पवित्र बाइबल

यहोशू 13: अधूरी विजय और परमेश्वर का वादा

**यहोशू 13: अधूरे विजय और परमेश्वर का वादा**

यहोशू बूढ़ा हो चुका था, उसकी आँखों के सामने कनान की धरती पर इस्त्राएल की अनेक विजयें हुई थीं। परन्तु अभी भी बहुत सी भूमि ऐसी थी जिस पर इस्त्राएल का अधिकार नहीं हुआ था। एक दिन, जब यहोशू गिलगाल में अपने तम्बू में विश्राम कर रहा था, तब यहोवा का वचन उसके पास आया।

**परमेश्वर का आदेश**

यहोवा ने यहोशू से कहा, *”तू बूढ़ा हो गया है, और अभी बहुत सी भूमि अधिकार करने के लिए बाकी है।”* उसने उन स्थानों का वर्णन किया जो अभी तक जीते नहीं गए थे—फिलिस्तीनों के पाँचों शासकों का प्रदेश, गशूरियों और अवीयों का भूभाग, दक्षिण में सीन तक का मरुस्थल, और उत्तर में लेबानान पर्वत के नीचे बसा हुआ समस्त क्षेत्र। यहाँ तक कि सीदोनियों का प्रभाव वाला क्षेत्र भी अभी तक इस्त्राएल के हाथ में नहीं आया था।

परमेश्वर ने यहोशू को आश्वस्त किया, *”मैं स्वयं इन सब देशों को इस्त्राएलियों के सामने से निकाल दूँगा। इसलिए तू इस भूमि को इस्त्राएल के बीच बाँट देना, जैसा मैंने तुझे आज्ञा दी है।”*

**यरदन के पूर्व की भूमि का विभाजन**

यहोशू ने परमेश्वर के वचन को सुनकर तुरंत कार्य आरम्भ किया। उसने याद किया कि कैसे मूसा के समय में रूबेन, गाद और आधे मनश्शे गोत्र ने यरदन के पूर्व की भूमि को अपना भाग माँगा था। यह वह भूमि थी जिस पर सीहोन और ओग जैसे शक्तिशाली राजाओं का शासन था, परन्तु परमेश्वर ने इस्त्राएल को उन पर विजय दिलाई थी।

यहोशू ने उन गोत्रों के प्रधानों को बुलाया और कहा, *”मूसा ने तुम्हें यरदन के इस पार का यह देश दिया था। अब तुम्हें अपने-अपने भाग में बस जाना चाहिए, परन्तु याद रखो कि तुम्हारे भाइयों के लिए भी यरदन के पार की भूमि को जीतना है। तुम्हें उनकी सहायता करनी होगी, जब तक कि वे भी अपना-अपना भाग न पा लें।”*

रूबेन के गोत्र को दक्षिणी भाग मिला, जहाँ अर्नोन नदी बहती थी और मेद्यान की सीमाएँ थीं। गाद के गोत्र को यबोक नदी के आसपास का उपजाऊ क्षेत्र मिला, जहाँ उनके पशुओं के लिए हरी-भरी चरागाहें थीं। मनश्शे के आधे गोत्र को बाशान का प्रदेश मिला, जहाँ ओग का राज्य हुआ करता था। यह भूमि ऊँचे-ऊँचे देवदार के वृक्षों और उर्वर मैदानों से भरी थी।

**लेवियों का विशेष स्थान**

यहोशू ने स्पष्ट किया कि लेवी गोत्र को कोई भूमि नहीं मिलेगी, क्योंकि यहोवा स्वयं उनका भाग था। उन्हें नगर और चारों ओर की चरागाहें दी गईं, जहाँ वे परमेश्वर की सेवा कर सकें और इस्त्राएल को धर्मशिक्षा दे सकें।

**अधूरी विजय का महत्व**

यद्यपि बहुत सी भूमि अभी भी शत्रुओं के हाथ में थी, परमेश्वर ने वादा किया था कि वह इस्त्राएल के लिए उन्हें भी जीत देगा। यहोशू ने लोगों को स्मरण दिलाया कि उनकी सफलता परमेश्वर की आज्ञाकारिता और विश्वास पर निर्भर थी।

इस प्रकार, यहोशू ने भूमि का बँटवारा आरम्भ किया, यह जानते हुए कि परमेश्वर अपने वादों को पूरा करेगा। इस्त्राएल के लोगों को अब अपने-अपने भाग में बसना था और यहोवा की सेवा करते हुए उसकी महिमा को प्रकट करना था।

LEAVE A RESPONSE

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *