**1 कुरिन्थियों 2 पर आधारित बाइबल कहानी**
**शीर्षक: “परमेश्वर का गहरा ज्ञान और पवित्र आत्मा की शक्ति”**
यरूशलेम की सँकरी गलियों में सुबह की धूप फैल रही थी। पौलुस, एक समर्पित प्रेरित, एक छोटे से घर में बैठे थे, जहाँ कुरिन्थ के कुछ विश्वासी उसकी शिक्षा सुनने के लिए एकत्रित हुए थे। उसकी आँखों में एक अद्भुत शांति और गहरा ज्ञान झलक रहा था। वह जानता था कि उसके सामने बैठे लोगों के मन में कई सवाल थे—वे समझना चाहते थे कि परमेश्वर का राज्य क्या है और उसकी बुद्धि कैसे मनुष्यों की बुद्धि से भिन्न है।
पौलुस ने धीरे से अपने हाथ उठाए और बोला, “प्रिय भाइयों और बहनों, जब मैं तुम्हारे पास आया, तो मैंने उच्चारण या बुद्धिमत्ता के शब्दों के साथ नहीं आया। मैंने यीशु मसीह और उसके क्रूस पर बलिदान के सिवाय किसी और बात पर जोर नहीं दिया।” उसकी आवाज़ में एक दृढ़ता थी, मानो वह हर शब्द को तौल-तौलकर बोल रहा हो।
“मैं कमजोरी, भय और बहुत काँपते हुए तुम्हारे बीच में आया,” पौलुस ने कहा। “मेरा संदेश और मेरा प्रचार बुद्धिमत्ता के प्रभावशाली शब्दों में नहीं था, बल्कि पवित्र आत्मा की शक्ति में था, ताकि तुम्हारा विश्वास मनुष्यों की बुद्धि पर नहीं, बल्कि परमेश्वर की सामर्थ्य पर आधारित हो।”
कमरे में बैठे लोगों में से एक युवक, जिसका नाम दमित्रीस था, ने सिर उठाकर पूछा, “लेकिन पौलुस, अगर हम बुद्धिमानों की तरह तर्क नहीं करेंगे, तो दुनिया हमें कैसे समझेगी?”
पौलुस मुस्कुराया, मानो वह इस प्रश्न की प्रतीक्षा कर रहा हो। उसने गहरी साँस ली और कहा, “दमित्रीस, इस संसार के बुद्धिमान, इस युग के शासक, परमेश्वर की बुद्धि को नहीं समझते। यदि वे समझते, तो उन्होंने महिमा के प्रभु को क्रूस पर नहीं चढ़ाया होता।” उसकी आँखों में एक दुख था, मानो वह उस सत्य को महसूस कर रहा हो जो संसार ने अभी तक नहीं पहचाना था।
फिर वह आगे बोला, “परन्तु जैसा लिखा है—’जो आँख ने नहीं देखा, कान ने नहीं सुना, और जो मनुष्य के मन में नहीं चढ़ा, वही परमेश्वर ने अपने प्रेम रखनेवालों के लिए तैयार किया है।'”
कमरे में एक पवित्र मौन छा गया। हर कोई उस वचन को अपने हृदय में उतार रहा था। पौलुस ने अपनी बात जारी रखी, “परमेश्वर ने ये बातें हम पर पवित्र आत्मा के द्वारा प्रकट की हैं। आत्मा सब बातों, यहाँ तक कि परमेश्वर की गहरी बातों को भी जाँचता है।”
एक बुजुर्ग महिला, जिसका नाम मरियम था, ने धीरे से कहा, “तो क्या हमारी समझ आत्मा पर निर्भर है?”
पौलुस ने सिर हिलाया। “हाँ, मरियम। क्योंकि मनुष्य का आत्मा ही उसके भीतर की बातों को जानता है, वैसे ही परमेश्वर की बातों को भी परमेश्वर का आत्मा ही जानता है। हमने संसार की आत्मा नहीं, परन्तु वह आत्मा पाया है जो परमेश्वर की ओर से है, ताकि हम उन बातों को जानें जो परमेश्वर ने हमें दान की हैं।”
उसकी बातें सुनकर सभी के हृदयों में एक नई समझ जाग उठी। पौलुस ने अंत में कहा, “भौतिक मनुष्य परमेश्वर के आत्मा की बातें ग्रहण नहीं करता, क्योंकि वे उसके लिए मूर्खता की बातें हैं। वह उन्हें जान भी नहीं सकता, क्योंकि उनकी जाँच आत्मिक रीति से होती है। परन्तु आत्मिक मनुष्य सब बातों को जाँचता है, और उसकी जाँच किसी से नहीं होती।”
उस दिन, कुरिन्थ के विश्वासियों ने समझा कि परमेश्वर का ज्ञान मनुष्य की बुद्धि से ऊपर है। उन्होंने पवित्र आत्मा की अगुवाई में चलने का निश्चय किया, ताकि वे उस गहरे प्रेम और सच्चाई को जान सकें जो केवल परमेश्वर ही प्रकट कर सकता है।
**अंत।**