शमूएल के नेतृत्व में इस्राएल की विजय और परमेश्वर की महिमा (Note: The title is within the 100-character limit and conveys the essence of the story while removing symbols and quotes as requested.)
**शमूएल 7: इस्राएल की विजय और परमेश्वर की महिमा**
उन दिनों की बात है जब इस्राएल के लोग यहोवा से दूर होकर बाल और अश्तोरेत जैसे मूर्तियों की पूजा करने लगे थे। परमेश्वर का क्रोध उन पर भड़क उठा, और उन्होंने इस्राएल को फिलिस्तीनियों के हाथों सताया जाने दिया। वर्षों तक उन पर अत्याचार हुए, उनकी फसलें नष्ट हुईं, और उनका जीवन भय से भर गया।
तब शमूएल, जो इस्राएल का न्यायी और भविष्यद्वक्ता था, ने लोगों को एकत्रित होने के लिए कहा। वह मिस्पा नामक स्थान पर गया और सभा के सामने खड़ा होकर घोषणा की, **”हे इस्राएल के लोगो, यदि तुम सच्चे मन से यहोवा की ओर लौटना चाहते हो, तो सभी विदेशी देवताओं को दूर करो! अपने हृदय को केवल यहोवा के लिए समर्पित करो और उसी की सेवा करो। तभी वह तुम्हें फिलिस्तीनियों के हाथ से बचाएगा!”**
लोगों ने शमूएल की बात मानी। उन्होंने बाल और अश्तोरेत की मूर्तियों को इकट्ठा किया और उन्हें तोड़कर नष्ट कर दिया। फिर वे सभी मिस्पा में एकत्र हुए और पानी लेकर यहोवा के सामने उंडेल दिया, यह दिखाते हुए कि वे अपने पापों से पश्चाताप कर रहे हैं। शमूएल ने उनके लिए प्रार्थना की, और इस्राएल ने उस दिन उपवास रखा, अपने पापों को स्वीकार करते हुए यहोवा से क्षमा मांगी।
लेकिन फिलिस्तीनी सरदारों को जब यह समाचार मिला कि इस्राएली मिस्पा में इकट्ठे हुए हैं, तो उन्होंने सोचा कि वे विद्रोह की योजना बना रहे हैं। उन्होंने तुरंत अपनी सेना को तैयार किया और इस्राएल पर हमला करने के लिए चल पड़े। जब इस्राएल के लोगों ने देखा कि फिलिस्तीनी उन पर चढ़ाई कर रहे हैं, तो वे बहुत डर गए। उन्होंने शमूएल से कहा, **”हमें यहोवा से लगातार प्रार्थना करने न छोड़, कि वह हमें फिलिस्तीनियों के हाथ से बचाए!”**
शमूएल ने एक मेमने को लेकर यहोवा के लिए पूर्ण होमबलि चढ़ाई और इस्राएल के लिए बिनती की। तभी यहोवा ने उत्तर दिया! जैसे ही फिलिस्तीनी सेना ने इस्राएल पर आक्रमण करने के लिए आगे बढ़ी, आकाश में बड़ी गर्जना हुई। यहोवा ने अपनी वज्रपात की आवाज़ से फिलिस्तीनियों में भगदड़ मचा दी। वे इतने भयभीत हो गए कि एक-दूसरे को काटने लगे और अस्त-व्यस्त होकर भाग खड़े हुए।
इस्राएली सेना ने उनका पीछा किया और उन्हें बेत्कर तक हराया। शमूएल ने एक बड़ा पत्थर लेकर मिस्पा और शेन के बीच खड़ा किया और उसका नाम **”एबेनेजेर”** रखा, यह कहते हुए, **”यहोवा ने अब तक हमारी सहायता की है!”**
उस दिन के बाद, फिलिस्तीनी इस्राएल के क्षेत्र में फिर कभी नहीं आए, और यहोवा का हाथ फिलिस्तीनियों के विरुद्ध रहा। शमूएल के जीवनकाल में इस्राएल ने शांति पाई, और वह बीर्सेबा से दान तक सारे इस्राएल में न्याय करता रहा। हर साल वह बेतेल, गिलगाल और मिस्पा में जाता और इस्राएल के लोगों को परमेश्वर की व्यवस्था सिखाता।
इस प्रकार, इस्राएल ने अपने मन को यहोवा की ओर फेरा, और उसने उन्हें उनके सभी शत्रुओं से बचाया। शमूएल के नेतृत्व में, लोगों ने सच्ची आराधना की और यहोवा की महिमा पूरी पृथ्वी पर फैल गई।
**इस्राएल का परमेश्वर, यहोवा, सचमुच जीवित है और वह अपने लोगों को उनके पश्चाताप पर उद्धार देता है!**