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यहूदा का पतन और बाबुल की बंधुआई की कहानी

**2 इतिहास 36: यहूदा का पतन और बाबुल की बंधुआई**

उन दिनों की बात है जब यहूदा के राज्य पर अनेक राजाओं ने शासन किया, परन्तु उनमें से अधिकांश ने परमेश्वर की आज्ञाओं को तुच्छ जाना और उसके मार्ग से भटक गए। यिर्मयाह नबी के द्वारा परमेश्वर ने बार-बार चेतावनी दी, किन्तु उन्होंने न सुनी और न ही पश्चाताप किया। अंत में, यहूदा का पतन हो गया और उसकी प्रजा बाबुल के हाथों बंधुआ बना ली गई।

### **यहोयाकिम का अधर्मी शासन**
यहोयाकिम यहूदा का राजा बना। वह एक अहंकारी और दुष्ट राजा था जिसने परमेश्वर की आज्ञाओं को नहीं माना। उसने यरूशलेम में मूर्तिपूजा को बढ़ावा दिया और निर्दोषों का खून बहाया। यिर्मयाह नबी ने उसे चेतावनी दी: “परमेश्वर यहोवा यह कहता है कि यदि तू अपने कुकर्मों से नहीं फिरेगा, तो शत्रु तुझे बंधक बना लेंगे।” परन्तु यहोयाकिम ने उसकी बातों को हँसी में उड़ा दिया।

कुछ समय बाद, मिस्र का राजा नेखो यहूदा पर चढ़ाई की और यहोयाकिम को बेड़ियों में जकड़कर मिस्र ले गया। परमेश्वर का न्याय आरंभ हो चुका था।

### **यहोयाकीन और बाबुल का आक्रमण**
यहोयाकिम के बाद उसका पुत्र यहोयाकीन राजा बना, किन्तु वह भी अपने पिता के समान दुष्ट था। उसने भी परमेश्वर की आज्ञाओं को नहीं माना। तब बाबुल का शक्तिशाली राजा नबूकदनेस्सर यरूशलेम पर चढ़ आया और उसने नगर को घेर लिया। यहोयाकीन ने देखा कि उसकी शक्ति बाबुल के सामने कुछ नहीं है, इसलिए वह अपने परिवार और सेना के साथ आत्मसमर्पण कर दिया।

नबूकदनेस्सर ने यरूशलेम के मूल्यवान पात्रों और स्वर्ण-रजत के सभी बर्तनों को लूट लिया। उसने यहोयाकीन, उसके सरदारों, योद्धाओं और कुशल कारीगरों को बंदी बनाकर बाबुल ले जाया। यहूदा के लोगों का दिल टूट गया क्योंकि परमेश्वर का मन्दिर नष्ट होने लगा था।

### **सिदकिय्याह का विद्रोह और यरूशलेम का विनाश**
नबूकदनेस्सर ने यहोयाकीन के चाचा सिदकिय्याह को यहूदा का नया राजा बनाया। परमेश्वर ने सिदकिय्याह को यिर्मयाह नबी के द्वारा समझाया: “यदि तू मेरी आज्ञाओं का पालन करेगा, तो तू और यह नगर सुरक्षित रहेंगे।” किन्तु सिदकिय्याह ने परमेश्वर की बात नहीं मानी और बाबुल के विरुद्ध विद्रोह कर दिया।

इस पाप के कारण, नबूकदनेस्सर फिर यरूशलेम पर आ धमका। उसने नगर को घेर लिया और दीवारों को तोड़ डाला। भयंकर अकाल पड़ा, लोग भूख से तड़पने लगे। अंत में, बाबुल की सेना ने नगर में प्रवेश किया। सिदकिय्याह भाग निकला, परन्तु उसे पकड़ लिया गया। नबूकदनेस्सर ने उसके सामने ही उसके पुत्रों को मार डाला, फिर सिदकिय्याह की आँखें निकाल दीं और उसे बेड़ियों में जकड़कर बाबुल ले जाया गया।

बाबुल के सैनिकों ने परमेश्वर के मन्दिर को जला दिया, राजभवनों को नष्ट कर डाला, और यरूशलेम की दीवारें गिरा दीं। जो लोग बच गए थे, उन्हें बंदी बना लिया गया। इस प्रकार, यहूदा का राज्य समाप्त हो गया।

### **बंधुआई और आशा की किरण**
यहूदा के लोग सत्तर वर्ष तक बाबुल में बंधुआ रहे, जैसा कि यिर्मयाह नबी ने भविष्यद्वाणी की थी। परन्तु परमेश्वर ने अपने लोगों को पूरी तरह नहीं छोड़ा। फारस के राजा कुस्रू के समय में, परमेश्वर ने उसका हृदय परिवर्तित किया। कुस्रू ने घोषणा की: “यहोवा ने मुझे सारे राज्यों का अधिकार दिया है। अब मैं यहूदा के लोगों को आज्ञा देता हूँ कि वे यरूशलेम लौटकर परमेश्वर का मन्दिर बनाएँ।”

इस प्रकार, परमेश्वर की दया ने अपने लोगों को एक नई आशा दी। यद्यपि उन्होंने पाप किया और दण्ड पाया, परन्तु परमेश्वर का प्रेम कभी समाप्त नहीं हुआ। वह सदैव उनके पश्चाताप का इंतजार करता रहा।

**सीख:**
इस कहानी से हम सीखते हैं कि पाप का परिणाम दुखदायी होता है, परन्तु परमेश्वर की कृपा और क्षमा हमेशा बनी रहती है। यदि हम उसकी ओर फिरें, तो वह हमें नया जीवन देता है।

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