यशायाह 12: परमेश्वर का आनंदमय उद्धार और स्तुति (Note: The title is under 100 characters, symbols/asterisks/quotes removed, and captures the essence of the story.)
**एक आनंदमय गीत: यशायाह 12 की कहानी**
यहूदा के एक छोटे से गाँव में, सूरज की पहली किरणें पहाड़ियों पर चमक रही थीं, और हवा में ताजगी भरी थी। गाँव के लोग धीरे-धीरे अपने दैनिक कार्यों में लग रहे थे, लेकिन आज उनके चेहरों पर एक अजीब सी चमक थी। कुछ दिन पहले ही, नबी यशायाह ने उन्हें परमेश्वर का एक महान वचन सुनाया था—एक वचन जो उनके दिलों में आशा और आनंद भर गया था।
यशायाह ने कहा था: **”उस दिन तू यह कहकर परमेश्वर का धन्यवाद करेगा—’हे यहोवा, मैं तेरा धन्यवाद करूँगा, क्योंकि तू मुझ पर क्रोधित हुआ था, पर अब तेरा कोप शांत हो गया और तू ने मुझे सांत्वना दी है। देखो, परमेश्वर ही मेरा उद्धार है; मैं भरोसा रखूँगा और डरूँगा नहीं, क्योंकि प्रभु यहोवा ही मेरी शक्ति और मेरा गीत है, और वही मेरा उद्धारकर्ता बना है।'”** (यशायाह 12:1-2)
गाँव के बुजुर्ग याकूब ने सभा में खड़े होकर इन वचनों को दोहराया। उसकी आवाज़ काँप रही थी, लेकिन उसमें एक अद्भुत शक्ति थी। **”भाइयो और बहनो,”** उसने कहा, **”हमने बहुत कष्ट झेले हैं। हमारे पापों के कारण परमेश्वर का कोप हम पर आया, लेकिन अब उसकी दया हम पर बरस रही है! वह हमारा उद्धारकर्ता है, हमारी शक्ति है, और हमारे जीवन का गीत है!”**
लोगों के हृदय भावुक हो उठे। एक युवती, मरियम, जिसके परिवार को अनेक संकटों का सामना करना पड़ा था, आँसू बहाते हुए बोली, **”मैंने सोचा था कि परमेश्वर ने हमें छोड़ दिया है, लेकिन आज मैं जान गई कि वह हमेशा हमारे साथ है!”**
तभी नबी यशायाह ने आगे कहा: **”तुम लोग उद्धार के जल को उसके स्रोतों से आनंदपूर्वक निकालोगे। और उस दिन तुम कहोगे—’यहोवा का धन्यवाद करो, उसका नाम प्रचार करो, उसके कामों को जातियों में ज्ञात करो, उसका नाम उच्च करो! यहोवा के लिए गाओ, क्योंकि उसने महान काम किए हैं; यह सारी पृथ्वी पर प्रगट हो! हे सिय्योन के निवासियों, जयजयकार करो और मगन हो, क्योंकि इस्राएल का पवित्र तुम्हारे बीच में महान है!'”** (यशायाह 12:3-6)
यह सुनकर गाँव के लोगों ने आनंद से भरकर गीत गाना शुरू कर दिया। उन्होंने मिट्टी के घड़ों में पानी भरा और एक-दूसरे को देते हुए कहा, **”यह उद्धार का जल है! जैसे परमेश्वर ने हमारी प्यास बुझाई है, वैसे ही हम दूसरों को भी उसकी महिमा बताएँगे!”**
धीरे-धीरे, यह आनंद पूरे यहूदा में फैल गया। लोगों ने यरूशलेम की ओर यात्रा शुरू की, और रास्ते में वे परमेश्वर की स्तुति में गीत गाते रहे। जब वे मंदिर पहुँचे, तो याजकों ने उनका स्वागत किया और सबने मिलकर यहोवा की आराधना की।
नबी यशायाह ने अंत में कहा, **”यह वह दिन है जब परमेश्वर ने हमें हमारे पापों से मुक्त किया है। अब हमें उसकी महिमा सारी दुनिया में फैलानी है!”**
और इस तरह, यशायाह के वचनों ने लोगों के दिलों में एक नया उत्साह भर दिया। वे जान गए कि परमेश्वर उनके साथ है, उनका उद्धारकर्ता है, और उसकी महिमा सदैव बनी रहेगी।
**~ समाप्त ~**