**यहेजकेल 28: एक राजा का अभिमान और पतन**
प्राचीन काल में, सोर नामक एक महान और समृद्ध नगर था, जो अपने व्यापार, धन और सुंदरता के लिए प्रसिद्ध था। वहाँ का राजा अपनी बुद्धि, सौंदर्य और शक्ति में अद्वितीय था। उसके हृदय में गर्व और अभिमान भर गया था, मानो वह स्वयं ईश्वर के समान हो गया हो।
एक दिन, प्रभु का वचन यहेजकेल नबी के पास आया, और उसने सोर के राजा के विरुद्ध एक दृढ़ संदेश सुनाया। यहेजकेल ने उससे कहा, **”मनुष्य, सोर के राजा से कहो कि प्रभु यहोवा यों कहता है: तू अपने हृदय में कहता है, ‘मैं ईश्वर हूँ, मैं देवताओं के निवास स्थान में बैठा हूँ।’ परन्तु तू मनुष्य मात्र है, ईश्वर नहीं। क्या तू अपने आपको बुद्धि में दानिय्येल के समान समझता है? तूने अपनी बुद्धि और सामर्थ्य से धन एकत्र किया है, और तेरे हृदय में घमण्ड भर गया है।”**
यहेजकेल ने राजा को उसके मूल की याद दिलाई—वह एक साधारण मनुष्य था, जिसे परमेश्वर ने समृद्धि दी थी। परन्तु उसने अपनी सफलता को अपनी योग्यता मान लिया और स्वयं को ईश्वर के सिंहासन पर बैठा हुआ समझने लगा।
फिर यहेजकेल ने एक दृष्टांत सुनाया, जो उस राजा के पतन की भविष्यवाणी करता था: **”तू अभिषिक्त करूब था, जो परमेश्वर के पवित्र पर्वत पर चलता था। तू बहुमूल्य रत्नों से आच्छादित था—सुन्नी, माणिक, हीरा, पन्ना, सब प्रकार के उत्तम पत्थर तेरे वस्त्रों में जड़े हुए थे। तू सिद्ध था, जिस दिन तू सृजा गया, उस दिन से लेकर जब तक तेरे भीतर अधर्म नहीं पाया गया। परन्तु तेरे व्यापार की बहुतायत से तेरे भीतर हिंसा भर गई, और तू पापी हो गया। इसलिए मैं तुझे परमेश्वर के पर्वत से निकाल दूँगा, और हे करूब, मैं तुझे उन पत्थरों के बीच से नष्ट कर दूँगा जिनमें तू विचरता था।”**
यहेजकेल की यह भविष्यवाणी सच हुई। सोर का राजा, जो अपने गर्व में अंधा हो चुका था, अपने ही पापों के बोझ तले दब गया। विदेशी आक्रमणकारियों ने उसके धन को लूट लिया, उसकी प्रतिष्ठा को मिट्टी में मिला दिया। वह राजा, जो स्वयं को अजेय समझता था, एकाएक अपमान और विनाश के गड्ढे में गिर गया।
अंत में, यहेजकेल ने घोषणा की, **”तू मृत्यु के हाथों मारा जाएगा, और तेरा अंत समुद्र की गहराइयों में होगा। तब क्या तू फिर भी कहोगा, ‘मैं ईश्वर हूँ,’ जबकि तेरे हत्यारे तुझे मार डालेंगे? नहीं, तू मनुष्य ही है, ईश्वर नहीं।”**
इस प्रकार, सोर के राजा की कहानी एक चेतावनी बन गई—कोई भी, चाहे कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, यदि वह परमेश्वर के सामने गर्व करे, तो उसका पतन निश्चित है। सच्चा महिमा केवल प्रभु यहोवा की है, और वही सभी मनुष्यों के हृदयों का न्याय करता है।