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राजा सिदकिय्याह और यिर्मयाह: यरूशलेम की घेराबंदी की कहानी

# यिर्मयाह 21: राजा सिदकिय्याह और भविष्यद्वक्ता यिर्मयाह की कहानी

## अध्याय 1: यरूशलेम की घेराबंदी

यहूदा के राजा सिदकिय्याह के शासनकाल के दसवें वर्ष में, बाबुल के शक्तिशाली राजा नबूकदनेस्सर ने अपनी विशाल सेना के साथ यरूशलेम को घेर लिया। शहर के चारों ओर बाबुली सैनिकों ने मोर्चा जमा लिया, और उनके ध्वज हवा में लहरा रहे थे। शहर के फाटक बंद कर दिए गए थे, और भीतर के निवासी भय से कांप उठे। अन्न का भंडार समाप्त हो रहा था, और पानी की कमी होने लगी। लोग भूख से व्याकुल होकर सड़कों पर गिरने लगे।

राजा सिदकिय्याह ने अपने दरबारियों को बुलाया और कहा, “हमें परमेश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए। शायद वह हमारी सहायता करेगा और बाबुल की सेना को हटा देगा।” उसने पशुराह के पुत्र यिर्मयाह के पास दो दूत भेजे—अजरीयाह के पुत्र मल्किय्याह और मासेयाह के पुत्र सपनिय्याह। वे यिर्मयाह से कहने लगे, “हमारी ओर से यहोवा से पूछो। हो सकता है कि वह हमारे लिए अपने आश्चर्यकर्म दिखाए, ताकि बाबुल का राजा हमसे दूर चला जाए।”

## अध्याय 2: यिर्मयाह का उत्तर

यिर्मयाह ने उन दूतों को सुनकर परमेश्वर की प्रतीक्षा की। तब यहोवा का वचन उसके पास आया, और वह राजा के पास लौटकर बोला, “इस्राएल के परमेश्वर यहोवा यह कहता है: देखो, मैं तुम्हारे हाथ में जो हथियार हैं, जिनसे तुम बाबुल के राजा और कसदियों से लड़ रहे हो, उन्हें मैं पलट दूंगा। वे शहर के बीच में एकत्र कर दिए जाएंगे। मैं स्वयं तुम्हारे विरुद्ध लड़ूंगा, और मेरा हाथ तुम पर भारी पड़ेगा। मैं तुम्हें महामारी, तलवार और अकाल से दण्ड दूंगा।”

यिर्मयाह की आवाज़ कठोर थी, और उसके शब्दों ने राजा के हृदय में भय भर दिया। “यहोवा यह भी कहता है: देखो, मैं यहूदा के राजा सिदकिय्याह, उसके दासों, और इस शहर के बचे हुए लोगों को बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर के हाथ में दे दूंगा। वह उन्हें तलवार से मार डालेगा, उन पर दया नहीं करेगा, न ही उन्हें छोड़ेगा।”

## अध्याय 3: जीवन और मृत्यु का मार्ग

यिर्मयाह ने आगे कहा, “हे राजा, यहोवा तुम्हें एक मार्ग दिखाता है। यदि तुम बाहर निकलकर बाबुल के राजा के सामने आत्मसमर्पण कर दो, तो तुम जीवित रहोगे, और यह नगर आग से नहीं जलेगा। तुम और तुम्हारा घराना बच जाएगा। किंतु यदि तुम नहीं मानोगे, तो यह नगर कसदियों के हाथ में दे दिया जाएगा, और वे इसे आग से भस्म कर देंगे, और तुम उनके हाथ से नहीं बचोगे।”

राजा सिदकिय्याह का चेहरा पीला पड़ गया। उसके दरबारी एक-दूसरे की ओर देखने लगे, कुछ क्रोधित थे, तो कुछ भयभीत। यिर्मयाह ने अपनी बात जारी रखी, “यहोवा यह भी कहता है: हे यहूदा के राजवंश, तुम न्याय करो और दीन-दुखियों की सहायता करो, नहीं तो मेरा क्रोध इस नगर पर आग की तरह भड़क उठेगा, और वह बुझाया नहीं जा सकेगा।”

## अध्याय 4: राजा का निर्णय

राजा सिदकिय्याह ने यिर्मयाह की बातें सुनीं, परन्तु उसका हृदय कठोर बना रहा। उसने अपने सैनिकों को आदेश दिया कि वे शहर की रक्षा करें और बाबुलियों से लड़ें। उसने परमेश्वर के वचन को ठुकरा दिया।

कुछ ही दिनों बाद, बाबुल की सेना ने शहर की दीवारें तोड़ दीं और अंदर घुस आई। आग की लपटें आकाश को छूने लगीं, और यरूशलेम के महल, मंदिर और घर जलकर राख हो गए। राजा सिदकिय्याह भाग निकला, परन्तु बाबुली सैनिकों ने उसे पकड़ लिया। उसके सामने ही उसके पुत्रों को मार डाला गया, और फिर उसकी आंखें निकाल ली गईं। उसे बेड़ियों में जकड़कर बाबुल ले जाया गया, जहां वह जेल में मर गया।

## अध्याय 5: परमेश्वर की चेतावनी का सत्य होना

यिर्मयाह का वचन सच हुआ। जो लोग बाबुल के सामने आत्मसमर्पण कर देते, वे जीवित बच गए, परन्तु जिन्होंने परमेश्वर की आज्ञा नहीं मानी, वे तलवार, अकाल और महामारी से मारे गए। यरूशलेम खंडहर बन गया, और यहूदा का राज्य समाप्त हो गया।

परमेश्वर ने अपने लोगों को चेतावनी दी थी, परन्तु उन्होंने नहीं सुनी। यिर्मयाह के दुखी हृदय ने देखा कि कैसे परमेश्वर का न्याय सच हुआ, और उसने विलाप किया। फिर भी, परमेश्वर की दया समाप्त नहीं हुई थी—एक दिन वह अपने लोगों को पुनः बुलाएगा और उन्हें बहाल करेगा। परन्तु इस दिन, उसकी न्याय की तलवार ने अपना काम पूरा कर लिया था।

**समाप्त।**

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