पवित्र बाइबल

पवित्र जल और शुद्धिकरण की कहानी

**पवित्र जल और शुद्धिकरण की कहानी**

गर्मी की एक दोपहर थी जब इस्राएल के लोग कादेश के मरुस्थल में डेरे डाले हुए थे। सूरज की तपिश रेत को आग की तरह गर्म कर रही थी, और हवा में धूल के बवंडर उड़ रहे थे। मूसा, जो परमेश्वर की आज्ञाओं को लोगों तक पहुँचाता था, उसने महसूस किया कि लोगों के बीच अशुद्धता और मृत्यु के बाद की अवस्था को लेकर भ्रम फैला हुआ था। वे नहीं जानते थे कि मृतक के संपर्क में आने के बाद कैसे शुद्ध हों। तब परमेश्वर ने मूसा से बात की और उसे एक विस्तृत नियम दिया, जिससे लोगों की शुद्धता बनी रहे।

### **लाल रंग की बछिया का चुनाव**

परमेश्वर ने मूसा और हारून से कहा, “इस्राएल के लोगों को मेरी यह आज्ञा सुनाओ: एक बिना दोष की, लाल रंग की बछिया लाओ, जिस पर कभी जुआ न रखा गया हो।” यह बछिया पूर्णतः स्वस्थ और निर्दोष होनी चाहिए थी। लोगों ने ऐसी ही एक बछिया को चुना, जिसका लाल रंग गहरा और चमकदार था, मानो उसे परमेश्वर ने विशेष रूप से इस कार्य के लिए तैयार किया हो।

### **बछिया की बलि और दहन**

मूसा ने बछिया को डेरे के बाहर, एक पवित्र स्थान पर ले जाने का आदेश दिया। एलीआजर, हारून का पुत्र, जो याजक था, उसने बछिया को वध करने के लिए तैयार किया। उसने अपनी उँगलियों को बछिया के रक्त में डुबोया और उस रक्त को मिलापवाले तम्बू के सामने सात बार छिड़का। फिर, सभी ने देखा कि कैसे बछिया का पूरा शरीर—उसका मांस, खून, यहाँ तक कि उसकी आँतें और खुर—एक साथ जलाई गईं। याजक ने देवदार की लकड़ी, जूफा (एक प्रकार की सुगंधित झाड़ी), और लाल रंग के धागे को आग में डाल दिया। धुआँ आकाश की ओर उठा, और एक तीखी गंध हवा में फैल गई।

### **राख का संग्रहण**

जब बछिया पूरी तरह जलकर राख बन गई, तो एक शुद्ध व्यक्ति ने उस राख को इकट्ठा किया और उसे डेरे के बाहर एक पवित्र स्थान पर रख दिया। यह राख इस्राएल के लोगों के लिए शुद्धिकरण के जल के रूप में काम आने वाली थी।

### **अशुद्धता और शुद्धिकरण का नियम**

परमेश्वर ने मूसा से कहा, “जो कोई मरे हुए व्यक्ति को छू ले, वह सात दिन तक अशुद्ध रहेगा। उसे तीसरे और सातवें दिन इस राख के पानी से छिड़काव करके अपने आप को शुद्ध करना होगा। यदि वह ऐसा नहीं करेगा, तो वह परमेश्वर की मण्डली से काट दिया जाएगा।”

लोगों ने इस नियम को गंभीरता से लिया। जब किसी की मृत्यु होती, तो उसके घर के सदस्य और वे लोग जो अंतिम संस्कार में शामिल होते, सात दिन तक डेरे से दूर रहते। फिर तीसरे दिन, याजक उन पर राख मिला हुआ पवित्र जल छिड़कता। सातवें दिन, वे अपने वस्त्र धोते और स्नान करते, और सूर्यास्त के बाद वे फिर से शुद्ध माने जाते।

### **एक घटना: शुद्धिकरण की आवश्यकता**

एक बार की बात है, शमूएल नाम का एक युवक अपने पिता की अचानक हुई मृत्यु के बाद उनके शव को दफनाने में मदद करने गया। वह जानता था कि अब वह अशुद्ध है, लेकिन उसके मन में डर था कि कहीं वह परमेश्वर की मण्डली से अलग न हो जाए। उसने मूसा के पास जाकर पूछा, “मैं क्या करूँ?” मूसा ने उसे परमेश्वर की आज्ञा याद दिलाई।

शमूएल ने तीसरे दिन याजक के पास जाकर शुद्धिकरण का जल लिया। जब याजक ने उस पर पानी छिड़का, तो उसने अपने हृदय में एक नई शुद्धता महसूस की। सातवें दिन, उसने स्नान किया और अपने वस्त्र धोए। सूर्यास्त होते ही, वह फिर से अपने परिवार और समुदाय के बीच बैठ सका, जैसे कुछ हुआ ही न हो।

### **परमेश्वर की पवित्रता का महत्व**

यह नियम इस्राएलियों को सिखाता था कि परमेश्वर पवित्र है और उसकी उपस्थिति में अशुद्धता के लिए कोई स्थान नहीं है। मृत्यु, जो पाप का परिणाम है, अशुद्धता लाती है। लेकिन परमेश्वर ने शुद्ध होने का मार्ग भी बनाया—एक निर्दोष बछिया का बलिदान और राख के जल का प्रयोग।

आज भी, यह कहानी हमें याद दिलाती है कि पाप हमें अशुद्ध करता है, लेकिन परमेश्वर ने मसीह के बलिदान के द्वारा हमारे लिए शुद्धिकरण का मार्ग बना दिया है। जैसे उस राख का जल लोगों को शुद्ध करता था, वैसे ही मसीह का लहू हमें सभी अशुद्धता से शुद्ध करता है।

इस प्रकार, इस्राएल के लोगों ने सीखा कि पवित्र परमेश्वर के साथ चलने के लिए शुद्धिकरण आवश्यक है। और आज भी, यह शिक्षा हमारे लिए परमेश्वर की पवित्रता और उसकी अनुग्रहपूर्ण व्यवस्था की याद दिलाती है।

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