पवित्र बाइबल

सुलेमान की बुद्धि से किसान की सीख

**एक किसान की कहानी: सुलेमान की बुद्धिमत्ता से सीख**

एक समय की बात है, यरूशलेम के पास एक छोटे से गाँव में एक किसान रहता था जिसका नाम एलियाब था। वह बहुत मेहनती था, लेकिन उसके मन में हमेशा यह डर रहता था कि कहीं उसकी मेहनत बेकार न चली जाए। वह हर समय चिंता में डूबा रहता—क्या बीज बोने का यह सही समय है? क्या बारिश होगी? क्या फसल अच्छी होगी? उसकी यह चिंता उसे हर पल सताती रहती।

एक दिन, जब एलियाब अपने खेत में बैठा हुआ था, राजा सुलेमान का एक विद्वान मंत्री वहाँ से गुजरा। मंत्री ने उसकी चिंतित मुद्रा देखी और पूछा, “हे किसान, तुम इतने उदास क्यों बैठे हो?”

एलियाब ने उत्तर दिया, “महोदय, मैं नहीं जानता कि कब बीज बोऊँ। अगर मैं आज बो दूँ और कल बारिश न हो, तो मेरा सारा परिश्रम व्यर्थ हो जाएगा। अगर मैं देर कर दूँ, तो शायद फसल के लिए पर्याप्त समय नहीं मिले। मैं क्या करूँ?”

मंत्री मुस्कुराया और उसने सुलेमान की लिखी हुई पुस्तक सभोपदेशक (Ecclesiastes) की एक बात सुनाई:

**”अपनी रोटी जल पर डाल दे, क्योंकि बहुत दिनों के बाद तू उसे पाएगा। सात या आठ को अपना भाग दे, क्योंकि तू नहीं जानता कि पृथ्वी पर क्या विपत्ति पड़नेवाली है।” (सभोपदेशक 11:1-2)**

एलियाब ने पूछा, “इसका क्या अर्थ है?”

मंत्री ने समझाया, “हे भाई, परमेश्वर चाहता है कि हम उदार और साहसी बनें। जिस प्रकार एक मछुआरा जाल डालते समय यह नहीं सोचता कि कितनी मछलियाँ मिलेंगी, वैसे ही तुझे भी परिश्रम करना चाहिए और परिणाम परमेश्वर पर छोड़ देना चाहिए। अगर तू हमेशा ‘सही समय’ का इंतज़ार करता रहेगा, तो कभी कुछ नहीं कर पाएगा। बीज बोने का समय आज ही है, चाहे बादल दिखें या न दिखें।”

एलियाब ने मंत्री की बात मान ली और उसी दिन अपने खेत में बीज बो दिए। कुछ महीनों बाद, जब वर्षा हुई, उसकी फसल इतनी अच्छी हुई कि पूरा गाँव उसके पास आया और उसकी प्रशंसा करने लगा।

मंत्री फिर से उसके पास आया और बोला, “देख, सभोपदेशक की बात सत्य है। जब तूने विश्वास के साथ कदम उठाया, तो परमेश्वर ने तेरे परिश्रम को आशीष दी। याद रख, हवा और मौसम परमेश्वर के हाथ में हैं, लेकिन हमारा काम है कि हम उसकी आज्ञा का पालन करें और उस पर भरोसा रखें।”

एलियाब ने सीख लिया कि जीवन में सफलता के लिए केवल मेहनत ही नहीं, बल्कि परमेश्वर में विश्वास और उदारता भी ज़रूरी है। उस दिन के बाद से वह न केवल एक अच्छा किसान बना, बल्कि उसने गाँव के दूसरे लोगों को भी यह सीख दी: **”जो सुबह के समय बीज बोएगा, और सांझ को भी अपना हाथ न रोकेगा; क्योंकि तू नहीं जानता कि इनमें से कौन सा अच्छा होगा, या क्या दोनों ही अच्छे होंगे।” (सभोपदेशक 11:6)**

और इस तरह, सुलेमान की बुद्धिमत्ता ने न केवल एलियाब के जीवन को बदल दिया, बल्कि पूरे गाँव को परमेश्वर की महिमा का अनुभव कराया।

LEAVE A RESPONSE

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *