पवित्र बाइबल

छिपे शत्रुओं से परमेश्वर की रक्षा

**भजन संहिता 64 पर आधारित एक विस्तृत कहानी**

**शीर्षक: “छिपकर बैठे शत्रुओं से परमेश्वर की सुरक्षा”**

वर्षों पहले, दाऊद के जीवन में एक समय ऐसा आया जब उसके चारों ओर शत्रु उसके विनाश की योजना बना रहे थे। वह एक सुनसान गुफा में छिपा हुआ था, जहाँ से वह परमेश्वर से प्रार्थना कर रहा था। उसके मन में भय नहीं, बल्कि विश्वास था कि परमेश्वर उसकी सुनेंगे। उसने अपने हृदय की पीड़ा को भजन संहिता 64 के रूप में व्यक्त किया।

### **अंधकार की योजनाएँ**

दाऊद के विरोधी, जो उसके राज्य के लालची थे, गुप्त सभाएँ करते और उसके विरुद्ध षड्यंत्र रचते। वे रात के अंधकार में इकट्ठा होते और कहते, “हमें दाऊद को मारने का सही अवसर चाहिए। हम उस पर तीर चलाएँगे, और कोई हमें देखेगा भी नहीं। हमारे शब्द धारदार तलवारों की तरह होंगे, जो उसकी प्रतिष्ठा को काट देंगे।” वे अपनी चालाकी पर इतने विश्वास करते थे कि कहते, “कौन हमें देख सकता है? हमारी योजनाएँ गुप्त हैं!”

लेकिन दाऊद जानता था कि कोई भी योजना परमेश्वर की दृष्टि से छिपी नहीं है। उसने प्रार्थना की, “हे परमेश्वर, मेरी रक्षा करो! मेरे प्राण को भयभीत होने से बचा। मेरे शत्रु छिपकर मेरे विरुद्ध षड्यंत्र रचते हैं। वे निर्दोष के विरुद्ध अपने जाल बिछाते हैं और बिना किसी डर के अपने बाण चलाते हैं।”

### **परमेश्वर का हस्तक्षेप**

तब परमेश्वर ने दाऊद की पुकार सुनी। वह उन शत्रुओं के विरुद्ध खड़ा हुआ जो अंधकार में छिपे थे। भजन संहिता 64:7 में लिखा है, **”परमेश्वर उन पर अपने बाण चलाएगा, अचानक वे घायल हो जाएँगे।”** और ऐसा ही हुआ।

एक दिन, जब दाऊद के शत्रु उस पर हमला करने की योजना बना रहे थे, परमेश्वर ने उनकी ही चाल को उनके विरुद्ध कर दिया। वे एक-दूसरे पर संदेह करने लगे, उनकी योजनाएँ उलट गईं, और वे अपने ही जाल में फँस गए। जिस तीर को वे दाऊद पर चलाना चाहते थे, वही उनके अपने हृदय को भेद गया। उनके मुँह से निकले हानिकारक शब्द उन्हीं के विरुद्ध गवाह बन गए।

### **न्याय की विजय**

लोगों ने देखा कि परमेश्वर ने कैसे दाऊद को बचाया। सभी ने कहा, **”निश्चय ही परमेश्वर ने ही यह किया है!”** और वे उसकी स्तुति करने लगे। दाऊद ने भी आनंद से कहा, **”धर्मी अपने में प्रभु का आनन्द मनाएँगे और उसकी शरण लेंगे। हर सीधे हृदय वाला उसकी महिमा का गुणगान करेगा!”**

इस प्रकार, दाऊद ने अनुभव किया कि परमेश्वर सदैव अपने लोगों की रक्षा करते हैं, चाहे शत्रु कितने भी शक्तिशाली क्यों न हों। उसने लिखा, **”हे यहोवा, तू ने मेरी रक्षा की है, तू ने मेरे प्राण को संकट से बचाया है!”**

**शिक्षा:** इस कहानी से हम सीखते हैं कि चाहे हमारे विरुद्ध कितनी भी गुप्त योजनाएँ क्यों न बनें, परमेश्वर हमारी सुनते हैं और सही समय पर हस्तक्षेप करते हैं। हमें केवल उन पर भरोसा रखना चाहिए और धैर्य से उनके न्याय की प्रतीक्षा करनी चाहिए।

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