पवित्र बाइबल

मिस्र में इस्राएलियों का दासत्व और परमेश्वर की योजना

**मिस्र में इस्राएलियों का दासत्व**

प्राचीन मिस्र की धरती पर सूरज की तपती किरणें नील नदी के जल को चमकाती थीं। विशाल पिरामिड और भव्य मंदिरों के बीच फिरौन का राज्य फल-फूल रहा था। किंतु उसी भूमि में, गोशेन प्रदेश में, इस्राएल के वंशज बस गए थे। यूसुफ के समय से ही वे वहाँ रहते आए थे, क्योंकि यूसुफ ने अपने बुद्धिमानी से मिस्र को अकाल के दिनों में बचाया था। उस समय, फिरौन ने उन्हें सम्मान दिया था और इस्राएलियों को उत्तम भूमि में बसने दिया था।

किंतु समय बीतता गया। यूसुफ और उसके भाइयों की पीढ़ी जब स्वर्ग सिधार गई, तो मिस्र में एक नया राजा आया जो यूसुफ को नहीं जानता था। उसने देखा कि इस्राएलियों की संख्या बहुत बढ़ गई है। वे फलने-फूलने लगे थे और पूरे प्रदेश में फैल गए थे। यह देखकर नए फिरौन के मन में भय समा गया। वह अपने मंत्रियों से बोला, “देखो, इस्राएलियों की जनसंख्या हमसे भी अधिक होती जा रही है। यदि कोई युद्ध हो, तो वे हमारे शत्रुओं से मिल सकते हैं और हमारे विरुद्ध लड़ सकते हैं। हमें इन्हें रोकना होगा!”

अतः फिरौन ने इस्राएलियों पर कठोर नियम लगा दिए। उसने उन्हें क्रूर परिश्रम में झोंक दिया। मिस्रियों ने उन पर अधिकारियों को नियुक्त किया जो उन्हें कठिन मजदूरी करवाते थे। इस्राएलियों को फिरौन के लिए भंडार नगर पिथोम और रामसेस बनाने पड़े। उन्हें मिट्टी की ईंटें बनानी पड़तीं, खेतों में काम करना पड़ता, और हर प्रकार का परिश्रम करना पड़ता। मिस्र के लोग उन पर कोड़े बरसाते और उनके श्रम को और भी कठिन बना देते।

किंतु एक आश्चर्य की बात थी—जितना अधिक मिस्रियों ने उन्हें सताया, उतना ही अधिक इस्राएली बढ़ते गए! वे फैलते चले गए, और मिस्रियों का भय और भी बढ़ गया। फिरौन ने अपने दुष्ट हृदय में एक नई योजना बनाई। उसने दो मिस्री दाइयों, जिनके नाम शिफ्रा और पूआ थे, को बुलवाया। ये दाइयाँ इस्राएली स्त्रियों की प्रसव में सहायता करती थीं। फिरौन ने उन्हें आज्ञा दी, “जब भी तुम इस्राएली स्त्रियों के प्रसव में सहायता करो, और यदि वह लड़का हो, तो उसे मार डालो। किंतु यदि लड़की हो, तो उसे जीवित रहने दो।”

किंतु शिफ्रा और पूआ परमेश्वर का भय मानने वाली थीं। उन्होंने फिरौन की आज्ञा का पालन नहीं किया और इस्राएली बालकों को जीवित रहने दिया। जब फिरौन को इसका पता चला, तो उसने उन दाइयों को बुलवाकर पूछा, “तुमने ऐसा क्यों किया? तुमने बालकों को क्यों जीवित छोड़ दिया?”

दाइयों ने चतुराई से उत्तर दिया, “हे राजन, इस्राएली स्त्रियाँ मिस्रियों के समान नहीं हैं। वे बहुत बलवती हैं और दाइयों के पहुँचने से पहले ही प्रसव कर लेती हैं।”

परमेश्वर ने उन दाइयों पर कृपा की। वह उनके घरों को आशीष देता रहा, क्योंकि उन्होंने जीवन को बचाया था। किंतु फिरौन का हृदय और भी कठोर हो गया। उसने सारे मिस्र में आज्ञा दी, “हर इस्राएली नर शिशु को नील नदी में फेंक दो! केवल बालिकाओं को जीवित रहने दो।”

इस प्रकार, इस्राएलियों पर भारी संकट छा गया। उनकी चीखें परमेश्वर तक पहुँचने लगीं। वह उनके दुःख को देख रहा था, और उसने अपनी प्रतिज्ञा को याद किया जो उसने इब्राहीम, इसहाक और याकूब से की थी। परमेश्वर ने उनके क्लेश को सुना, और उनके उद्धार की योजना बनाने लगा।

इस प्रकार, मिस्र की गुलामी के अंधकार में भी, परमेश्वर की दया और न्याय की किरणें चमकने लगी थीं। उसका हाथ इस्राएल के लोगों पर था, और वह उन्हें मुक्त करने के लिए एक महान उद्धारकर्ता को तैयार कर रहा था।

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