पवित्र बाइबल

राजा दाऊद का विजय उत्सव और भजन संहिता 21 की कहानी

**भजन संहिता 21 पर आधारित एक विस्तृत कहानी**

**राजा का विजयी उत्सव**

सूरज की पहली किरणें राजमहल के सुनहरे शिखरों को चूम रही थीं। यरूशलेम की गलियाँ आनंद और उल्लास से गूँज रही थीं। आज का दिन विशेष था—राजा दाऊद की विजय का उत्सव मनाया जा रहा था। प्रभु ने उनकी प्रार्थनाओं को सुना था और उन्हें शत्रुओं पर महान विजय दी थी।

राजमहल के विशाल प्रांगण में सेनापति, योद्धा और प्रजाजन एकत्रित हुए थे। दाऊद स्वयं राजसी वस्त्रों में सिंहासन पर विराजमान थे। उनके मुखमंडल पर प्रभु की कृपा चमक रही थी। उन्होंने अपने हाथों से प्रभु के नाम का आशीर्वाद लिया और गहरी श्रद्धा से भजन गाने लगे:

**”हे प्रभु, तेरी सामर्थ्य के कारण राजा आनन्दित होता है! तेरे उद्धार के कारण वह अत्यंत हर्षित है!”**

भजन संहिता 21 की ये पंक्तियाँ उनके हृदय से निकल रही थीं। उन्होंने प्रभु से जो माँगा था, वह उन्हें मिल गया था—शत्रुओं पर विजय, दीर्घायु और महिमा। प्रभु ने उनकी इच्छाओं को पूरा किया था और उनकी विनती को अस्वीकार नहीं किया था।

दाऊद ने अपने सिंहासन के पास खड़े याजकों की ओर देखा और कहा, **”प्रभु ने मुझे स्वर्णमुकुट पहनाया है। उसकी दया ने मुझे सदैव स्थिर रखा है।”** यह सुनकर सभी ने प्रभु की स्तुति की।

तभी दूर से युद्ध के बंदियों को लाया जा रहा था। दाऊद के शत्रु, जिन्होंने उनके विरुद्ध षड्यंत्र रचा था, अब पराजित होकर उनके सामने खड़े थे। राजा ने उनकी ओर देखा और भजन की अगली पंक्तियाँ गाईं:

**”तूने उन्हें ढूँढ़ निकाला और उनका सामना किया। प्रभु अपने प्रकोप में उन्हें भस्म कर देगा, आग उन्हें निगल जाएगी!”**

यह सुनकर सभी समझ गए कि प्रभु ही न्याय करने वाला है। दाऊद ने अपने सैनिकों से कहा, **”इन शत्रुओं को बंदी बनाकर रखो, परंतु याद रखो, प्रभु ही सच्चा न्यायी है। उसकी इच्छा के बिना कोई भी हमें हानि नहीं पहुँचा सकता।”**

उत्सव का समय आगे बढ़ा। राजमहल में भोज का आयोजन किया गया। दाऊद ने अपने सभी सैनिकों और प्रजा को आशीर्वाद दिया। उन्होंने कहा, **”आज का यह दिन प्रभु की महिमा का है। उसने हमें शक्ति दी, विजय दी और अपनी असीम कृपा से हमें सुरक्षित रखा।”**

रात होने लगी। जब सभी लोग विश्राम करने चले गए, तब दाऊद अकेले अपने कक्ष में प्रभु के सामने झुके। उन्होंने धन्यवाद दिया और कहा, **”हे प्रभु, तू सर्वोच्च है। तेरी महिमा सदैव बनी रहे। हम तेरे भय में चलें और तेरी दया हम पर सदा बनी रहे।”**

इस प्रकार, भजन संहिता 21 के अनुसार, राजा दाऊद ने प्रभु की स्तुति की और उसकी विजयी कृपा का उत्सव मनाया। उनका विश्वास और प्रभु की भक्ति ही उनकी सफलता का रहस्य था।

**समाप्त।**

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