**प्रेरित यूहन्ना का पत्र: प्रकाश और अन्धकार की कहानी**
एक समय की बात है, जब प्रेरित यूहन्ना एक छोटे से गाँव में बैठे हुए थे। उनके चेहरे पर गहरी शांति थी, क्योंकि वे उस प्रेम और सत्य के बारे में सोच रहे थे जो उन्होंने प्रभु यीशु मसीह से सीखा था। उनके आसपास कई विश्वासी इकट्ठे हुए थे, जो उनकी बातें सुनने के लिए उत्सुक थे। यूहन्ना ने अपनी आँखें बंद कीं और प्रार्थना की, फिर धीरे से बोले:
“प्रिय बच्चों, मैं तुम्हें उसके बारे में बताना चाहता हूँ जो आदि से था—वह जीवन का वचन, जिसे हमने सुना, अपनी आँखों से देखा, अपने हाथों से छुआ। वह अनन्त जीवन, जो पिता के साथ था और हमारे सामने प्रगट हुआ।”
लोगों ने साँस रोककर सुना। यूहन्ना की आवाज़ में एक अद्भुत ताकत थी, जैसे वह उस सत्य को छू रहे हों जो समय से परे था। उन्होंने आगे कहा:
“हम तुम्हें वह सन्देश सुनाते हैं जो हमने उससे सुना—परमेश्वर प्रकाश है, और उसमें कोई अन्धकार नहीं। यदि हम कहें कि हमारा उसके साथ संगति है, फिर भी हम अन्धकार में चलें, तो हम झूठ बोलते हैं और सत्य पर नहीं चलते।”
गाँव के एक युवक ने हाथ उठाकर पूछा, “गुरुवर, फिर हम कैसे जानें कि हम सच में उसके साथ हैं?”
यूहन्ना ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है। पर यदि हम कहें कि हमने कोई पाप नहीं किया, तो हम उसे झूठा ठहराते हैं, और उसका वचन हमारे मन में नहीं रहता।”
एक बूढ़ी महिला, जिसके चेहरे पर जीवन की झुर्रियाँ थीं, ने आँखें भरकर कहा, “पर हम इतने कमज़ोर हैं… हम बार-बार गिरते हैं। क्या वह सच में हमें क्षमा करेगा?”
यूहन्ना ने उसकी ओर प्रेम भरी नज़रों से देखा और बोले, “हाँ, प्रिय बहन। उसका प्रेम इतना महान है कि वह तुम्हारे हर पाप को धो देगा, बशर्ते तुम उसके सामने ईमानदारी से अपने हृदय को खोलो। वह तुम्हें नए जीवन की ओर ले जाएगा, जहाँ प्रकाश है, जहाँ सच्ची आनन्द और शांति है।”
उसी समय, गाँव के एक धनी व्यापारी, जो पापों में डूबा हुआ था, वहाँ आया। उसने यूहन्ना के शब्द सुने और उसका हृदय भारी हो गया। वह गिर पड़ा और रोते हुए बोला, “मैंने बहुत पाप किए हैं… क्या मेरे लिए भी कोई आशा है?”
यूहन्ना ने उसके कंधे पर हाथ रखा और कहा, “सुनो, मेरे पुत्र। यीशु का लहू हमें सब पापों से शुद्ध करता है। यदि तू सच्चे मन से पश्चाताप करे, तो वह तुझे क्षमा करेगा और तेरा जीवन बदल देगा।”
व्यापारी ने आँखें उठाईं और उसके चेहरे पर एक नई चमक थी। उसने कहा, “मैं विश्वास करता हूँ! आज से मैं इस प्रकाश में चलूँगा!”
यूहन्ना ने सबको आशीर्वाद दिया और कहा, “याद रखो, प्रियों, परमेश्वर प्रेम है, और जो प्रेम में बना रहता है, वह परमेश्वर में बना रहता है। चलो, उसके प्रकाश में चलें, क्योंकि अन्धकार अब हमारा भाग्य नहीं।”
और इस तरह, उस छोटे से गाँव में, सत्य का प्रकाश चमका, और कई लोगों के जीवन बदल गए। यूहन्ना का यह सन्देश आज भी हमारे लिए मार्गदर्शक है—पाप का अंधकार छोड़कर, प्रभु यीशु के प्रकाश में चलने का।