पवित्र बाइबल

शाऊल और एन्दोर की डायनी की रहस्यमय भेंट (Note: The title is within 100 characters, symbols and quotes are removed, and it captures the essence of the story in Hindi.)

### **शाऊल और एन्दोर की डायनी (1 शमूएल 28)**

#### **भूमिका**
फिलिस्तीनों ने एक बार फिर से इस्राएल के विरुद्ध युद्ध की तैयारी की। उनकी विशाल सेना इस्राएलियों के सामने शक्तिशाली खड़ी थी। राजा शाऊल ने जब फिलिस्तीनियों की सेना को देखा, तो उसका हृदय भय से काँप उठा। वह यहोवा से प्रश्न करना चाहता था, परन्तु उसे कोई उत्तर नहीं मिला।

पहले यहोवा ने शमूएल के द्वारा शाऊल से बात की थी, किन्तु अब शमूएल का देहान्त हो चुका था। शाऊल ने याजकों से पूछा, परन्तु यहोवा ने स्वप्न, उरीम, या नबियों के द्वारा भी उसे कोई उत्तर नहीं दिया। शाऊल घबरा गया। उसकी आत्मा अशान्त थी, और उसने एक निषिद्ध मार्ग चुना—एक डायनी से सम्पर्क करना।

#### **एन्दोर की डायनी**
शाऊल ने अपने सेवकों से पूछा, “क्या तुम किसी ऐसी स्त्री को जानते हो, जो भूतों को बुला सकती हो?” सेवकों ने उत्तर दिया, “हाँ, एन्दोर में एक स्त्री है, जो भूतों से बात कर सकती है।”

शाऊल ने रात के अंधेरे में भेष बदलक�, साधारण वस्त्र पहने और दो सेवकों के साथ एन्दोर की ओर चल पड़ा। वे रात भर चलते रहे, और जब वे उस स्त्री के घर पहुँचे, तो शाऊल ने कहा, “मेरे लिए भूत बुलाओ। मैं जिसे देखना चाहता हूँ, उसे मेरे सामने प्रकट करो।”

स्त्री ने सावधानी से कहा, “तुम जानते हो कि शाऊल ने देश से सभी जादूगरों और भूत-बुलाने वालों को निकाल दिया है। तुम मुझे फँसाने आए हो क्या?”

शाऊल ने यहोवा की शपथ खाकर कहा, “तुझे कुछ नहीं होगा। मैं तुझे दण्ड नहीं दूँगा।”

तब स्त्री ने पूछा, “किसे बुलाऊँ?”

शाऊल ने कहा, “शमूएल को बुलाओ।”

#### **शमूएल का प्रकट होना**
जैसे ही स्त्री ने अपने जादुई कर्म किए, उसकी आँखें फैल गईं। वह चिल्लाई, “तूने मुझे धोखा दिया! तू शाऊल है!”

शाऊल ने उसे शान्त किया, “डरो मत। तूने क्या देखा?”

स्त्री ने काँपते हुए कहा, “मैंने एक वृद्ध पुरुष को देखा, जो एक लबादे में लिपटा हुआ है।”

शाऊल समझ गया कि यह शमूएल है। उसने भूमि पर झुककर प्रणाम किया।

तब शमूएल की आत्मा ने शाऊल से पूछा, “तूने मुझे क्यों बुलवाया? मैं विश्राम कर रहा हूँ।”

शाऊल ने कहा, “मैं बहुत संकट में हूँ। फिलिस्तीनियों ने मुझ पर युद्ध छेड़ दिया है, और परमेश्वर ने मुझे उत्तर देना छोड़ दिया है। मैं नहीं जानता कि क्या करूँ।”

#### **शमूएल का भविष्यवाणी**
शमूएल ने कठोर स्वर में कहा, “यदि यहोवा ने तुझे उत्तर नहीं दिया, तो तू मुझे क्यों पूछने आया? यहोवा ने तेरा राज्य तेरे हाथ से लेकर दाऊद को दे दिया है, क्योंकि तूने उसकी आज्ञा नहीं मानी। अब यहोवा तेरे और इस्राएल के विरुद्ध है। कल ही तू और तेरे पुत्र मेरे पास आ जाओगे—यहोवा इस्राएल की सेना को फिलिस्तीनियों के हाथ में दे देगा।”

यह सुनकर शाऊल मूर्छित होकर भूमि पर गिर पड़ा। वह अत्यन्त भयभीत था, क्योंकि उसने सच में जान लिया कि परमेश्वर का न्याय उस पर आ पड़ा है।

#### **शाऊल की दयनीय दशा**
स्त्री ने देखा कि शाऊल पूरी तरह टूट चुका है। उसने दया खाकर कहा, “मैंने तेरी आज्ञा मानी, अब तू भी मेरी एक बात मान। मैंने तेरे प्राणों की बलि देकर तुझे सुन लिया। अब कुछ खा ले, ताकि तुझमें थोड़ी शक्ति आ जाए।”

शाऊल ने इन्कार किया, परन्तु स्त्री और उसके सेवकों ने बार-बार अनुरोध किया। अन्त में, शाऊल उठा और थोड़ा भोजन किया। फिर वह और उसके सेवक रातोंरात वहाँ से चले गए।

#### **उपसंहार**
शाऊल का अन्त निकट था। शमूएल की भविष्यवाणी सच हुई—अगले दिन फिलिस्तीनियों ने इस्राएलियों को हराया, और शाऊल के पुत्र मारे गए। शाऊल ने स्वयं भी अपने ही हाथों प्राण त्याग दिए। इस प्रकार, परमेश्वर का न्याय पूरा हुआ।

शाऊल की कहानी हमें सिखाती है कि परमेश्वर की अवज्ञा का परिणाम भयानक होता है। जब हम उसकी आज्ञाओं को ठुकराते हैं, तो हम अकेले और निराश हो जाते हैं। परन्तु परमेश्वर की खोज करने वालों के लिए, वह सदैव उपस्थित रहता है।

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