बाबुल के महान राजा नबूकदनेस्सर के शासनकाल की बात है। एक रात, राजा ने एक अजीब और चिंताजनक सपना देखा। जब वह सुबह उठा, तो उसका मन बहुत व्याकुल था। सपने की याद ने उसे परेशान कर दिया था, लेकिन वह सपने का अर्थ समझ नहीं पा रहा था। उसने अपने दरबार में बुलाए गए ज्योतिषियों, जादूगरों, और ज्ञानियों को आदेश दिया कि वे उसके सपने का अर्थ बताएं।
राजा ने उनसे कहा, “मैंने एक सपना देखा है, और मेरा मन उस सपने से व्याकुल है। मैं चाहता हूं कि तुम मुझे बताओ कि मैंने क्या सपना देखा है और उसका अर्थ क्या है।”
यह सुनकर ज्योतिषी और ज्ञानी लोग हैरान हो गए। उन्होंने राजा से कहा, “हे राजन, यदि आप हमें सपना बताएं, तो हम उसका अर्थ बता सकते हैं।”
लेकिन राजा ने उनकी बात मानने से इनकार कर दिया। उसने कहा, “नहीं, तुम्हें मेरा सपना बताना होगा और फिर उसका अर्थ भी। यदि तुम ऐसा नहीं कर सकते, तो तुम्हें मृत्युदंड दिया जाएगा, और तुम्हारे घरों को नष्ट कर दिया जाएगा। लेकिन यदि तुम सपना और उसका अर्थ बता सकोगे, तो तुम्हें बड़ा पुरस्कार और सम्मान मिलेगा।”
यह सुनकर सभी ज्योतिषी और ज्ञानी भयभीत हो गए। उन्होंने राजा से कहा, “हे राजन, कोई भी मनुष्य ऐसा नहीं कर सकता जो आप मांग रहे हैं। केवल देवता ही ऐसा कर सकते हैं, और वे मनुष्यों के बीच नहीं रहते।”
राजा ने यह सुनकर क्रोधित होकर आदेश दिया कि बाबुल के सभी ज्ञानियों को मार डाला जाए। यह आदेश दानिय्येल और उसके मित्रों को भी प्रभावित करने वाला था, क्योंकि वे भी राजा के दरबार में ज्ञानी के रूप में सेवा कर रहे थे।
जब दानिय्येल को यह बात पता चली, तो उसने राजा के सेनापति अर्योक से विनम्रता से बात की। उसने पूछा, “राजा ने ऐसा कठोर आदेश क्यों दिया है?” अर्योक ने उसे सारी बात बताई। तब दानिय्येल ने राजा के पास जाकर उससे समय मांगा कि वह सपने का अर्थ बता सके।
दानिय्येल अपने घर लौटा और अपने तीन मित्रों—हनन्याह, मीशाएल, और अजर्याह—को बुलाया। उसने उनसे कहा, “हमें स्वर्ग के परमेश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए कि वह हमें इस रहस्य को समझाए, ताकि हम और हमारे साथी ज्ञानी मृत्यु से बच सकें।”
उस रात, दानिय्येल को एक दर्शन हुआ। परमेश्वर ने उसे राजा के सपने और उसके अर्थ को प्रकट किया। दानिय्येल ने स्वर्ग के परमेश्वर की स्तुति की और कहा, “परमेश्वर का नाम सदैव धन्य हो, क्योंकि बुद्धि और शक्ति उसी की है। वह समय और ऋतुओं को बदलता है, राजाओं को उठाता और गिराता है। वह गहरे रहस्यों को प्रकट करता है, क्योंकि उसके पास सब कुछ प्रकाश में है।”
अगले दिन, दानिय्येल अर्योक के पास गया और कहा, “मुझे राजा के पास ले चलो, मैं उसे सपने का अर्थ बताऊंगा।” अर्योक ने दानिय्येल को राजा के सामने पेश किया।
दानिय्येल ने राजा से कहा, “हे राजन, कोई भी ज्योतिषी, जादूगर, या ज्ञानी आपके सपने को नहीं बता सकता। लेकिन स्वर्ग में एक परमेश्वर है जो रहस्यों को प्रकट करता है, और उसने आपको भविष्य में होने वाली बातों को दिखाया है।”
फिर दानिय्येल ने राजा को उसका सपना सुनाया: “हे राजन, आपने एक बड़ी और चमकदार मूर्ति देखी। उस मूर्ति का सिर शुद्ध सोने का था, उसकी छाती और बाजू चांदी की थीं, उसका पेट और जांघें पीतल की थीं, उसके पैर लोहे के थे, और उसके पैरों के कुछ हिस्से मिट्टी के थे। फिर आपने एक पत्थर देखा जो बिना किसी के हाथ के उस मूर्ति के पैरों पर लगा और उसे तोड़कर चूर-चूर कर दिया। फिर वह पत्थर एक बड़े पहाड़ में बदल गया और पूरी पृथ्वी को भर दिया।”
दानिय्येल ने आगे समझाया, “हे राजन, आप वह सोने का सिर हैं। आपके बाद एक दूसरा राज्य उठेगा जो चांदी से कम होगा। फिर एक तीसरा राज्य आएगा जो पीतल का होगा और पूरी पृथ्वी पर शासन करेगा। चौथा राज्य लोहे जैसा मजबूत होगा, लेकिन उसके पैरों का कुछ हिस्सा मिट्टी का होगा, जो कमजोर होगा। फिर परमेश्वर एक ऐसा राज्य स्थापित करेगा जो कभी नष्ट नहीं होगा। यह राज्य उन सभी राज्यों को नष्ट कर देगा और स्वयं हमेशा के लिए स्थापित रहेगा।”
यह सुनकर राजा नबूकदनेस्सर दानिय्येल के सामने झुक गया और उसकी प्रशंसा की। उसने कहा, “निश्चय ही तुम्हारा परमेश्वर सभी देवताओं का परमेश्वर और राजाओं का प्रभु है, क्योंकि वही रहस्यों को प्रकट कर सकता है।” राजा ने दानिय्येल को बहुत सारे उपहार दिए और उसे बाबुल के सारे प्रांत का प्रमुख बना दिया। उसने दानिय्येल के तीन मित्रों को भी महत्वपूर्ण पद दिए।
इस प्रकार, परमेश्वर ने दानिय्येल के माध्यम से अपनी महिमा प्रकट की और उसे बाबुल के राजा के सामने ऊंचा किया। यह घटना इस बात का प्रमाण थी कि परमेश्वर ही सभी राज्यों और शासकों के ऊपर प्रभुत्व रखता है, और वही समय के अंत तक अपनी योजना को पूरा करेगा।