पवित्र बाइबल

सुलैमान का जीवन और परमेश्वर की खोज

सुलैमान, जो यरूशलेम का राजा था, एक दिन अपने महल के बालकनी पर खड़ा था। उसकी आँखें दूर तक फैले हुए आकाश और धरती को देख रही थीं। वह गहरी सोच में डूबा हुआ था। उसके मन में एक प्रश्न उठ रहा था—”इस संसार में जो कुछ भी हो रहा है, उसका क्या अर्थ है? क्या यह सब व्यर्थ नहीं है?”

सुलैमान ने अपने आप से कहा, “मैंने इस धरती पर जो कुछ भी देखा है, वह सब व्यर्थ है। सूरज निकलता है और फिर अस्त हो जाता है। हवा चलती है और वापस अपने रास्ते पर लौट आती है। नदियाँ बहती हैं, पर समुद्र कभी नहीं भरता। यह सब एक चक्र की तरह है, जो बार-बार दोहराया जाता है। क्या यह सब व्यर्थ नहीं है?”

वह अपने महल के अंदर लौट आया और अपने विशाल पुस्तकालय में बैठ गया। उसने अपने जीवन के सभी अनुभवों को याद किया। उसने धन, सुख, ज्ञान, और सत्ता का आनंद लिया था। उसने महल बनवाए, बाग़ लगवाए, और अपने लिए सब कुछ संग्रहित किया था। परंतु अब उसे लग रहा था कि यह सब कुछ भी नहीं है। यह सब धूल के समान है, जो हवा के साथ उड़ जाती है।

सुलैमान ने अपने मन में सोचा, “मैंने जो कुछ भी किया है, वह सब मेरे लिए थकाने वाला है। मैंने ज्ञान प्राप्त किया, परंतु जितना अधिक मैं जानता हूँ, उतना ही अधिक मैं दुखी होता हूँ। मैंने सुख और आनंद की खोज की, परंतु वह भी व्यर्थ है। यह सब एक छाया की तरह है, जो हाथ से फिसल जाती है।”

फिर उसने अपने आप से पूछा, “क्या इस जीवन का कोई उद्देश्य है? क्या यह सब केवल एक चक्र है, जिसमें हम फंसे हुए हैं?” उसने अपने हृदय में परमेश्वर की ओर देखा और कहा, “हे प्रभु, तू ही सब कुछ जानता है। तू ही इस संसार का सृष्टिकर्ता है। मैं तेरी इच्छा को समझना चाहता हूँ।”

सुलैमान ने महसूस किया कि इस संसार में सब कुछ परमेश्वर के हाथ में है। उसने लिखा, “सब कुछ व्यर्थ है, यदि परमेश्वर को छोड़ दिया जाए। परंतु जो कोई परमेश्वर के साथ चलता है, उसके लिए जीवन का एक उद्देश्य है।”

उसने अपने लोगों को समझाया, “हे मेरे लोगों, इस संसार की चकाचौंध में मत खो जाओ। धन, सुख, और सत्ता सब व्यर्थ हैं, यदि तुम परमेश्वर को भूल जाओ। उसकी आज्ञाओं का पालन करो और उसके साथ चलो। केवल तभी तुम्हारा जीवन सार्थक होगा।”

सुलैमान ने अपने अनुभवों को एक पुस्तक में लिखा, जिसे उसने “उपदेशक” नाम दिया। उसने लिखा, “सब कुछ व्यर्थ है, यदि परमेश्वर को छोड़ दिया जाए। परंतु जो कोई परमेश्वर का भय मानता है और उसकी आज्ञाओं का पालन करता है, उसके लिए जीवन का एक उद्देश्य है।”

इस प्रकार, सुलैमान ने अपने लोगों को सिखाया कि इस संसार की सभी चीज़ें व्यर्थ हैं, यदि उन्हें परमेश्वर के बिना देखा जाए। परंतु जो कोई परमेश्वर के साथ चलता है, उसके लिए जीवन सार्थक और पूर्ण है।

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