**होशे 10: एक दृढ़ चेतावनी और आशा की कहानी**
भूमि इज़राइल उस समय हरी-भरी और उपजाऊ थी, जैसे प्रभु ने अपने लोगों को वादा किया था। समृद्धि हर तरफ दिखाई देती थी—खेत अनाज से लदे हुए थे, बागों में फलों के पेड़ झुके पड़े थे, और मवेशी मोटे-ताजे थे। लेकिन इस भौतिक समृद्धि के पीछे एक कड़वा सच छुपा हुआ था। इज़राइल के लोगों ने अपने हृदयों को परमेश्वर से दूर कर लिया था। उन्होंने अपनी सफलता को अपनी मेहनत और मूर्तियों की कृपा का परिणाम माना, न कि यहोवा के प्रेम और आशीष का।
### **बेथेल के बछड़े की पूजा**
समय के साथ, इज़राइल के लोगों ने बेथेल में स्थापित सोने के बछड़े की पूजा शुरू कर दी। वे वहाँ जाते, धूप जलाते, और नम्रता से सिर झुकाते, मानो वही उनका उद्धारकर्ता हो। लेकिन होशे नबी के माध्यम से परमेश्वर ने उन्हें चेतावनी दी:
*”वे अपने चुने हुए राजाओं से प्रेम करते हैं, परन्तु मुझे भूल गए हैं। उनका हृदय अब धोखेबाज़ हो गया है। उनके बछड़े का दिन आएगा जब वह उनके पापों का न्याय करेगा और उनके मूर्तिपूजक याजकों का अंत होगा।”*
होशे की आवाज़ में दर्द था, क्योंकि वह जानता था कि इज़राइल का पतन निकट है। वह चिल्लाकर बोला, *”तुम्हारी उपजाऊ भूमि अब दु:ख और रोने का स्थान बन जाएगी। तुमने सत्य को त्याग दिया है, इसलिए अब तुम्हारे खेतों में काँटे उगेंगे, और तुम्हारी फसलें नष्ट हो जाएँगी!”*
### **अश्शूर की आसन्न विपत्ति**
परमेश्वर ने होशे के द्वारा घोषणा की कि अश्शूर का राजा शीघ्र ही आक्रमण करेगा। वह एक भयंकर तूफान की तरह आएगा और इज़राइल के गर्वीले नगरों को धूल में मिला देगा। बेथेल का बछड़ा, जिस पर इज़राइल ने इतना भरोसा किया था, लूट लिया जाएगा और अश्शूर के देवता के सामने झुकाया जाएगा।
होशे ने कहा, *”जिस पहाड़ी पर तुम अपने पापों को छुपाते हो, वही तुम्हारे लिए शोक का पहाड़ बनेगी। तुम्हारे पाप तुम्हारे सामने खड़े होंगे, और तुम अपने ही कर्मों के फल भोगोगे।”*
### **एक दुखद भविष्यवाणी**
होशे ने भविष्यवाणी की कि इज़राइल का राजा निर्बल होगा और उसकी सत्ता धूल में मिल जाएगी। जिस सिंहासन पर वह बैठता था, वह टूट जाएगा। शोमरोन के निवासी भय से काँप उठेंगे जब उनके मूर्तिपूजक याजक भाग खड़े होंगे, क्योंकि उनका झूठा विश्वास उन्हें बचा नहीं पाएगा।
*”जैसे एक बेल जो बिना जड़ के फलती है, वैसे ही इज़राइल,”* होशे ने कहा। *”वह फल तो देगा, परन्तु वह विषैला होगा। उसके बच्चे असमय ही मारे जाएँगे, और उसकी माताएँ शोक से विलाप करेंगी।”*
### **पश्चाताप और आशा का आह्वान**
लेकिन होशे की भविष्यवाणी केवल न्याय की नहीं थी—उसमें आशा का एक सूत्र भी था। परमेश्वर ने अपने लोगों से कहा, *”अपने हृदय की जुताई करो, न कि केवल अपने शरीर की। धर्म की फसल बोओ, न कि अधर्म की। मेरी खोज करो, और मैं तुम्हें बचाने आऊँगा।”*
होशे ने उन्हें याद दिलाया कि यहोवा दयालु है। यदि वे सच्चे मन से पश्चाताप करें, तो वह उन्हें फिर से अपनाएगा। *”मैं उनके हृदयों को तोड़ूँगा, परन्तु उन्हें नष्ट नहीं करूँगा,”* परमेश्वर ने कहा। *”मैं उन्हें शुद्ध करूँगा, और वे फिर से मेरी ओर लौटेंगे।”*
### **अंतिम चेतावनी**
होशे ने अपनी भविष्यवाणी समाप्त करते हुए कहा, *”इज़राइल, तुम्हारा समय समाप्त हो रहा है। जब तक तुम जागोगे, तब तक बहुत देर हो चुकी होगी। परन्तु जो कोई भी प्रभु की शरण में आएगा, वह सुरक्षित रहेगा।”*
इस प्रकार, होशे ने इज़राइल को एक कठोर सच्चाई सुनाई—उनका पाप उन्हें विनाश की ओर ले जा रहा था, लेकिन परमेश्वर की दया अभी भी उनके लिए तैयार थी, यदि वे सच्चे मन से लौटें।