पवित्र बाइबल

याकूब की संतान और समृद्धि की कहानी

# **याकूब की संतान और उसका समृद्धि (उत्पत्ति 30)**

## **राहेल और लिआ की प्रतिस्पर्धा**

समय बीतता गया, और याकूब हारान में अपने मामा लाबान के साथ रहता रहा। उसकी दो पत्नियाँ थीं—लिआ और राहेल। परन्तु परमेश्वर ने लिआ के गर्भ को खोला, जबकि राहेल बाँझ रही। इससे राहेल के मन में ईर्ष्या भर गई। एक दिन, वह याकूब के पास गई और बोली, “मुझे पुत्र दो, नहीं तो मैं मर जाऊँगी!”

याकूब ने क्रोधित होकर कहा, “क्या मैं परमेश्वर का स्थान ले सकता हूँ? वही तुझे संतान देने से रोक रहा है।”

तब राहेल ने अपनी दासी बिल्हा को याकूब की पत्नी के रूप में दिया, जैसे सारा ने हाजिरा को अब्राहम को दिया था। बिल्हा ने गर्भ धारण किया और एक पुत्र को जन्म दिया। राहेल ने उसका नाम “दान” रखा और कहा, “परमेश्वर ने मेरा न्याय किया है और मेरी प्रार्थना सुनी है।”

बिल्हा ने फिर गर्भ धारण किया और दूसरे पुत्र को जन्म दिया। राहेल ने उसका नाम “नप्ताली” रखा और कहा, “मैंने अपनी बहन से बड़ी जद्दोजहद की है और विजयी हुई हूँ।”

जब लिआ ने देखा कि वह गर्भवती नहीं हो पा रही है, तो उसने भी अपनी दासी जिल्पा को याकूब की पत्नी बना दी। जिल्पा ने एक पुत्र को जन्म दिया, और लिआ ने उसका नाम “गाद” रखा, कहते हुए, “क्या ही भाग्यशाली दिन है!”

जिल्पा ने फिर एक पुत्र को जन्म दिया, और लिआ ने उसका नाम “आशेर” रखा, घोषणा करते हुए, “सभी स्त्रियाँ मुझे धन्य कहेंगी!”

## **लिआ के पुत्र और मण्डूरा**

एक दिन, लिआ का पुत्र रूबेन मैदान में गया और वहाँ से मण्डूरा (जंगली गेहूँ के पौधे) ले आया। उसने उसे अपनी माँ को दिया। राहेल ने लिआ से कहा, “कृपया मुझे अपने पुत्र के मण्डूरा में से कुछ दे दो।”

लिआ ने कड़वाहट से जवाब दिया, “क्या तुमने मेरे पति को छीन लेना कम है कि अब मेरे पुत्र के मण्डूरा भी लेने आई हो?”

राहेल ने कहा, “ठीक है, याकूब आज रात तेरे साथ रहेगा, बदले में तू मुझे मण्डूरा दे दे।”

जब याकूब शाम को घर लौटा, तो लिआ ने उसका स्वागत किया और कहा, “आज रात तुम मेरे साथ रहोगे, क्योंकि मैंने तुम्हें अपनी दासी के बदले मण्डूरा से खरीद लिया है।”

उस रात परमेश्वर ने लिआ को आशीष दी, और उसने पाँचवें पुत्र को जन्म दिया। उसने उसका नाम “इस्साकार” रखा और कहा, “परमेश्वर ने मेरी मजदूरी दी है।”

लिआ ने फिर एक पुत्र को जन्म दिया और उसका नाम “जबूलून” रखा, कहते हुए, “अब मेरा पति मुझे सम्मान देगा, क्योंकि मैंने उसे छह पुत्र दिए हैं।”

अंत में, लिआ ने एक पुत्री को जन्म दिया, और उसका नाम “दीना” रखा।

## **परमेश्वर ने राहेल को स्मरण किया**

परमेश्वर ने राहेल की प्रार्थना सुनी और उसके गर्भ को खोल दिया। उसने गर्भ धारण किया और एक पुत्र को जन्म दिया। उसने कहा, “परमेश्वर ने मेरी निराशा दूर कर दी है!” इसलिए उसने उसका नाम “यूसुफ” रखा और कहा, “क्या परमेश्वर मुझे एक और पुत्र देगा?”

## **याकूब की समृद्धि**

जब याकूब ने लाबान से कहा, “अब मुझे अपने घर जाने दो,” तो लाबान ने उत्तर दिया, “मुझे पता है कि परमेश्वर ने तुम्हारे कारण मुझे आशीष दी है। तुम अपनी मजदूरी बताओ, मैं तुम्हें दूँगा।”

याकूब ने कहा, “तुम जानते हो कि मैंने तुम्हारी सेवा कैसे की है। तुम्हारी भेड़-बकरियाँ मेरे आने से पहले कम थीं, पर अब बहुत बढ़ गई हैं। अब मुझे अपने परिवार के लिए कुछ दे दो।”

लाबान ने पूछा, “मैं तुम्हें क्या दूँ?”

याकूब ने कहा, “तुम मुझे कुछ न दो। मैं तुम्हारी भेड़-बकरियों में से सभी धब्बेदार और चितकबरे जानवर ले लूँगा, और यही मेरी मजदूरी होगी।”

लाबान ने मन ही मन सोचा कि यह उसके लिए फायदेमंद है, इसलिए उसने सहमति दे दी। परन्तु उसने उसी दिन अपने पुत्रों को आज्ञा दी कि वे सभी धब्बेदार और चितकबरे जानवर अलग कर दें, ताकि याकूब को कुछ न मिले।

लेकिन याकूब ने चालाकी से हरे-हरे डंडे छीलकर उन्हें पानी की नांद के सामने रख दिया, जहाँ भेड़-बकरियाँ पानी पीने आती थीं। जब वे गर्भवती होतीं, तो धब्बेदार और चितकबरे बच्चे पैदा होते। इस प्रकार, याकूब के पास मोटी-ताजी भेड़-बकरियाँ हो गईं, जबकि लाबान के पास कमजोर जानवर रह गए।

इस तरह, याकूब बहुत धनी हो गया। उसके पास ढेर सारे झुंड, दास-दासियाँ, ऊँट और गदहे हो गए। परमेश्वर ने उसे आशीष दी, और वह लाबान के घर में समृद्ध होता चला गया।

इस प्रकार, उत्पत्ति 30 की कहानी हमें दिखाती है कि कैसे परमेश्वर ने याकूब के साथ अपनी वाचा को पूरा किया और उसे आशीषित किया, भले ही मानवीय ईर्ष्या और चालाकी के बीच भी उसकी योजना पूरी हुई।

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