पवित्र बाइबल

हबक्कूक की प्रार्थना और परमेश्वर का जवाब

**हबक्कूक की प्रार्थना और परमेश्वर का उत्तर**

एक समय की बात है, यहूदा के देश में एक धर्मी भविष्यद्वक्ता हबक्कूक रहता था। वह परमेश्वर के न्याय और धार्मिकता के लिए गहराई से चिंतित रहता था। उसने देखा कि उसके चारों ओर अधर्म बढ़ता जा रहा है—लोग झूठ बोलते, हिंसा करते, और निर्दोषों का शोषण करते थे। न्याय पलट दिया जाता था, और धर्मी लोग दुखी होकर चिल्लाते थे, पर कोई उनकी सुनवाई नहीं करता था।

हबक्कूक के हृदय में पीड़ा थी। वह मंदिर के सामने खड़ा हुआ और परमेश्वर से प्रार्थना करने लगा: *”हे यहोवा, मैं कब तक पुकारता रहूँगा, और तू नहीं सुनता? मैं हिंसा के विषय में तुझे पुकारता हूँ, पर तू बचाव नहीं करता! तू मुझे क्यों अधर्म देखने देता है? तू क्यों संकट को सहन करता है? मेरी आँखों के सामने लूट-खसोट और विवाद है, और झगड़े बढ़ते जा रहे हैं!”*

उसकी प्रार्थना में विलाप और प्रश्न थे। वह समझ नहीं पा रहा था कि परमेश्वर चुप क्यों है। क्या वह अनदेखा कर रहा है? क्या उसकी सामर्थ्य कम हो गई है? परन्तु हबक्कूक ने अपनी शंकाओं को भी विश्वास के साथ परमेश्वर के सामने रखा।

तब परमेश्वर ने उसकी विनती सुनी और उत्तर दिया: *”देख, तू आश्चर्य करेगा और चकित होगा, क्योंकि मैं तेरे दिनों में एक ऐसा काम करने पर हूँ जिस पर यदि कोई तुझे बताए, तो भी तू विश्वास न करेगा। देख, मैं कसदियों को उठा रहा हूँ—वह क्रूर और उग्र जाति, जो पृथ्वी के चौड़े भागों को घेर लेगी। उनके घोड़े बाघों से भी तेज दौड़ते हैं, और वे शिकारी भेड़ियों के समान शीघ्रता से आक्रमण करते हैं। उनके सैनिक गर्व से भरे हुए हैं और अपनी ही शक्ति को अपना देवता मानते हैं।”*

हबक्कूक स्तब्ध रह गया। कसदी (बाबुल के लोग) बहुत ही निर्दयी थे। वे नगरों को जलाकर राख कर देते, बच्चों को पत्थरों से कुचल डालते, और बंदियों को जंजीरों में जकड़कर ले जाते थे। क्या परमेश्वर वास्तव में ऐसी दुष्ट जाति को यहूदा के विरुद्ध उठाएगा? यह कैसा न्याय होगा?

हबक्कूक ने फिर से परमेश्वर से पूछा: *”हे मेरे परमेश्वर, तू तो अनन्तकाल से पवित्र है! क्या तू उन्हें मारने देगा जो दुष्ट से अधिक धर्मी हैं? क्या तू मनुष्यों को समुद्र की मछलियों की तरह बिना किसी शासक के रहने देगा? क्या तू दुष्टों को अपने जाल से निकालकर दूसरों को निगल जाने देगा?”*

परमेश्वर ने हबक्कूक को समझाया कि उसकी योजनाएँ मनुष्य की समझ से ऊपर हैं। हाँ, वह कसदियों को दण्ड देने के लिए उठाएगा, परन्तु अंत में, वे भी अपने अहंकार के कारण नाश हो जाएँगे। *”धर्मी अपने विश्वास से जीवित रहेगा,”* परमेश्वर ने कहा।

हबक्कूक ने सीखा कि परमेश्वर का न्याय धीमा हो सकता है, पर वह निश्चित है। उसने अपनी प्रार्थना में विश्वास जताया: *”यदि अंजीर के वृक्ष में फल न लगें, और दाखलताओं में अंगूर न हों… तौभी मैं यहोवा में आनन्दित रहूँगा!”*

इस प्रकार, हबक्कूक ने समझा कि परमेश्वर की योजनाएँ गहरी हैं, और उस पर भरोसा रखना ही सच्ची बुद्धिमानी है।

LEAVE A RESPONSE

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *