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राजा आसा की धार्मिकता और यहोवा पर विश्वास की विजय

**2 इतिहास 14 की कहानी: राजा आसा की धार्मिकता और विजय**

यहूदा के राजा आसा के शासनकाल की कहानी परमेश्वर की महानता और उसके वचन के प्रति विश्वास की एक अद्भुत मिसाल है। आसा, अबिय्याह का पुत्र, यहूदा का तीसरा राजा बना। उसने यरूशलेम में चालीस वर्षों तक शासन किया। परमेश्वर की दृष्टि में आसा एक धर्मी और सच्चे मन वाला राजा था, जिसने अपने पूर्वजों के पापों को दूर करने का प्रयास किया।

### **आसा का धार्मिक सुधार**

जब आसा राजा बना, तो उसने देखा कि यहूदा और बिन्यामीन के लोगों के बीच मूर्तिपूजा और अशुद्ध आचरण फैला हुआ है। उसने अपने राज्य से सभी विदेशी देवताओं की मूर्तियों को हटा दिया और उच्च स्थानों को तोड़ डाला। उसने यहोवा की आराधना को बढ़ावा दिया और लोगों को परमेश्वर की व्यवस्था का पालन करने के लिए प्रोत्साहित किया। उसने अपनी माँ माका को भी, जिसने एक घृणित मूर्ति बनाई थी, रानी के पद से हटा दिया और उसकी मूर्ति को तोड़कर जला डाला।

आसा ने यहोवा के सामने विनती की, “हे प्रभु, हमारे लिए यह संभव नहीं है कि हम अपनी शक्ति से इन मूर्तियों को दूर कर सकें, परन्तु तेरे नाम के द्वारा हम विजयी होंगे।” उसकी प्रार्थना सुनकर परमेश्वर ने उसे शांति और सुरक्षा दी।

### **यहूदा की समृद्धि**

क्योंकि आसा ने परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन किया, यहोवा ने उसे और उसके राज्य को आशीष दी। यहूदा के नगरों को सुरक्षा मिली और वहाँ के निवासी शांति से रहने लगे। आसा ने देश को मजबूत किया, उसने यरूशलेम और अन्य शहरों की दीवारों को मजबूत बनाया और सेना को संगठित किया। उसके पास तीन लाख यहूदी सैनिक थे, जो बड़ी ढाल और भालों से लैस थे, और दो लाख अस्सी हज़ार बिन्यामीनी सैनिक, जो धनुष चलाने में निपुण थे। ये सभी वीर और अनुभवी योद्धा थे।

### **कूशियों के विरुद्ध युद्ध**

लेकिन शांति अधिक समय तक नहीं टिकी। एक दिन, जब आसा और उसकी सेना यहोवा की सेवा में लगे हुए थे, तब कूशियों का राजा जेरह एक विशाल सेना लेकर यहूदा पर चढ़ाई करने आया। उसके पास दस लाख सैनिक और तीन सौ रथ थे। जब यह समाचार आसा के पास पहुँचा, तो वह डर गया, क्योंकि शत्रु की सेना उसकी सेना से कहीं अधिक बड़ी थी।

परन्तु आसा ने हिम्मत नहीं हारी। उसने यहोवा की ओर ध्यान लगाया और प्रार्थना की:

“हे यहोवा, तू ही छोटे और बड़े के बीच विजय दिला सकता है। हे हमारे परमेश्वर, हमें सहायता कर, क्योंकि हम तेरे ही भरोसे पर हैं और तेरे नाम से हम इस विशाल सेना के विरुद्ध लड़ने आए हैं। हे यहोवा, तू ही हमारा परमेश्वर है, मनुष्य को तुझ पर विजय पाने न दे।”

आसा की प्रार्थना सुनकर, यहोवा ने कूशियों को उसके सामने पराजित किया। यहूदा की सेना ने कूशियों का पीछा किया और उन्हें गेरार तक खदेड़ दिया। कूशी सेना के सभी सैनिक मारे गए, क्योंकि यहोवा ने उन्हें आसा और यहूदा के हाथ में कर दिया था। यहूदियों ने बहुत अधिक लूट का माल भी प्राप्त किया, जिसमें ऊँट, भेड़-बकरियाँ और अन्य बहुमूल्य वस्तुएँ शामिल थीं।

### **परमेश्वर की महिमा**

जब आसा और उसकी सेना विजयी होकर लौटे, तो परमेश्वर का भय सारे देश में छा गया। लोगों ने देखा कि जो कोई भी यहोवा पर भरोसा रखता है, वह उसे विजय दिलाता है। आसा ने फिर से यहोवा की स्तुति की और उसके नाम को महिमा दी।

इस प्रकार, राजा आसा ने अपने जीवन में यहोवा की आज्ञाओं का पालन किया और उसके लिए एक सच्चे सेवक के रूप में कार्य किया। उसकी कहानी हमें सिखाती है कि परमेश्वर उन्हें कभी नहीं छोड़ता, जो उस पर पूर्ण भरोसा रखते हैं।

**समाप्त।**

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