**मीका 1: यहोवा का न्याय और शोक**
उन दिनों में जब इस्राएल और यहूदा के लोग परमेश्वर के मार्गों से भटक गए थे, तब यहोवा ने मीका नामक एक भविष्यद्वक्ता को उठाया। मीका मोरशती था, एक छोटे से गाँव का निवासी, परन्तु उसके हृदय में परमेश्वर का वचन ज्वाला के समय जल रहा था। एक दिन, जब सूरज डूब रहा था और आकाश लालिमा से भरा हुआ था, यहोवा का आत्मा मीका पर उतरा। उसने एक दर्शन देखा—यहोवा अपने पवित्र मंदिर से निकल रहा था, उसके पाँव ऊँचे पहाड़ों को छू रहे थे, और पृथ्वी उसके सामने काँप रही थी।
मीका ने देखा कि यहोवा अपने सिंहासन से उतरकर पृथ्वी पर आ रहा है। उसकी महिमा इतनी प्रचंड थी कि पहाड़ उसके सामने पिघल गए, जैसे मोम आग के सामने पिघल जाता है। घाटियाँ फट गईं, और चट्टानें टुकड़े-टुकड़े होकर बिखर गईं। मीका ने यहोवा की आवाज़ सुनी, जो गर्जन के समय गूँज रही थी: **”सुनो, हे सभी लोगों! ध्यान दो, हे पृथ्वी और उसकी सारी भरपूरी! क्योंकि प्रभु यहोवा तुम्हारे विरुद्ध गवाही देने आ रहा है, वह अपने पवित्र मंदिर से तुम पर दण्ड की घोषणा करेगा!”**
मीका का हृदय दुख से भर गया, क्योंकि वह जानता था कि यहोवा का कोप उसके लोगों के पापों के कारण आ रहा है। समारिया और यरूशलेम, जो इस्राएल और यहूदा की राजधानियाँ थीं, उन्होंने मूर्तिपूजा, अन्याय और अहंकार को अपना लिया था। समारिया के लोग चाँदी और सोने की मूर्तियों की पूजा करते थे, और यरूशलेम के न्यायाधीश रिश्वत लेकर गरीबों का शोषण करते थे। यहोवा ने मीका से कहा: **”समारिया का पाप अत्यंत गंभीर है, वह सारे देश में फैल गया है। इसलिए मैं समारिया को ढहा दूँगा, उसे खेतों के ढेर के समान बना दूँगा, जहाँ अंगूरों को रौंदा जाता है। उसकी मूर्तियाँ टूटकर बिखर जाएँगी, और उसका धन लुटेरों के हाथों लूट लिया जाएगा।”**
मीका ने यह दर्शन सुनकर शोक मनाया। उसने अपने वस्त्र फाड़े और राख में बैठकर विलाप किया। उसने कहा: **”हे मेरे लोगो! तुम्हारा विनाश निकट है! रोओ और चिल्लाओ, क्योंकि यहोवा का दण्ड तुम पर आने वाला है। गत के समान तुम्हारे घाव लाइलाज होंगे, और तुम्हारा दुख यरूशलेम के द्वार तक पहुँच जाएगा!”**
फिर मीका ने यहूदा के नगरों के नाम लेकर उनके लिए विलाप किया। उसने कहा: **”लाखीश में तो युद्ध के रथ दौड़ेंगे, क्योंकि वहाँ के लोगों ने पाप की नींव रखी है। मोरेशा के निवासियो, तुम भागो, क्योंकि विपत्ति तुम्हारे द्वार पर खड़ी है! अदुल्लाम के गुफाओं में छिपने वालों, तुम भी रोओ, क्योंकि तुम्हारा गौरव धूल में मिल जाएगा!”**
मीका का हृदय टूट गया था, क्योंकि वह जानता था कि यहोवा का न्याय अटल है। उसने लोगों से कहा: **”अपने सिर मुँडाओ और गंजे हो जाओ, क्योंकि तुम्हारे प्यारे बच्चे बंधक बना लिए जाएँगे। तुम्हारे शत्रु तुम पर हँसेंगे, और तुम्हारी संपत्ति को लूट लेंगे। यह सब तुम्हारे अधर्म के कारण होगा!”**
इस प्रकार मीका ने यहोवा के वचन को साहस के साथ सुनाया। उसकी आवाज़ में दुख था, परन्तु सच्चाई भी थी। उसने लोगों को चेतावनी दी कि यदि वे मन फिराकर यहोवा की ओर नहीं लौटेंगे, तो उनका विनाश निश्चित है। परमेश्वर का न्याय निकट था, और केवल सच्चा पश्चाताप ही उन्हें बचा सकता था।
**अन्त।**