पवित्र बाइबल

पाप से मुक्ति और परमेश्वर की क्षमा की मधुर कहानी

**भजन संहिता 32 पर आधारित एक प्रेरक कहानी: “क्षमा की मधुरिमा”**

एक समय की बात है, यरूशलेम के पास एक छोटे से गाँव में राजा दाऊद का एक वफादार सेवक रहता था, जिसका नाम एलीआजर था। वह परमेश्वर से बहुत प्रेम करता था और उसकी आज्ञाओं का पालन करने का प्रयास करता था। लेकिन एक दिन, शैतान के प्रलोभन में फँसकर, उसने एक भयानक पाप किया—उसने अपने पड़ोसी की कीमती वस्तु चुरा ली और झूठ बोलकर उसे छुपाने की कोशिश की।

कुछ दिनों तक तो एलीआजर ने अपने पाप को अपने हृदय में दबा लिया, लेकिन धीरे-धीरे उसकी आत्मा बोझिल होने लगी। वह रातों को सो नहीं पाता था। जब भी वह परमेश्वर के सामने प्रार्थना करने जाता, उसे लगता था मानो उसकी प्रार्थनाएँ आकाश तक नहीं पहुँच रही हैं। उसका मन अशांत था, और उसकी ताकत सूखती जा रही थी, जैसे गर्मी के दिनों में सूखा हुआ तालाब।

एक दिन, जब एलीआजर अपने खेत में काम कर रहा था, तभी उसने एक बूढ़े संत को अपनी ओर आते देखा। वह संत परमेश्वर का भक्त था और अक्सर लोगों को उपदेश देता था। एलीआजर ने उसका आदर किया और उसे अपने घर आमंत्रित किया। घर में बैठकर जब संत ने एलीआजर के चेहरे पर उदासी देखी, तो उसने पूछा, “पुत्र, तुम्हारा मन इतना भारी क्यों है? क्या तुम परमेश्वर के सामने अपना बोझ नहीं डाल सकते?”

एलीआजर का हृदय टूट गया। उसने अपने सिर को झुकाते हुए कहा, “महात्मन, मैंने एक भयानक पाप किया है। मैंने चोरी की और झूठ बोला। मैं जानता हूँ कि परमेश्वर ने मुझे देख लिया है, लेकिन मैं उसके सामने अपनी गलती कैसे स्वीकार करूँ? मुझे डर लगता है कि वह मुझे कभी माफ नहीं करेगा।”

संत ने दयालुता से उसकी ओर देखा और कहा, “पुत्र, क्या तुमने भजन संहिता 32 नहीं पढ़ा? राजा दाऊद ने भी अपने पाप को लंबे समय तक छुपाया था, लेकिन जब उसने उसे परमेश्वर के सामने स्वीकार किया, तो उसने कहा— ‘धन्य वह व्यक्ति है जिसका अपराध क्षमा किया गया, जिसका पाप ढक दिया गया। धन्य वह मनुष्य जिसके अधर्म का हिसाब यहोवा नहीं लेता, और जिसकी आत्मा में कपट नहीं है।’ (भजन 32:1-2)। परमेश्वर तुम्हारा इंतजार कर रहा है, बस तुम्हें अपना पाप उसके सामने लाना है।”

एलीआजर की आँखों से आँसू बह निकले। वह तुरंत अपने घुटनों पर गिरा और परमेश्वर से क्षमा माँगने लगा। उसने अपने पड़ोसी के पास जाकर चुराई हुई वस्तु लौटाई और सच्चाई स्वीकार की। उसी पल, उसे एक अद्भुत शांति महसूस हुई, जैसे कोई भारी बोझ उसके हृदय से उतर गया हो।

उस रात, एलीआजर ने बहुत दिनों बाद शांति की नींद सोई। अगली सुबह, जब वह उठा, तो उसने अपने आपको नए जीवन में पाया। उसने भजन संहिता 32 की इन पंक्तियों को गुनगुनाया— “तू मेरी घड़ी की रखवाली करेगा, संकट के समय मैं तुझे पुकारूँगा, और तू मुझे उत्तर देगा।” (भजन 32:6-7)।

एलीआजर ने अपने जीवन का शेष भाग परमेश्वर की सेवा में बिताया। वह लोगों को सिखाता था कि पाप को छुपाने से केवल दुःख मिलता है, लेकिन परमेश्वर के सामने इसे स्वीकार करने से अनंत शांति और आनंद प्राप्त होता है। उसकी कहानी ने अनेक लोगों को प्रेरित किया, और वे भी परमेश्वर की क्षमा और करुणा का अनुभव करने लगे।

**सीख:** भजन संहिता 32 हमें सिखाता है कि पाप को छुपाने के बजाय परमेश्वर के सामने उसे स्वीकार करना ही बुद्धिमानी है। वह हमारे पापों को क्षमा करने और हमें नया जीवन देने के लिए तैयार है। जैसे एलीआजर ने अनुभव किया, वैसे ही हम भी परमेश्वर की अद्भुत क्षमा और शांति पा सकते हैं।

_”जो कोई अपने पाप छिपाता है, उसका कार्य सफल नहीं होता; पर जो उन्हें मान लेता और छोड़ देता है, उस पर दया की जाएगी।” (नीतिवचन 28:13)_

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