पवित्र बाइबल

ईश्वर की महिमा और प्रतिज्ञा इस्राएल के लिए

**ईश्वर की महिमा और उसकी प्रतिज्ञा**

एक समय की बात है, जब इस्राएल के लोग बंधुआई में थे और उनका मन हताशा से भरा हुआ था। वे बाबुल की गुलामी में जकड़े हुए थे और ऐसा लगता था कि उनका ईश्वर उन्हें भूल गया है। परन्तु प्रभु ने अपने भविष्यवक्ता यशायाह के माध्यम से उन्हें एक सुन्दर और शक्तिशाली वचन दिया, जो आज भी हमारे हृदय को छू लेता है।

यशायाह अध्याय 44 में, प्रभु अपने लोगों से बोलते हैं और उन्हें उनकी सच्ची पहचान याद दिलाते हैं। वे कहते हैं, **”हे याकूब, मेरे दास, हे इस्राएल, जिसे मैंने चुना, सुनो!”** (यशायाह 44:1)। ये शब्द उन लोगों के लिए थे जो अपने पापों के कारण दूर हो गए थे, परन्तु प्रभु उन्हें याद कर रहा था। वह उन्हें “दास” कहकर पुकारता है, क्योंकि वे उसके हैं, उसकी संतान हैं, और वह उन्हें कभी नहीं छोड़ेगा।

फिर प्रभु उन्हें एक आश्चर्यजनक वादा देता है: **”मैं तेरे ऊपर जल उंडेलूंगा, और प्यासे भूमि पर धारा बहाऊंगा; मैं तेरे वंश पर अपनी आत्मा उंडेलूंगा, और तेरी सन्तान पर अपनी आशीष।”** (यशायाह 44:3)। यहाँ प्रभु उनके सूखे हृदयों को नया जीवन देने की बात करता है। जैसे सूखी भूमि जल पाकर हरी-भरी हो जाती है, वैसे ही वह उनके जीवन में अपनी आत्मा का जल बहाएगा। यह पवित्र आत्मा का वरदान है, जो उन्हें नया बनाएगा और उनके बच्चों को आशीषित करेगा।

प्रभु आगे कहता है कि उनकी सन्तान ईश्वर के नाम से पुकारेगी और स्वयं को याकूब का वंशज और इस्राएल का पुत्र कहलाएगी। यह दिखाता है कि प्रभु ने उन्हें न केवल बचाया, बल्कि उन्हें नया नाम और नया अस्तित्व दिया। वह उन्हें अपनी संतान के रूप में ग्रहण करता है और उन पर गर्व करता है।

फिर यशायाह एक शक्तिशाली तुलना करता है। वह लोगों को याद दिलाता है कि मूर्तियाँ कितनी निरर्थक हैं। कुछ लोग लकड़ी का एक टुकड़ा लेते हैं, उसका आधा हिस्सा जलाकर अपना खाना पकाते हैं, और दूसरे आधे से एक मूर्ति बनाकर उसके आगे झुकते हैं! (यशायाह 44:16-17)। क्या यह मूर्खता नहीं है? वह मूर्ति न तो देख सकती है, न सुन सकती है, न ही किसी की सहायता कर सकती है। परन्तु इस्राएल का ईश्वर सच्चा है—वही सृष्टिकर्ता, राजा और उद्धारकर्ता है।

प्रभु अपने लोगों से कहता है, **”हे इस्राएल, तू मेरा दास है, तुझे मैं नहीं भूला। मैंने तेरे अपराधों को बादलों की तरह और तेरे पापों को धुंध की तरह मिटा दिया है। मेरे पास लौट आ, क्योंकि मैंने तुझे छुड़ा लिया है!”** (यशायाह 44:21-22)। ये शब्द उनके लिए आशा की किरण थे। प्रभु ने उनके पापों को माफ कर दिया था, भले ही वे उससे दूर चले गए थे। वह उन्हें वापस बुला रहा था, क्योंकि वह उनसे प्रेम करता था।

अंत में, प्रभु यरूशलेम और यहूदा के नगरों को फिर से बसाने की बात करता है। वह कहता है कि वह बाबुल को नष्ट कर देगा और अपने लोगों को स्वतंत्र करेगा। यहाँ तक कि वह कुरुस (साइरस) नामक राजा का उल्लेख करता है, जो भविष्य में इस्राएलियों को छोड़ने का आदेश देगा (यशायाह 44:28)। यह एक अद्भुत भविष्यवाणी थी, क्योंकि कुरुस का जन्म भी उस समय तक नहीं हुआ था! परन्तु प्रभु सब कुछ जानता है और वह अपनी प्रतिज्ञाओं को पूरा करता है।

**सीख:**
1. **ईश्वर हमें कभी नहीं भूलता** – चाहे हम कितनी भी गहरी परेशानी में हों, वह हमें याद रखता है।
2. **उसकी आत्मा हमें नया बनाती है** – जैसे सूखी भूमि जल पाकर हरी हो जाती है, वैसे ही पवित्र आत्मा हमारे जीवन को परिवर्तित करता है।
3. **मूर्तियाँ व्यर्थ हैं** – केवल सच्चा ईश्वर ही हमारी आराधना के योग्य है।
4. **पाप क्षमा है** – यदि हम पश्चाताप करें, तो प्रभु हमारे पापों को मिटा देता है।
5. **प्रभु की प्रतिज्ञाएँ सच्ची हैं** – वह जो कहता है, वह पूरा करता है, चाहे समय कितना भी लगे।

इस कहानी से हम सीखते हैं कि प्रभु अपने लोगों से अटूट प्रेम करता है। वह हमें बुलाता है, हमारे पापों को क्षमा करता है, और हमें नया जीवन देता है। हमें केवल उस पर भरोसा रखना है और उसकी ओर लौटना है। **जय हो प्रभु यीशु की!**

LEAVE A RESPONSE

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *