एस्तेर की पुस्तक का दसवां अध्याय एक संक्षिप्त अध्याय है, जो राजा अहश्वेरोश और मोर्दकै की महानता का वर्णन करता है। इस कहानी को विस्तार से और विवरणपूर्ण तरीके से बताते हुए, हम इसे एक लंबी कथा के रूप में प्रस्तुत करेंगे, जो बाइबल के सिद्धांतों और ऐतिहासिक संदर्भों के अनुरूप होगी।
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### राजा अहश्वेरोश और मोर्दकै की महानता
उस समय, जब राजा अहश्वेरोश का राज्य फारस और मादाई देशों पर फैला हुआ था, उसकी शक्ति और प्रतिष्ठा चरम पर थी। वह एक ऐसा राजा था जिसकी महिमा और धन-दौलत की चर्चा दूर-दूर तक फैली हुई थी। उसके राज्य में शांति और समृद्धि थी, और उसके सिंहासन की महिमा उसकी बुद्धिमत्ता और न्यायप्रियता से और भी बढ़ गई थी। राजा ने अपने राज्य के सभी प्रांतों में कर लगाए थे, और उसकी आज्ञाएँ दूर-दूर तक पहुँचती थीं।
लेकिन राजा अहश्वेरोश की महानता के साथ-साथ, एक और व्यक्ति की महानता भी चर्चा का विषय बन गई थी। वह थे मोर्दकै, जो यहूदी थे और राजा के दरबार में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते थे। मोर्दकै ने अपनी बुद्धिमत्ता और निष्ठा से राजा का विश्वास जीता था। वह न केवल यहूदियों के लिए एक नेता थे, बल्कि पूरे राज्य के लिए एक आदर्श बन गए थे।
मोर्दकै की कहानी उनकी वफादारी और परमेश्वर के प्रति उनकी अटूट आस्था से शुरू होती है। जब हामान नामक एक दुष्ट व्यक्ति ने यहूदियों को नष्ट करने की योजना बनाई थी, तो मोर्दकै ने बहादुरी से उसका सामना किया। उन्होंने अपनी भतीजी एस्तेर, जो राजा की रानी थी, के माध्यम से यहूदियों को बचाने के लिए कदम उठाए। परमेश्वर की कृपा से, उनकी योजना सफल हुई, और हामान की बुराई उसी के सिर पर आ गई। इस घटना के बाद, मोर्दकै की प्रतिष्ठा और बढ़ गई, और वह राजा के निकटतम सलाहकारों में से एक बन गए।
राजा अहश्वेरोश ने मोर्दकै के योगदान को मान्यता दी और उन्हें उच्च पद पर नियुक्त किया। मोर्दकै को राजा के महल में एक विशेष स्थान दिया गया, और उनकी आज्ञाएँ राज्य के सभी कोनों में मान्य थीं। वह न केवल यहूदियों के लिए, बल्कि सभी लोगों के लिए न्याय और शांति के प्रतीक बन गए। मोर्दकै की महानता उनकी विनम्रता और परमेश्वर के प्रति उनकी निष्ठा से प्रेरित थी। वह हमेशा यह मानते थे कि उनकी सफलता और सुरक्षा परमेश्वर की कृपा से ही संभव हुई है।
राजा अहश्वेरोश के राज्य में शांति और समृद्धि का युग था। लोग खुशहाल थे, और राज्य के सभी नागरिकों को न्याय मिलता था। राजा ने अपने सभी कार्यों में मोर्दकै का सहयोग लिया, और उनकी सलाह को सर्वोच्च मान्यता दी। मोर्दकै ने भी अपने पद का उपयोग लोगों की भलाई के लिए किया। वह गरीबों और असहायों की सहायता करते थे, और उन्हें न्याय दिलाने के लिए हमेशा तत्पर रहते थे।
इस प्रकार, राजा अहश्वेरोश और मोर्दकै की महानता ने पूरे राज्य को प्रभावित किया। उनकी कहानी लोगों के लिए एक प्रेरणा बन गई, और यह साबित कर दिया कि परमेश्वर की कृपा और न्याय से ही सच्ची महानता प्राप्त होती है। मोर्दकै की वफादारी और बुद्धिमत्ता ने न केवल यहूदियों को बचाया, बल्कि पूरे राज्य को शांति और समृद्धि का आशीर्वाद दिया।
इस कहानी का सार यह है कि परमेश्वर उन लोगों को आशीर्वाद देता है जो उसके प्रति वफादार और निष्ठावान होते हैं। मोर्दकै की कहानी हमें यह सिखाती है कि सच्ची महानता धन और शक्ति से नहीं, बल्कि न्याय, विनम्रता और परमेश्वर के प्रति आस्था से प्राप्त होती है। राजा अहश्वेरोश और मोर्दकै की महानता का वर्णन करने वाली यह कहानी हमें यह याद दिलाती है कि परमेश्वर हमेशा उन लोगों के साथ होता है जो उसके मार्ग पर चलते हैं और उसकी इच्छा को पूरा करते हैं।
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यह कहानी एस्तेर की पुस्तक के दसवें अध्याय के आधार पर लिखी गई है, जो राजा अहश्वेरोश और मोर्दकै की महानता को दर्शाती है। यह कहानी हमें परमेश्वर की कृपा और न्याय के महत्व को समझाती है, और यह दिखाती है कि सच्ची महानता कैसे प्राप्त की जा सकती है।