एक बार, परमेश्वर के एक नबी, आमोस नामक व्यक्ति, इस्राएल के लोगों के पास एक महत्वपूर्ण संदेश लेकर आए। उस समय, इस्राएल के लोग भले ही धन और समृद्धि में डूबे हुए थे, लेकिन उनके हृदय परमेश्वर से दूर हो चुके थे। वे झूठे देवताओं की पूजा करते थे और गरीबों और कमजोरों के साथ अन्याय करते थे। उनकी आराधना सिर्फ दिखावे की थी, और उनके मन में परमेश्वर के प्रति कोई सच्ची भक्ति नहीं थी।
आमोस ने परमेश्वर के वचन को साहस के साथ सुनाया। वह बेतिल नगर में खड़ा हुआ और लोगों से कहा, “हे इस्राएल के लोगों, परमेश्वर तुमसे यह कहता है: ‘तुम मेरे न्याय से नहीं बच सकते। तुमने मेरी आज्ञाओं को तोड़ा है और मेरे मार्ग से भटक गए हो। तुम्हारे पापों ने तुम्हें मेरे सामने दोषी ठहराया है।'”
आमोस ने उन्हें चेतावनी दी, “तुम्हारे उत्सव और बलिदान मुझे प्रसन्न नहीं करते। तुम्हारे गीत और संगीत मेरे कानों में कोई मधुर ध्वनि नहीं हैं। मैं तुम्हारे अंदर न्याय और धार्मिकता देखना चाहता हूँ, न कि तुम्हारे दिखावे की आराधना।”
फिर आमोस ने उन्हें एक दृष्टांत सुनाया। उसने कहा, “एक समय की बात है, जब एक किसान अपने खेत में बीज बोता है। वह चाहता है कि उसका खेत फलदार हो और उसे अच्छी फसल मिले। लेकिन अगर वह खेत में केवल कांटे और झाड़ियाँ उगाएगा, तो उसे क्या फल मिलेगा? कुछ नहीं। ठीक उसी तरह, तुम्हारे जीवन में अगर पाप और अन्याय का बीज बोया गया है, तो तुम्हें क्या फल मिलेगा? केवल विनाश और दुःख।”
आमोस ने उन्हें यह भी बताया कि परमेश्वर न्याय के दिन आने वाला है। उसने कहा, “वह दिन अंधकारमय होगा, प्रकाश नहीं होगा। यह ऐसा होगा जैसे कोई व्यक्ति एक शेर से बचने के लिए भागता है, लेकिन उसे एक भालू से सामना हो जाता है। या जैसे कोई घर में शरण लेता है, लेकिन दीवार पर हाथ रखते ही उसे सांप काट लेता है। परमेश्वर का क्रोध उन सभी पर आएगा जो उसकी आज्ञाओं को नहीं मानते।”
लेकिन आमोस ने उन्हें आशा का संदेश भी दिया। उसने कहा, “परमेश्वर चाहता है कि तुम न्याय करो और धार्मिकता का पालन करो। वह चाहता है कि तुम गरीबों और कमजोरों की सहायता करो। अगर तुम अपने मन को बदलो और परमेश्वर की ओर लौटो, तो वह तुम्हें क्षमा करेगा और तुम्हें आशीष देगा।”
आमोस ने उन्हें याद दिलाया कि परमेश्वर हमेशा से उनके साथ रहा है। उसने कहा, “वही परमेश्वर जिसने तुम्हें मिस्र की दासता से छुड़ाया, वही तुम्हें अब भी बचा सकता है। वह तुम्हारे लिए सितारों को बनाने वाला और रात को दिन में बदलने वाला है। वह समुद्र के जल को पृथ्वी पर बरसाता है। वह सर्वशक्तिमान है, और उसकी दया अनंत है।”
अंत में, आमोस ने उन्हें एक चुनौती दी। उसने कहा, “परमेश्वर को खोजो और जीवित रहो। उसके मार्ग पर चलो और उसकी आज्ञाओं का पालन करो। अगर तुम ऐसा करोगे, तो वह तुम्हें आशीष देगा और तुम्हारे जीवन में शांति और समृद्धि लाएगा। लेकिन अगर तुम उसकी अवहेलना करोगे, तो तुम्हारा अंत निश्चित है।”
आमोस के शब्दों ने कुछ लोगों के हृदय को छू लिया, लेकिन कई लोगों ने उसकी बातों को नजरअंदाज कर दिया। वे अपने पापों में डूबे रहे और परमेश्वर के न्याय का सामना करने के लिए तैयार नहीं हुए। लेकिन आमोस ने अपना कर्तव्य पूरा किया। उसने परमेश्वर का संदेश साहस के साथ सुनाया, और उसकी आवाज आज भी हमें चेतावनी देती है कि हम न्याय और धार्मिकता के मार्ग पर चलें।