अपने-अपने नगरों को लौट जाओ।”
इस प्रकार, इस्राएल के लोगों ने परमेश्वर के बजाय एक मनुष्य को राजा के रूप में मांगा। यह उनके आध्यात्मिक जीवन में एक बड़ा मोड़ था। उन्होंने परमेश्वर के राज्य को ठुकरा दिया और एक मनुष्य के राज्य को चुना। यह घटना हमें यह सिखाती है कि मनुष्य की इच्छाएं अक्सर परमेश्वर की इच्छा के विपरीत हो सकती हैं, और हमें सावधान रहना चाहिए कि हम परमेश्वर के बजाय मनुष्यों पर भरोसा न करें।