**एलीशा और विधवा का तेल (2 राजाओं 4:1-7)**
एक समय की बात है, जब परमेश्वर के भविष्यद्वक्ता एलीशा समस्त इस्राएल में यहोवा का वचन सुनाते हुए घूम रहे थे। उन दिनों एक निर्धन विधवा स्त्री ने उनके पास आकर अपनी व्यथा सुनाई। वह स्त्री एक भविष्यद्वक्ता की पत्नी थी, जो यहोवा की सेवा करते हुए इस संसार से चल बसा था। उसके पति के ऊपर कर्ज था, और अब ऋणदाता उसके दोनों पुत्रों को दास बनाकर ले जाने आ रहे थे।
वह स्त्री रोते हुए एलीशा के पास पहुँची और गिड़गिड़ाते हुए बोली, “हे मेरे प्रभु, मेरे पति ने तो यहोवा का भय माना, पर अब ऋणदाता मेरे दोनों बेटों को ले जाने आ रहे हैं! मेरी सहायता करो!”
एलीशा ने उसकी पीड़ा को समझा और उससे पूछा, “बताओ, तेरे घर में क्या है?”
विधवा ने नम्रतापूर्वक उत्तर दिया, “हे परमेश्वर के सेवक, मेरे घर में केवल एक छोटा सा कुंड भर तेल है, और कुछ नहीं।”
तब एलीशा ने उसे आज्ञा दी, “जाओ, अपने सभी पड़ोसियों से खाली बरतन माँग लाओ। बहुत से बरतन माँगना। फिर अपने घर के भीतर जाकर दरवाज़ा बंद कर लो और अपने बेटों के साथ उन बरतनों में तेल भरना। जब एक बरतन भर जाए, तो उसे अलग रख देना और दूसरा ले लेना।”
विधवा ने एलीशा की बात मानी। उसने अपने पुत्रों को भेजकर पूरे गाँव से खाली बरतन इकट्ठे करवाए—कुछ छोटे, कुछ बड़े, कुछ मटके, कुछ घड़े। फिर उसने अपने घर का दरवाज़ा बंद कर लिया और अपने दोनों बेटों को साथ लेकर तेल भरना शुरू किया।
जैसे ही उसने अपने एकमात्र तेल के कुंड को झुकाया, तेल बहने लगा। पहला बरतन भर गया, फिर दूसरा, फिर तीसरा… देखते ही देखते सभी बरतन तेल से भर गए। उसका छोटा सा तेल का कुंड कभी खाली नहीं हुआ! जब सारे बरतन भर गए और कोई खाली पात्र नहीं बचा, तभी तेल का प्रवाह रुक गया।
विधवा ने आनंदित होकर एलीशा के पास जाकर यह सब बताया। तब एलीशा ने कहा, “जाओ, इस तेल को बेचकर अपना कर्ज चुका दो। बचा हुआ धन तुम और तुम्हारे पुत्रों के लिए पर्याप्त होगा।”
और ऐसा ही हुआ। उस स्त्री ने तेल बेचकर अपने सारे ऋण चुका दिए, और उसके पास इतना धन बचा कि वह और उसके पुत्र निर्भय होकर जीवन व्यतीत करने लगे।
इस चमत्कार के द्वारा परमेश्वर ने यह प्रमाणित किया कि वह विधवाओं और अनाथों का सहारा है। उसने एलीशा के हाथों से अपनी महानता दिखाई और यह सिद्ध किया कि जो यहोवा पर भरोसा रखता है, वह कभी लज्जित नहीं होता।
**सीख:**
1. परमेश्वर उनकी सुनता है जो उसकी ओर पुकारते हैं।
2. थोड़ी सी वस्तु भी, जब परमेश्वर के हाथ में हो, अधिक हो जाती है।
3. विश्वास और आज्ञाकारिता से आशीष प्राप्त होती है।
इस प्रकार एलीशा के द्वारा परमेश्वर ने अपनी करुणा और सामर्थ्य प्रगट की, और उस विधवा के घर को अनंत आशा से भर दिया।