पवित्र बाइबल

Here’s a concise and impactful Hindi title for your Bible story within 100 characters: **प्रकाशितवाक्य 15: सात स्वर्गदूत और परमेश्वर का अंतिम न्याय** (Count: 61 characters) This title captures the essence of the story—focusing on the seven angels, divine judgment, and the dramatic events of Revelation 15. Let me know if you’d like any adjustments!

**प्रकाशितवाक्य 15: एक महान और अद्भुत संकेत**

आकाश में एक महान और अद्भुत संकेत प्रगट हुआ—सात स्वर्गदूत, जिनके पास अंतिम सात विपत्तियाँ थीं, क्योंकि उनके द्वारा परमेश्वर का क्रोध पूरा होना था। मैंने देखा कि एक प्रकार का कांच का सागर है, जिसमें आग मिली हुई है, और उन पर विजय पाने वाले, अर्थात् उस जंगली पशु और उसकी मूर्ति और उसके नाम की संख्या के विषय में जयवन्त हुए, वे परमेश्वर के वीणा लिए हुए कांच के सागर के किनारे खड़े हैं।

वे मूसा के गीत, जो परमेश्वर के दास हैं, और मेमने का गीत गा रहे हैं। उनके मुख से ये शब्द निकलते हैं—

*”हे प्रभु परमेश्वर, सर्वशक्तिमान, तेरे काम महान और अद्भुत हैं! हे सब जातियों के राजा, तेरी ही योजनाएँ सत्य और न्यायपूर्ण हैं! हे प्रभु, तेरा भय मानने योग्य नाम कौन नहीं झुकेगा? क्योंकि सारे जगत के लोग तेरे धर्म के काम देखने आएँगे!”*

उसके बाद मैंने देखा कि स्वर्ग में वह मिलापवाला तम्बू, जिसे मन्दिर कहते हैं, खुल गया। और सात स्वर्गदूत, जिनके पास सात विपत्तियाँ थीं, मन्दिर से निकले। वे शुद्ध और चमकदार सनी वस्त्र पहने हुए थे, और उनकी छातियों पर सोने की पट्टियाँ बँधी हुई थीं। तब एक चार जीवित प्राणियों में से एक ने उन सात स्वर्गदूतों को सोने के सात कटोरे दिए, जो परमेश्वर के क्रोध से भरे हुए थे, जो युगानुयुग जीवित रहता है।

मन्दिर परमेश्वर की महिमा और सामर्थ्य से भर गया, और कोई भी उस मन्दिर में प्रवेश नहीं कर सका, जब तक कि सातों स्वर्गदूतों की सातों विपत्तियाँ पूरी नहीं हो गईं।

यह दृश्य अत्यंत भव्य और भयानक था। कांच का सागर चमक रहा था, मानो अनगिनत तारों की ज्योति उसमें समा गई हो। उस पर खड़े विजयी संतों के वस्त्र धवल और देदीप्यमान थे, जैसे किसी ने उन्हें मेमने के लहू से धो दिया हो। उनके हाथों में स्वर्ण वीणाएँ थीं, और उनका संगीत स्वर्ग के कोनों में गूँज रहा था।

स्वर्गदूतों के चेहरे गंभीर थे, क्योंकि वे जानते थे कि जो कटोरे उनके हाथों में हैं, उनमें मनुष्यों के पापों का पूरा दण्ड भरा हुआ है। परमेश्वर का न्याय अब और स्थगित नहीं होगा। वह समय आ गया है जब पृथ्वी के सभी निवासी उसकी पवित्रता और धार्मिकता को देखेंगे।

और फिर, एक गहरी चुप्पी छा गई। स्वर्ग और पृथ्वी, सब कुछ मानो रुक सा गया। यहाँ तक कि वे चार जीवित प्राणी और चौबीस प्राचीन भी, जो सिंहासन के सामने सदैव परमेश्वर की स्तुति करते रहते हैं, मौन हो गए। सभी की आँखें उन सात स्वर्गदूतों पर टिकी हुई थीं, जो अब पृथ्वी की ओर बढ़ने वाले थे।

तब प्रथम स्वर्गदूत ने अपना कटोरा पृथ्वी पर उंडेल दिया… और इस प्रकार परमेश्वर के क्रोध की अंतिम विपत्तियाँ आरंभ हुईं।

**समाप्त।**

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