**भजन संहिता 138 पर आधारित एक विस्तृत कहानी**
**शीर्षक: “परमेश्वर की स्तुति में अडिग विश्वास”**
एक समय की बात है, यरूशलेम के पास एक छोटे से गाँव में दाऊद नाम का एक युवक रहता था। वह परमेश्वर के प्रति अत्यधिक भक्ति रखता था और हर समय उसकी स्तुति में लीन रहता। दाऊद के हृदय में परमेश्वर के प्रति इतना प्रेम था कि वह हर परिस्थिति में उसका धन्यवाद करता, चाहे वह सुख का समय हो या दुःख का।
एक दिन, दाऊद के गाँव पर एक शक्तिशाली शत्रु सेना ने आक्रमण कर दिया। वे लोगों को डरा-धमका रहे थे और उनकी संपत्ति लूट रहे थे। गाँव के लोग भयभीत होकर छिप गए, लेकिन दाऊद ने घबराने की बजाय परमेश्वर की शरण ली। वह एक ऊँचे टीले पर जाकर खड़ा हो गया और उसने मुखरित स्वर में भजन 138 का वर्णन करते हुए प्रार्थना की:
*”हे यहोवा, मैं तेरे सामने पूरे मन से धन्यवाद करूँगा,
मैं देवताओं के सामने तेरी स्तुति गाऊँगा।
मैं तेरे पवित्र मंदिर की ओर झुककर प्रणाम करूँगा,
और तेरी करुणा और सच्चाई के लिए तेरा नाम धन्य कहूँगा।”*
दाऊद की प्रार्थना इतनी ऊर्जावान थी कि उसके शब्दों में विश्वास की एक अद्भुत शक्ति थी। उसने परमेश्वर से विनती की कि वह उसकी सुन ले और उसके गाँव की रक्षा करे। तभी आकाश में बादल छा गए और एक जोरदार आवाज़ सुनाई दी, मानो स्वयं परमेश्वर उसकी प्रार्थना का उत्तर दे रहे हों।
शत्रु सेना ने जब दाऊद को निडर होकर परमेश्वर की स्तुति करते देखा, तो उनके मन में भय समा गया। उन्हें लगा कि कोई अदृश्य शक्ति उसकी रक्षा कर रही है। वे इतने भयभीत हुए कि उन्होंने गाँव को छोड़ दिया और वापस भाग गए। गाँव वालों ने यह चमत्कार देखा और सबने दाऊद के साथ मिलकर परमेश्वर की स्तुति की।
दाऊद ने फिर से भजन 138 की पंक्तियाँ दोहराईं:
*”तूने मुझे संकट में सहारा दिया,
तेरे हाथ ने मुझे शक्ति प्रदान की।
यहोवा मेरे लिए सब कुछ पूरा करेगा,
हे यहोवा, तेरी करुणा सदैव बनी रहेगी।”*
गाँव वालों ने दाऊद से पूछा, “तुम्हें इतना विश्वास कैसे हो गया कि परमेश्वर तुम्हारी सुनेंगे?” दाऊद ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया, “परमेश्वर वचन देता है कि वह दीनों को देखता है और अहंकारियों को दूर से ही पहचान लेता है। जब हम उसकी स्तुति करते हैं, तो वह हमारे साथ खड़ा होता है।”
उस दिन के बाद से, गाँव के सभी लोगों ने परमेश्वर पर भरोसा रखना सीख लिया। वे समझ गए कि चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी कठिन क्यों न हों, परमेश्वर की स्तुति और धन्यवाद हमेशा उन्हें शक्ति देगा। दाऊद की तरह, उन्होंने भी हर दिन परमेश्वर का गुणगान करना शुरू कर दिया।
**निष्कर्ष:**
भजन 138 हमें सिखाता है कि परमेश्वर की स्तुति करने से हमारा विश्वास मजबूत होता है। चाहे हम किसी भी संकट में हों, उसका नाम लेने से हमें शांति और साहस मिलता है। दाऊद की कहानी हमें यह याद दिलाती है कि परमेश्वर हमेशा हमारी प्रार्थनाओं का उत्तर देता है और अपने भक्तों की रक्षा करता है।